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प्रे.स. नई दिल्ली, 6 नवंबर : कई सारे प्रस्तावों के बाद वर्ष 2023-24 की लिए “प्रज्ञा मेल बहुभाषी राष्ट्रीय कवि-सम्मलेन आयोजन समिति” ने असम की हॉफलोंग की उच्च माध्यमिक सरकारी स्कूल की सेवा निर्वित शिक्षिका और जानेमाने दिमासा लेखिका अनुपमा नाईडिंग को चुना है।
आयोजन समिति के सभी सदस्यों की सहमति से क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने पर बल देते हुए एकमत से सहमति देते हुए इस निर्णय का स्वागत किया और दिमासा की लेखिका अनुपमा नाइडिंग को पिछले वर्ष 2023-24 का स्वर्गीय अर्जुन चंद्र बर्मन स्मृति पुरस्कार देने का निर्णय हुआ। यह पुरस्कार उन्हें दिल्ली में 15 दिसम्बर को राष्ट्रीय कवि सम्मलेन के दौरान मुख्य अतिथि द्वारा सम्मान सहित दिया जाएगा।
दिमासा लेखिका अनुपमा नाईडिंग असम के उत्तर कछार पहाड़ी जिला (जो अब दीमा हासाओ के नाम से जाना जाता है) की आदिवासी महिला हैं। 1978 में स्नातक की शिक्षा के बाद 1984 में स्कूल की नौकरी के दौरान बी एड की पढ़ाई पूरी की और वर्ष 1996 में सेवा निवृत हो गयी। अनुपमा वर्ष 1981 से 1984 तक हॉफलोंग दिमासा महिला समिति को महासचिव रही और 1989-1992 तक सक्रिय थी और साल 1995 में इसी समिति की उपाध्यक्ष रही। वर्ष 2004 में अध्यक्ष चुनी गयी। वह दिमासा साहित्य सभा की भी आजीवन सदस्य है।
उनको कई संस्था के पुरस्कार अब तक साहित्य,सांस्कृतिक और समाज सेवा के लिए प्राप्त हो चुके हैं। जिसमे डॉ अम्बेडकर फ़ेलोशिप, असम शिक्षा विभाग,दिमासा स्टूडेंट यूनियन, दिमासा साहित्य सभा आदि द्वारा सम्मानित किया जा चूका है।
अनुपमा, दिमासा भाषा और बांग्ला भाषा की हर विधा में लिखती है। ऑल इंडिया रेडिओ के “माई टॉक्स” कार्यक्रम के लिए हिंदी और दिमासा में कई प्रकार का लेखन किया और उनकी कई कविता भी प्रसारित हुई है। इन्होने दिमासा भाषा में “रामायण” का बच्चों के लिए अनुवाद भी किया है और “महाभारत” को भी काव्य रूप में प्रस्तुत किया है।
प्रज्ञा मेल बहुभाषी कवि सम्मेलन के मुख्य संरक्षक लोकसभा के सांसद कृपानाथ मल्लाह ने अनुपमा नाईडिंग के चुनाव को राष्ट्रीयता का प्रतीक बताया, तो आयोजन समिति के संरक्षक एवं जानेमाने लेखक हितेश व्यास ने इसको बहुभाषी प्रस्तावों में से सर्वश्रेष्ठ चयन बताया। प्रज्ञा मेल के प्रधान संपादक अरुण बर्मन ने इसे क्षेत्रीय भाषा को राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ने का एक प्रयास कहा।
प्रज्ञा मेल प्रकाशन समूह के मानद राष्ट्रीय सलाहकार रत्नज्योति दत्ता ने कहा, “हमें अनुपमा नाईडिंग जी को एक जीवित प्रतीक के रूप में सम्मानित करने का सौभाग्य मिला है, जिन्होंने राष्ट्रीय एकता के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्र में भाषा सद्भाव के विषय को बढ़ावा दिया है।”
इसी कड़ी में उदयीमान कवियों के लिए दिए जाने वाला “साहित्य रत्न” और “कवि रत्न ” की घोषणा भी शीघ्र की जाएगी। उसपर विचार चल रहा है।