फॉलो करें

दीफू में कार्बी वस्त्रों के जीआई पंजीकरण पर अहम चर्चा, सीईएम रोंगहांग ने अहम चर्चा में ली भाग

65 Views
पंकज चौहान  खेरोनी, १४ अक्टूबर : मंगलवार को दीफू में कार्बी आंगलांग स्वायत्त परिषद (काक) सचिवालय में कार्बी पारंपरिक वस्त्रों के लिए भौगोलिक संकेतक (जीआई) पंजीकरण प्राप्त करने पर एक महत्वपूर्ण चर्चा हुई। इस पहल का उद्देश्य कार्बी समुदाय की अनूठी बुनाई विरासत को संरक्षित और प्रोत्साहित करना है, ताकि उनकी सांस्कृतिक और कलात्मक धरोहर को कानूनी मान्यता और संरक्षण मिल सके। चर्चा की अध्यक्षता कार्बी आंगलांग स्वायत्त परिषद के मुख्य कार्यकारी सदस्य तुलिराम रोंगहांग ने की, जिसमें कई कार्यकारी सदस्यों, स्वायत्त परिषद के सदस्य, सीईएम के सलाहकारों और काक के विभागीय अधिकारियों ने हिस्सा लिया।
 बैठक में कार्बी पारंपरिक वस्त्रों, जैसे पिनी (महिलाओं द्वारा कमर के नीचे पहना जाने वाला परिधान), पेकॉक (बांधने या जोड़ने के लिए उपयोग), वमकोक (कार्बी महिलाओं द्वारा कमर पर पहनी जाने वाली पेटी), सेलेंग (कार्बी पुरुषों द्वारा पहना जाने वाला सफेद कपड़ा, जिसमें बारीक नक्काशी होती है और इसे जांघों के बीच में से पीछे की ओर बांधा जाता है), जिसो खोनजारी, और जिर`इक (पिबा) को संरक्षित करने के महत्व पर जोर दिया गया। ये सभी कार्बी पारंपरिक परिधानों का अभिन्न हिस्सा हैं।
यह कदम असम के मौजूदा जीआई-टैग प्राप्त उत्पादों, जैसे मूंगा सिल्क, असमिया गमोसा, मेखला चादर और बोडो एरी के साथ संरेखित है, जो राज्य की समृद्ध वस्त्र विरासत को और ऊंचा उठाता है। जीआई पंजीकरण से कार्बी वस्त्रों को वैश्विक मान्यता मिलने की उम्मीद है, साथ ही उनकी प्रामाणिकता और सांस्कृतिक महत्व की रक्षा होगी।

Share this post:

Leave a Comment

खबरें और भी हैं...

लाइव क्रिकट स्कोर

कोरोना अपडेट

Weather Data Source: Wetter Indien 7 tage

राशिफल