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सन 1962 भारत – चीन युद्ध के साक्षी रह चुका ऐतिहासिक डिब्रू सैखोवा रेल पथ फिलहाल उदासीनता का दंश झेलते हुए इसके कई स्टेशन अपनी बदहाली और खंडहर बने अपनी अस्मिता के लिए हालात से जद्दोजहद कर रहे है । रेलवे विभाग की लापरवाही एवं अङियल रवैया की ओर इशारा करते हुए दुमदुमा में गत 17 जनवरी को केंद्रीय शिल्पी दिवस के आयोजन में शिरकत के दौरान अखिल असम छात्र संस्था के मुख्य सलाहकार डॉ समुज्ज्वल भट्टाचार्य ने रेल प्रशासन के हठकारी निर्णय के विरुद्ध प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। इसके साथ उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्ववाली भाजपा शासित केंद्र सरकार के रेल प्रशासन तथा उत्तर पुर्व के रेल प्रशासन के एक पक्षीय निर्णय से 1881 में निर्माण ऐतिहासिक डिब्रू सदिया रेल पथ पर कई सालों से रेल यातायात बंद किए जाने के कार्य पर तीव्र निंदा की तथा रेल यातायात पुनः बहाल की जाने की मांग की । उसने स्पष्ट रूप से कहा कि इस रेल मार्ग सेवा आरंभ करना ही होगा ।
आसू के नेतृत्व में कई बार आंदोलन के साथ डिब्रू – सैखोवा के वर्तमान अंश डिब्रुगढ से डांगरी के बीच रेल आवागमन बहाल किए जाने की मांग पर धारावाहिक रूप से आए आंदोलन करती आ रहो है । इसी कड़ी में आज दुमदुमा आंचलिक छात्र संस्था ने दोपहर दुमदुमा ऊचा माटी स्थित पुलिस पॉइंट के समीप तिनसुकिया रेल प्रबंधक विजय कुमार मिश्रा एवं उत्तर पूर्व सीमांत रेलवे के महाप्रबंधक अंशुल गुप्ता के पुतला जलाते हुए 26 जनवरी के भीतर डिब्रू सदिया रेल पथ पर रेल सेवा पुनः बहाल करने हेतु रेल विभाग को अंतिम समय सीमा बांध दिया है । दुमदुमा आंचलिक छात्र संस्था प्रागैतिहासिक रेल सेवा आरम्भ की मांग के साथ सांसद प्रदान बरुआ विधायक क्रमशः बलीन चेतिया, रूपेश ग्वाला, सुरेन फुकन और असम से प्रतिनिधित्व कर रहे दो केंद्रीय मंत्री रामेश्वर तेली एवं सर्वानंद सोनवाल के अलावा केंद्रीय रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव के हठी चरित्र का आरोप लगाते हुए कई नारों के साथ अपनी आवाज बुलंद की । दुमदुमा आंचलिक छात्र संस्था के सभापति उत्तम बरूआ, सचिव प्रतीम नेउग के नेतृत्व में पुतला जलाए जाने के बाद रेल सेवा प्रवर्तन की मांग में तिनसुकिया जिला उपायुक्त के मार्फत रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव को ज्ञापन भेजा । जिला उपायुक्त की ओर से दुमदुमा राजस्व चक्राधिकारी रननमय भारद्वाज ने ग्रहण किया।