शिलचर, 16 जून — स्वतंत्रता संग्राम के महानायक, क्रांतिकारी, कवि, अधिवक्ता और जननेता देशबंधु चित्तरंजन दास की 100वीं पुण्यतिथि के अवसर पर देशबंधु चित्तरंजन दास स्मृति रক্ষা समिति, शिलचर द्वारा एक गरिमामय श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ सोमवार सुबह 9 बजे न्यू शिलचर क्षेत्र के नेशनल हाईवे पॉइंट पर स्थित देशबंधु की प्रतिमा पर माल्यार्पण और पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया। इसके बाद देशबंधु के जीवन और योगदान को याद करते हुए एक स्मृतिचारण सभा आयोजित हुई।
समिति के सचिव साधन पुरकायस्थ ने स्वागत भाषण में देशबंधु की पूर्ण प्रतिमा की स्थापना से जुड़े वरिष्ठ सदस्यों का स्मरण किया। इस अवसर पर नेताजी सुभाष फाउंडेशन, कछार जिला अध्यक्ष एवं कवि-लेखक नीहार रंजन पाल ने कहा:
“इतिहास बार-बार यह सिद्ध करता है कि कोई भी राष्ट्र दूसरों की कृपा पर आश्रित रहकर कभी स्वतंत्र नहीं हो सकता। 1906 में देशबंधु चित्तरंजन दास ने जो विचार व्यक्त किए थे, उनकी अनुगूंज हमें नेताजी सुभाषचंद्र बोस के शब्दों में सुनाई देती है— ‘स्वतंत्रता कोई देता नहीं, उसे छीनना पड़ता है।'”
नीहार पाल ने देशबंधु को ‘दानी नेता, स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता, कवि-साहित्यकार और महान वकील’ के रूप में याद करते हुए कहा कि 16 जून 1925 को मात्र 54 वर्ष की आयु में उनका असमय निधन भारतीय राजनीति और स्वतंत्रता आंदोलन के लिए अपूरणीय क्षति थी।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं सहित समाज के विभिन्न वर्गों की भागीदारी रही। प्रमुख रूप से उपस्थित लोगों में रसराज दास, शतदल आचार्य, नीहार पुरकायस्थ, बाबुल धर, सौरभ देव, शिबु मिश्रा, नवद्वीप दास, गोपाल राय, राजश्री दास, सुरजीत सोम आदि शामिल थे।
कार्यक्रम के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि देशबंधु के विचार और आदर्श आज भी युवाओं को प्रेरणा देते हैं और देश सेवा की भावना को सुदृढ़ करते हैं।




















