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शिलचर २४ नवंबर: छात्र संगठन आक्सा ने शिलचर में विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से बीर लाचित बरफूकन की ४०१वीं जयंती मनाई. शुक्रवार को शिलचर मध्य शहर सांस्कृतिक समिति के कार्यालय में आयोजित बैठक में आयोजकों ने दीप प्रज्ज्वलन के साथ लाचित के चित्र पर माल्यार्पण व पुष्पांजलि अर्पित की. प्रो निरंजन दत्त की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में विभिन्न वक्ताओं ने वीर लाचित बरफुकन के जीवन की विभिन्न उपलब्धियों पर प्रकाश डाला और नई पीढ़ी से लाचित के मार्ग पर चलकर आगे बढ़ने का आग्रह किया.
इस दिन कई लोगों ने टिप्पणी की कि जिस तरह से नायक लाचित बरफुकन को “लाचित सेना” का नाम देकर राज्य में उग्रवाद दिखाया जा रहा है। एक देशभक्त और बहादुर योद्धा, जिसने मुगल साम्राज्य के आक्रमण का विरोध किया और देश की खातिर अपने चाचा का सिर काटने में संकोच नहीं किया, के नाम पर राज्य में उग्रवाद भड़काना स्वीकार्य नहीं है। संगठन के पदाधिकारियों ने लाचित सेना को अस्तित्वहीन एवं नकली संगठन बताते हुए उन्हें अपनी गतिविधियों से बाज आने का आग्रह किया। उन्होंने यह भी कहा कि ४०० साल बाद भी लाचित बरफुकन की उपलब्धियां मिट नहीं पाई हैं. देश के एक बहादुर और शानदार योद्धा को कभी भी हेय दृष्टि से नहीं देखा जाएगा।
१६२२ से १६७२ तक लाचित बरफूकन को इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में याद किया जाएगा। इस अवसर पर वासुदेव शर्मा, कछार कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सिद्धार्थ शंकर नाथ, डॉ. पार्थ प्रतिम अधिकारी, देबाशुस विश्वास, विकास चक्रवर्ती और चयन भट्टाचार्य सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।




















