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” देश गान “

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” देश गान ”

कश्मीर से कन्याकुमारी तक
असम से गुजरात तक
कोटि कंठ से गूंजे एक ही स्वर
जय भारती….. जय भारती… जय भारती….!!
सूरज चमके तेरे ही भाल पर
सर पे है ताज हिमाला….
पाँव चूमे सागर अबिरत
कंठ मे गंगा की माला…
जय भारती… जय भारती… जय भारती….!

ऊँचे ऊँचे परबत हमारे
बलखाती है सब नदिया….
हरियाली हर खेतो का आंचल
इंहा झूमें धानो की बालिया…
जहाँ सूरज सबसे पहले आके
बिखरे है अपना उजाला…
पाँव चूमे सागर अबिरत
कंठ मे गंगा की माला….
जय भारती… जय भारती… जय भारती…!

आदर्श बने राम हमारे
पुरुषोत्तम वो कहेलाये…
कृष्ण दिए गीता सन्देश
कर्मवीर वो कहेलाये…
जहाँ हर आँगन तपोबन लगे
हर घर एक एक शीबाला…
पाँव चूमे सागर अबिरत
कंठ मे गंगा की माला
जय भारती…. जय भारती… जय भारती…!!
————————————-
बाबुल राजभर
तारापुर, शिलचर

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