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रंगों की गुलालों की
पिचकारियों की,
मदमस्तों की
ये होली।
राधा-कृष्ण की
शोभा यात्रा,
संकीर्तन की,
जय घोषों की,
ये होली।
जहाँ भी जाती,
छा जाती है
मतवालों की
ये होली।
आनंद से
भर देती है
सबकी ये झोली।
देखो आयी है
मनमोहक सी ये
दोल यात्रा,
निमाई की ये टोली
खेलने लगे सब
बालक-वृंद
झूम-झूम कर होली
डॉ मधुछन्दा चक्रवर्ती
सरकारी प्रथम दर्जा कॉलेज के आर पुरम





















