धर्मशाला से विशेष प्रतिनिधि के द्वारा: धर्मशाला के लिए 10 जून का दिन कई मायने में ऐतिहासिक रहा। एक तो राष्ट्रपति की उपस्थिति, दूसरे ड्रेस कोड का भारतीय करण करके ऐतिहासिक परिवर्तन, तीसरे सैकड़ों विद्यार्थियों को मेडल और उपाधियों से सम्मानित किया गया। पूरे देश भर में अंग्रेजों के जमाने से ही समावर्तन अनुष्ठान में टोपी और गाउन चल रहा था। उसे हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय ने हिमाचली टोपी और भारतीय परिधान में परिवर्तित करके एक ऐतिहासिक निर्णय लिया, जिसका अनुसरण धीरे-धीरे सभी विश्वविद्यालय करेंगे।

मुख्य अतिथि के रुप में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने समारोह को संबोधित करते हुए धर्मशाला के प्राकृतिक सौंदर्य, अध्यात्म और शिक्षा की सराहना की। उन्होंने कहा कि तिरंगे के लिए प्राण न्योछावर करने वाली यह धरती धर्म और अध्यात्म की धरती है। 1974 में पहली बार हिमाचल प्रदेश में अपने आने का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि यह पहला विश्वविद्यालय हैं जिसने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू किया है। राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर की प्रशंसा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि इनके नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश का विकास होता रहेगा कुलाधिपति और कुलपति इस विश्वविद्यालय को उन्नति के शिखर पर ले जाएंगे। उन्होंने कहा कि संस्थान के 12 वर्ष पूरे हो गए हैं, एलुमनी एसोसिएशन सक्रिय करना चाहिए और उनका गेट टुगेदर करना चाहिए। अन्नदान से भी बड़ा है विद्यादान, शिक्षा से नैतिक और चरित्र बल मजबूत होता है। उन्होंने कहा कि देश के उत्थान में युवा वर्ग की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। पदक प्राप्त करने वालों में बेटियों की संख्या ज्यादा होने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उन्होंने याद दिलाया कि लोक सेवा आयोग की परीक्षा में प्रथम तीन स्थान बेटियों ने ही हासिल किया। श्री कोविंद ने कहा कि अभी दीक्षा पूरी हुई है शिक्षा जीवन पर्यंत चलती रहेगी।

एकेडमिक काउंसिल और एक्सक्यूटिव काउंसिल के सदस्य की शोभा यात्रा के सभागृह में प्रवेश के साथ ही राष्ट्रपति व अन्य अतिथियों ने भी सभाकक्ष में प्रवेश किया। अतिथियों के आसन ग्रहण के साथ ही राष्ट्रगान की धुन बजाई गई और विश्वविद्यालय का कुलगीत गाया गया। वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री, राज्यपाल, केंद्रीय मंत्री, कुलाधिपति व कुलपति ने दीप प्रज्वलन कर के दीक्षांत समारोह का शुभारंभ किया। दीक्षांत समारोह का संचालन इंदर सिंह ठाकुर तथा कुलसचिव प्रोफेसर विशाल सूद ने किया। कुलपति प्रोफेसर सत्यप्रकाश बंसल ने कुलाधिपति के अनुमति से दीक्षांत समारोह को शुभारंभ की घोषणा की। कुलपति प्रोफ़ेसर सत्यप्रकाश बंसल ने राष्ट्रपति को हिमाचली शाल, थाली और स्मृति चिन्ह से सम्मानित किया। मंचासीन अतिथियों राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर को कुलपति ने हिमाचली शाल और स्मृति चिन्ह से सम्मानित किया।

सर्वप्रथम मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अपने उद्बोधन में हिमाचल प्रदेश को छोटा प्रदेश केंद्र सुंदर प्रदेश की उपमा देते हुए कहा कि हमारा राज्य शिक्षा के क्षेत्र में कई बड़े राज्यों से भी आगे हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश ने शिक्षा के क्षेत्र में अनेक आयाम स्थापित किए हैं। यह विश्वविद्यालय भी जल्दी ही अपने भवन में सभी सुविधाओं से लैस होकर स्थापित होगा। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि आप यहां से निकल कर देश और समाज के लिए योगदान दे सकेंगे।
कुलपति प्रोफेसर सत्यप्रकाश बंसल ने वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए कहा कि हमने विश्वविद्यालय परिवार में एकात्म भाव स्थापित करने का लक्ष्य लिया था, इसमें हम सफल हुए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में स्तरीय सुविधा ना होने पर भी विश्वविद्यालय उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहा है। एम ए इन हिंदू स्टडीज प्रारंभ करने वाला पहला विश्वविद्यालय है। खेल प्रतियोगिताओं के आयोजन से प्रतिभाशाली खिलाड़ियों का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं।

राज्यपाल ने किस्मत कुमार सहित 5 शोधार्थियों को गोल्ड मेडल विद्यावाचस्पति (पीएचडी) उपाधि प्रदान की। राष्ट्रपति ने दीपिका और आयुषी गौतम सहित 10 स्नातक एवं स्नातकोत्तर विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल प्रदान किया। राष्ट्रपति ने समारोह को संबोधित करने के पश्चात सभा कक्ष से यह कहते हुए प्रस्थान किया कि मेरा प्रयास है की मैं जितना जल्दी निकलूं, उतना ही आप लोगों को आराम मिलेगा। क्योंकि राष्ट्रपति के प्रोटोकॉल के चलते लोग एक घंटा पहले से बैठे हुए थे और अंदर में पानी ले जाना भी एलाऊ नहीं था। राष्ट्रपति के प्रस्थान के पश्चात लोगों को मिष्ठान और जल वितरण किया गया फिर लोगों ने राहत की सांस ली। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में आयोजित समारोह में लोगों को मोबाइल सहित कई जरूरी चीजें भी घर में छोड़कर आना पड़ा।
द्वितीय सत्र में मंच पर राष्ट्रपति के जाने के पश्चात परीक्षा नियंत्रक डॉ सुमन शर्मा और मुख्यमंत्री के जाने के पश्चात कुलसचिव प्रोफेसर विशाल सूद ने आसन ग्रहण किया। द्वितीय सत्र में राज्यपाल, मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, कुलाधिपति एवं कुलपति ने बाकी शोधार्थियों, स्नातकोत्तर छात्रों और स्नातक विद्यार्थियों को पदक और उपाधि प्रदान की।

भाजपा के युवा नेता चार बार के सांसद और केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने अपने वक्तव्य से जबरदस्त तालियां बटोरी। उन्होंने धर्मशाला को जन्मभूमि, कर्मभूमि, देवभूमि और वीरभूमि कहकर संबोधित किया। उन्होंने कहा कि आपकी सफलता के पीछे विश्व विद्यालय के आचार्यों एवं कर्मचारियों की कड़ी मेहनत है। श्री अनुराग जी ने कहा कि मैं तो खेलों में व्यस्त रहता था किंतु हमारे शिक्षकों ने मेरी शिक्षा में कोई कमी ना आए इसके लिए भरपूर प्रयास किया, जिसके परिणाम स्वरूप यहां खड़ा हूं। चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह ने देश के लिए अपना बलिदान दिया, आप सभी को देश के लिए अपना योगदान देना है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की सराहना करते हुए भारत सरकार की उपलब्धियों का वर्णन किया।
राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने अपने संबोधन में कहा कि आज का दिन विशेष है। आप यह उपाधियां लेकर समाज में जाने वाले हैं। दीक्षांत हुआ है, शिक्षा चलती रहेगी, इसकी कोई समय सीमा नहीं है। उन्होंने पूछा कि विश्वविद्यालय की पढ़ाई किसलिए, क्या करने के लिए? क्या घरवालों ने कहा इसलिए या नौकरी के लिए? उन्होंने कहा कि हम जॉब देने वाले बन सकते हैं क्या, इंटरप्राइज खोल सकते हैं क्या? विश्वविद्यालय ने हमें एक विचार दिया है, नई शिक्षा नीति हमें यह सोचने पर मजबूर कर रही है कि हमने अब तक क्या किया? अगले 25 वर्षों के लिए हमें सोचना है।”सत्यं वद, धर्मं चर” कहते हुए उन्होंने युधिष्ठिर का उदाहरण दिया।
कुलाधिपति हरमिंदर सिंह बेदी ने बताया कि नई शिक्षा नीति के लिए ढाई लाख लोगों से संपर्क किया गया, संवाद किया गया फिर बनी नई शिक्षा नीति। हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय ने इसे सबसे पहले लागू किया है। हमें प्राचीन ज्ञान परंपरा को आधुनिक संदर्भ में कैसे समाहित किया जाए इसका ध्यान रखते हुए शिक्षा देना है। कुलसचिव प्रोफेसर विशाल सूद ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

समारोह में उपस्थित प्रमुख व्यक्तियों में स्थानीय सांसद, पुलिस महानिदेशक, मुख्य सचिव, हिंदी अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय वर्धा के कुलपति प्रोफेसर रजनीश कुमार शुक्ल, हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर टंकेश्वर कुमार, पूर्व कुलपति संजीव शर्मा, कृषि विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश के कुलपति एच के चौधरी, एकेडमिक काउंसिल के सदस्य असम के पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता दिलीप कुमार, राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय की हिंदी की विभागाध्यक्ष लक्ष्मी अय्यर, प्रोफ़ेसर प्रदीप कुमार, डॉ आशीष नाग, डॉक्टर संजीत सिंह, मनप्रीत अरोड़ा, अदिति शर्मा, मनोज सक्सेना, जगतार सिंह गुलेरिया, नारायण सिंह राव, चेतराम जी, शिवराम जी, वृहस्पति मिश्रा आदि शामिल थे।
दीक्षांत समारोह से पूर्व पूर्वाह्न 10:00 बजे एकेडमिक काउंसिल की बैठक हुई, जिसमें ड्रेस कोड परिवर्तन सहित विभिन्न विषयों पर काउंसिल ने अनुमोदन दिया। 12:00 बजे एक्सक्यूटिव काउंसिल की भी बैठक आयोजित हुई।





















