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चलो छोड़ो उनको, ओ साथी,
मुश्किल है अब कुछ भी कहना।
मित्र ने कहा था संग रहेंगे,
सुख-दुख में सदा साथ बहेंगे।
दोस्ती चलेगी उम्रभर,
उसकी बातों पर था विश्वास प्रखर।
पर अब वही पहचान से इनकार करे,
क्या वो सच्चा दोस्त कहे?
अब वैसी बात नहीं रही,
जो पहले सी दोस्ती में थी।
इसलिए कहते हैं, छोड़ो उनको,
जो नहीं समझे तुम्हारे दुख को।
जिन्हें न हो तुम्हारी कदर,
उनके लिए क्यों हो हम बेखबर?
आगे बढ़ो, है खुशियों की लहर,
छोड़ो ग़म, ना देखो पिछला सफर।
माना खो गए उसकी दोस्ती में,
पर अब दिखी सच्चाई उसकी हस्ती में।
मन भर गया अब उस चाल से,
चलो छोड़ो उनको, उस जाल से।
अब बढ़ो लक्ष्य की ओर,
मंज़िल दे रही है दस्तक हर ओर।
माता-पिता का विश्वास निभाना,
मंज़िल तक संग उनके ही जाना।
पूरी होगी तब ही कामयाबी,
जब छोड़ो नकली दोस्ती की खराबी।
जो हर पल अपना कहे,
फिर दूसरे पल पराया रहे।
चलो छोड़ो ऐसे झूठे दोस्त को,
चलो बढ़ो अपनी सच्ची खोज को।
मंज़िल बुला रही है दूर खड़ी,
साथ है दुआएं और उम्मीद बड़ी।
Ashok B
B.com 4th semester
Govt first grade college K R Pura Bangalore-36





















