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नग्नता की भीड़ में मानवता की रोशनी

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नग्नता की भीड़ में मानवता की रोशनी
शिलचर के ‘Anup Vlogs Silchar’ की मानवीय पहल से सोशल मीडिया पर फैल रही है सकारात्मक सोच
राजु दास, शिलचर: आज का सोशल मीडिया मतलब व्यू, लाइक और ट्रेंड का अनवरत दौड़। इस दौड़ में इंसानियत की संवेदनशीलता जैसे खोती जा रही है, करुणा की ध्वनि जैसे मद्धम पड़ गई है। ऐसे ही समय में शिलचर के युवा अनूप दास अपने फेसबुक और यूट्यूब पेज Anup Vlogs के ज़रिए एक अलग मिसाल पेश कर रहे हैं— जहां मनोरंजन के साथ घुली हुई है मानवता की सच्ची भावना।
“कुछ कंटेंट में जान होती है” — यह वाक्य जैसे अनूप के हर काम की आत्मा है। गरीबों की मदद करना, भूखे पेट को खाना खिलाना या बेघर लोगों तक नए कपड़े पहुँचाना ये सब उनके कंटेंट का हिस्सा हैं, लेकिन ये महज़ दान नहीं। इसके ज़रिए अनूप समाज को सिखा रहे हैं कि कंटेंट का मतलब अश्लीलता नहीं, इंसानियत भी दिल जीतने का सबसे बड़ा तरीका हो सकती है।
जहां आज सोशल मीडिया पर नग्नता, विवाद और बनावट हेडलाइन बनाते हैं, वहीं अनूप के वीडियो जैसे एक ऑक्सीजन की तरह राहत देते हैं। उनके हर वीडियो में मुस्कान होती है, लेकिन साथ ही एक गहरी सीख— मदद भी मनोरंजन हो सकती है, और मनोरंजन भी जागरूकता का माध्यम।
शहर की गलियों और कोनों में घूमता उनका कैमरा कभी किसी गरीब बूढ़ी औरत के कंधे पर ठंडी सुबह में कंबल डालता है, कभी किसी भूखे बच्चे को खाना देता है, तो कभी किसी बेबस इंसान के चेहरे पर फिर से मुस्कान लौटाता है। ये छोटी-छोटी पहलें अब बहुतों की सोच बदल रही हैं। उनके काम जैसे चुपचाप कह देते हैं वायरल होने के लिए शरीर नहीं, दिल चाहिए।
कंटेंट का मतलब लाइक, व्यू या सब्सक्राइबर नहीं— असली इनाम वह पल है, जब किसी बेबस चेहरे पर खुशी झलकती है। कंटेंट सिर्फ वीडियो नहीं, बल्कि एक मानवीय अनुभव है जो दर्शक के दिल को छू जाता है।
शिलचर के इस युवा की पहल समाज में एक गहरी बात फैला रही है नग्नता से भरे इस डिजिटल दौर में भी सभ्यता ज़िंदा है, इंसान का दिल अब भी प्रेम से भरा है, और मानवता अब भी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में सांस ले रही है।

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