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नये आयामों को जाग्रत करेगा-‘अंतरराष्ट्रीय विश्व ध्यान दिवस।’- सुनील महाला

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भारत निरंतर विश्व पटल पर अपनी छाप छोड़ रहा है। योग हो या ध्यान, भारत ने युगों-युगों से विश्व को ऐसा कुछ दिया है, जो शायद ही विश्व के किसी अन्य देश ने संपूर्ण विश्व को दिया हो। शायद इसीलिए भारत को विश्व गुरू की संज्ञा दी जाती रही है। यह बहुत ही हर्ष और खुशी का विषय है कि 11 दिसम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र के 177 सदस्यों द्वारा 21 जून को विश्व योग दिवस’ को मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी के बाद अब 21 दिसंबर के दिन को विश्व ‘विश्व ध्यान दिवस’ के रूप में मनाने जा रहा है। सच तो यह है कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के बाद अब भारत ने विश्व को एक और भारतीय विधा-‘ध्यान’ से लैस किया है। उल्लेखनीय है कि ध्यान मनुष्य के विकारों का शमन करता है। वास्तव में, ध्यान का अर्थ है, अपने भीतर नए आयाम जागृत करना।जीवन का मूल उद्देश्य खिलने की उस सर्वोच्च अवस्था तक पहुंचना है, जहां तक पहुंचना संभव है। ध्यान खिलने के लिए खाद्य पदार्थ है। ध्यान से सकारात्मक स्थितियों का निर्माण किया जा सकता है और आज के तनाव और अवसाद भरे जीवन में एक नई ऊर्जा, नई उमंग, नये जोश का सहज ही समावेश किया जा सकता है। कहना ग़लत नहीं होगा कि ध्यानस्थ रहकर नकारात्मक मनोभावों पर नियंत्रण का अभ्यास होता है और इससे क्रोध, काम, लोभ और मोह के बंधनों से मुक्ति मिलती है। आज के इस युग में स्वयं को ढूंढने के लिए ध्यान ही एकमात्र विकल्प है। ध्यान, मनुष्य को यंत्रवत होना छोड़ना सिखाता है और शान्ति, संयम(धैर्य ) अहिंसा को जन्म देता है। कहना ग़लत नहीं होगा कि ध्यान अनावश्यक विचारों को मन से निकालकर शुद्ध और आवश्यक विचारों को मस्तिष्क में जगह देता है। यह मनुष्य की आत्मिक शक्ति का विकास करता है और मनुष्य के तन, मन और आत्मा के बीच लयात्मक सम्बन्ध बनाता है और उसे बल प्रदान करता है। बहरहाल, पाठकों को जानकारी देना चाहूंगा कि संयुक्त राष्ट्र(यूएन) महासभा ने भारत द्वारा सह-प्रायोजन एक मसौदा प्रस्ताव को सर्वसम्मति से स्वीकार करते हुए 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस (वर्ल्ड मेडिटेशन डे) घोषित किया है।भारत के साथ लिकटेंस्टीन, श्रीलंका, नेपाल, मैक्सिको और अंडोरा उन देशों के मुख्य समूह के सदस्य थे, जिन्होंने 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा में ‘विश्व ध्यान दिवस’ शीर्षक वाले प्रस्ताव को शुक्रवार को सर्वसम्मति से पारित करने में अहम भूमिका निभाई। वास्तव में यह अत्यंत काबिले-तारीफ है कि भारत ने विश्व कल्याण की दिशा में यह एक बेहतरीन कदम उठाया है। युगों युगों से भारत का लक्ष्य समग्र मानवता का कल्याण रहा है। भारत विश्व का एकमात्र ऐसा देश है जो कि अपने सभ्यतागत सिद्धांत ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ को लेकर चलता है और संपूर्ण विश्व को सदैव सकारात्मकता, शान्ति, संयम, आपसी सहयोग, मेलजोल, सौहार्द और सद्भावना का अनूठा संदेश देता है। उल्लेखनीय है कि भारत ने अपने सभ्यतागत सिद्धांत ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ को लेकर चलते हुए हाल ही में कोर समूह के अन्य देशों के साथ मिलकर संयुक्त राष्ट्र महासभा में 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस के रूप में घोषित करने के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से अपनाए जाने की प्रक्रिया का मार्गदर्शन किया है। पाठकों को जानकारी देना चाहूंगा कि 21 दिसंबर का दिन शीतकालीन अयनांत या संक्रांति का दिन होता है, जो भारतीय परंपरा के अनुसार ‘उत्तरायण’ की शुरुआत होता है, जो विशेष रूप से आंतरिक चिंतन और ध्यान के लिए वर्ष के एक शुभ समय की शुरुआत होती है। बहरहाल, विश्व ध्यान दिवस के संदर्भ में यह कहना ग़लत नहीं होगा कि यह हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की कूटनीति को विश्व स्तर पर एक और बड़ी कामयाबी है। हाल ही में शुक्रवार 6 दिसंबर 2024 को सभी देशों ने भारत के ‘विश्व ध्यान दिवस’ के प्रस्ताव को  स्वीकारते हुए एक तरफ से इसके पक्ष में वोटिंग की। बहरहाल, अंत में यही कहूंगा कि ध्यान मनुष्य मस्तिष्क और मनुष्य के समग्र कल्याण और विकास के लिए अत्यंत लाभकारी है। कहना ग़लत नहीं होगा कि ध्यान अपने अस्तित्व की खूबसूरती को जानने का एक तरीका है। पाठकों को बताता चलूं कि असल में ध्यान का अर्थ है, अनुभव के स्तर पर यह एहसास होना कि आप कोई अलग इकाई नहीं हैं – आप एक ब्रह्मांड हैं। सच तो यह है कि ध्यान का अर्थ है-‘ पूरी तरह से बोध में स्थित होना।’ वास्तव में पूरी तरह से मुक्त होने का यह(ध्यान ) अकेला मार्ग है। कहना ग़लत नहीं होगा कि एक दशक में जिस तरह से ‘योग दिवस’ एक वैश्विक आंदोलन बन गया है, जिसके कारण दुनिया भर में आम लोग योग का अभ्यास कर रहे हैं और इसे अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बना रहे हैं, आने वाले समय में ‘अंतरराष्ट्रीय ध्यान दिवस’ भी मानवता के समग्र कल्याण के संबंध में एक नायाब तोहफा व एक अनूठा आयाम बनकर उभरेगा।
(लेख मौलिक और अप्रकाशित है।)
सुनील कुमार महला, फ्रीलांस राइटर, कालमिस्ट व युवा साहित्यकार, उत्तराखंड।
मोबाइल 9828108858/9460557355

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