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पावन दिवस नवरात्रा में माँ तेरा अभिनंदन
चतुर्थ रूप कूष्मांडा माँ को करते हैं वंदन ,
अष्टभुजा में अमृतकलश,कमल पुष्प,जपमाला,
चक्र,गदा,कमण्डल, धनुष और बाण सोहे निराला,
कूष्मांडा माँ ने मंद मुस्कान से किया ब्रह्ममांड का निर्माण
आदि स्वरूपा आदि शक्ति माँ कूष्मांडा का करते गुणगान,
अस्तित्व नहीं सृष्टि का हर तरफ़ था सिर्फ़ घोर अन्धकार
ब्रह्म ,विष्णु ,महेश,तीनों देवों ने भी लिया यहाँ पर अवतार ,
रोग ,शोक, भय,सब मिल भागे ,भागे सब मन के विकार
हर तरफ़ कूष्मांडा माँ की होती हाँ होती जय जय कार ,
भव सागर तर जाता होता उनका हैं कल्याण
करते हैं जो माँ कूष्मांडा देवी का निरन्तर ध्यान,
एक मात्र माँ कूष्मांडा जिनका सूर्यमंडल में निवास
दसों दिशाओं में हैं फैला माँ तेरा ही तेरा प्रकाश ,
जय जय कूष्मांडा माँ,जय जय कूष्मांडा माँ
-सुषमा पारख
सिलचर ,असम
स्वरचित