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पावन दिवस नवरात्रा में माँ तेरा अभिनंदन
द्वितीय दिवस ब्रह्मचारिणी माँ देवी को वंदन ,
बायें हाथ सोहे कमण्डल सोहे दाँये में माला,
जगततारिणी जगदंबा,रूप ब्रह्मचारिणी निराला ,
थी पिछले जन्म देवी सती बेटी राजा दक्ष की
पति के सम्मान ख़ातिर ,सती ने जान वार दी ,
पाया जो गुरु नारद मुनि के उपदेश का ज्ञान,
तप से ही मिल पाएँगे तुझे शिव शंकर भगवान,
शैलपुत्री जगततारिणी हो तुम कष्टनिवारिणि
तप महिमा हैं भारी,आदिशक्ति तुम तपस्चारिणी,
हृदय में आपके हैं बसते सदा शंकर गिरधारी
हज़ार वर्ष कन्दमुल पर आपने की तपस्या भारी,
हुए प्रसन्न भोले बाबा माँ पार्वती के तप से
हो गये मुग्ध भोले ,देवी के सुंदर मस्तिष्क से ,
भोले ब्रह्मचारी ने रखा विवाह प्रस्ताव मन से
हो आप त्रिलोकनाथ पार्वती ने पहचाना तप से,
हुए प्रकट भोले शंकर अपनाने देवी पार्वती को
बेलपत्र नदी पानी से सती ने अंजाम दिया तप को ,
जय दुर्गे जय ब्रह्मचारिणी जय तपस्चारिणी ,कष्टहारिणी माँ ,
जय जय हो माँ जय जय हो माँ ,जय जय जय जय हो माँ,
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लेखिका-सुषमा पारख
सिलचर (असम)
स्वरचित