02 अप्रैल 2025, बुधवार – चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि। नवरात्रि के पांचवें दिन माता दुर्गा को केले का भोग अर्पित करने से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
स्कंदमाता की पूजा से मिलती है शांति और सुख
नवरात्रि के पांचवें दिन देवी दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की आराधना की जाती है। स्कंदमाता, जो देवासुर संग्राम के सेनापति भगवान स्कंद (कार्तिकेय) की माता हैं, भक्तों को सुख और शांति प्रदान करती हैं।
स्कंदमाता हमें यह सिखाती हैं कि जीवन स्वयं अच्छे और बुरे के बीच एक युद्धभूमि है, जिसमें हमें अपना सेनापति बनकर संघर्ष करना पड़ता है। उनकी पूजा से हमें जीवन की कठिनाइयों से जूझने की शक्ति प्राप्त होती है। इस दिन साधक का मन विशुद्ध चक्र में स्थित होकर एकाग्रता प्राप्त करता है, जिससे परम शांति और सुख की अनुभूति होती है।
आर्थिक परेशानी से मुक्ति के लिए उपाय
स्कंद पुराण में उल्लेख है कि पौष मास की शुक्ल पक्ष की दशमी, चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी (02 अप्रैल 2025, बुधवार) और सावन मास की पूर्णिमा लक्ष्मी पूजा के लिए विशेष रूप से शुभ माने गए हैं। यदि कोई व्यक्ति आर्थिक तंगी से परेशान है, तो इन विशेष तिथियों में माता लक्ष्मी के द्वादश नामों का जाप करके मानसिक रूप से उनकी आराधना करने से समृद्धि प्राप्त होती है। यह उपाय धन-संपत्ति में स्थिरता लाने में सहायक होता है।
माता लक्ष्मी के द्वादश मंत्र:
- ॐ ऐश्वर्यै नमः
- ॐ कमलायै नमः
- ॐ लक्ष्मयै नमः
- ॐ चलायै नमः
- ॐ भूत्यै नमः
- ॐ हरिप्रियायै नमः
- ॐ पद्मायै नमः
- ॐ पद्माल्यायै नमः
- ॐ संपत्यै नमः
- ॐ ऊच्चयै नमः
- ॐ श्रीयै नमः
- ॐ पद्मधारिण्यै नमः
मंत्र प्रभाव:
- सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्ति प्रदायिनि। मंत्रपूर्ते सदा देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तुते॥
- द्वादश एतानि नामानि लक्ष्मी संपूज्य पठेत। स्थिरा लक्ष्मीर्भवेतस्य पुत्रदारादिभिः सह॥
जो व्यक्ति इन द्वादश नामों का इन विशेष दिनों में श्रद्धा और विश्वास के साथ जाप करता है, उसके घर में माता लक्ष्मी स्थायी रूप से निवास करती हैं और आर्थिक समस्याओं का धीरे-धीरे निवारण हो जाता है।





















