बराक घाटी में बंगाली भाषा के अधिकारों की रक्षा का आह्वान
शिलचर, 16 अप्रैल: समय निरंतर प्रवाहमान एक नदी की तरह है—जो किसी के लिए नहीं रुकती। आदिकाल से लेकर आधुनिक युग तक, मानव सभ्यता का विकास समय के साथ चिह्नित होता रहा है। जीवन की इस धारा में महीनों और वर्षों की गणना का विशेष महत्व है। इसी भावना के साथ शिलचर प्रेस क्लब में नववर्ष 1432 बंगाब्द के स्वागत में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर ‘सभ्यता का इतिहास और समय परिवर्तन’ विषय पर चर्चा आयोजित की गई, जिसमें वक्ताओं ने समय की महत्ता और समाज के बदलाव पर प्रकाश डाला। साथ ही बराक घाटी में बंगाली भाषा और संस्कृति की रक्षा के लिए सामूहिक प्रयासों का आह्वान किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत कवयित्री महुआ चौधरी द्वारा उद्घाटन कविता पाठ से हुई, जिसके बाद अनिमेष देव, अपूर्वा देव और अनन्या देव ने सरस सांगीतिक प्रस्तुति दी। मुख्य वक्ताओं में वरिष्ठ पत्रकार व कवि अतीन दास, प्रेस क्लब के महासचिव शंकर दे, विधायक कमलाक्ष दे पुरकायस्थ, यूटीडीसी अध्यक्ष संजीत देवनाथ, प्रोफेसर सुब्रत देव, पत्रकार चयन भट्टाचार्य, ‘आश्वास’ संस्था की अध्यक्ष अरुंधति गुप्ता और कवि शतदल आचार्य प्रमुख रहे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता विकाश चक्रवर्ती ने की। सांस्कृतिक प्रस्तुति के अंतर्गत सुप्रसिद्ध गायक राजदीप चौधरी ने अपनी प्रस्तुति से उपस्थित दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इस आयोजन के माध्यम से न केवल नववर्ष का स्वागत हुआ, बल्कि बराक घाटी में बंगाली भाषा और संस्कृति की रक्षा और प्रचार-प्रसार को लेकर एक गंभीर सामाजिक संदेश भी दिया गया।





















