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नव दंपति की कहानी स्त्रियों‌‌ के नैतिक पतन से मानवीय रिश्ते खतरे में- मीना दुधोरिया

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नव दंपति की कहानी स्त्रियों‌‌ के नैतिक पतन से मानवीय रिश्ते खतरे में- मीना दुधोरिया

किसी भी ,किन्हीं भी परिस्थितियों में तथा किसी भी समाज में स्त्रियों का स्थान सदैव महत्वपूर्ण है।मनुष्य के व्यक्तित्व का निर्माण करने में उन्हें का हाथ रहता था और वही व्यक्तित्व समाज व राष्ट्र का निर्माण करता है। परोक्ष रूप में राष्ट्र की उन्नति व अवनति स्त्रियों की स्थिति पर ही अवलंबित है अगर समाज में स्त्रियां शिक्षित सुयोग्य ग्रहणी व आदर्श माता  है तो संतान भी गुणवान वीर तथा बुद्धिशाली होगी ।भारत वर्ष सदैव समाज में स्त्रियों को महत्वपूर्ण स्थान देता रहा है। सीता, सावित्री के आदर्श किसी भारर्तियों से छिपी नहीं । स्वामी विवेकानंद के शब्द में÷
        ” स्त्रियों की पूजा करके ही सब जातियां बड़ी हुई है। जिस देश में जिस जाति में ,स्त्रियों की पूजा नहीं होती ,वह देश, वह जाती, कभी बड़ी नहीं हो सकी और ना हो सकेगी ।तुम्हारी जाति का जो इतना अध:पतन हुआ है,उसका प्रधान कारण है इन्ही सब शक्ति मूर्तियों का अब मानना”।
         स्त्री के मातृत्व की पूजा भारत वर्ष का आदर्श रहा है।प्राचीन भारत स्त्रियों को बहुत महत्व देता था। इस प्रकाश स्पष्ट है कि उसे समय स्त्रियों बहुत पवित्र उजजल दृष्टि से देखा जाता था। वेदों में एक स्थान पर कहा गया है कि,हे वधू !जहां पर तु ब्याही गई हे ,वही की तू पूर्ण रूप से  साम्राज्ञी है,वह तेरा ही साम्राज्य है, तेरे समस्त कुटुंब जन उस राज्य के संतुष्ट रहे ।
      पर्दे की कथा तो आज समय नाम मात्र ही नहीं। विदुषी गार्गी का उदाहरण उदाहरण देना उसके लिए पर्याप्त होगा महिलाएं राजकारियों में भी भाग लिया करती थी। बहुत समय बाद तक यह प्रथा प्रचलित रही राज्यश्री बराबर राज्यसभा में उपस्थिति रहती तथा परामर्श भी देती थी गार्गी, मैत्न्नैय,लोपामुद्रा आदि कोई ऋषि काए थी ,जिन्होंने वेदों की रचनाएं भी लिखी है।जैन शास्त्रों में भी महिलाओं का नाम भरे पड़े हैं जो बड़ी विदुषी थी ।चंदन-बाला मृगावती, ब्राह्मी ,सुंदरी आदि १६ सतियां तो थी ही, इनके अलावा भी कई आर्योए थी, जो बड़ी विदुषी थी ।आजकल के लोग चाहे इन बातों को विश्वास ना करें पर उनके स्त्रियों का सामान्य का अधिकार का सिद्धि में बाधा नहीं पड़ सकती।
       सीता जी के दोबारा वनवास के बाद जब राजसूर्य यज्ञ होने लगा ,तब सीता जी की उपस्थिति उस योग्य में आवश्यक समझी गई ।एक स्वर्ण मूर्ति बनवा कर  हीउनके अभाव की पूर्ति कर ली गई ।
      मध्यकाल में स्त्रियों का स्वतंत्रता उन्नति न रही जितनी प्राचीन काल में मिलती थी। धीरे-धीरे आर्थिक दृष्टि से भी स्त्रियों का अधिकार काम हुआ और पुरुष स्त्री एक साधारण दासी के रूप में समझने लगा स्त्री का स्वतंत्र विचार शक्ति व्यक्तित्व लोप – सा हो गया ।
      राजपूतों के समय में स्त्रियों का वीरता तथा शौर्य का पूर्ण रूप में नाश नहीं हो गया था ।रानी दुर्गावती ,लक्ष्मीबाई आदि का उदाहरण भारतीय इतिहास में सर्वदा अमर रहेंगे ।
     मुगलों के आक्रमणों में उनकी जीत हो जाने पर अपने सतीत्व की रक्षा करने वे लिए स्वत: ही अग्नि में जलकर भस्म हो जाती थी। स्त्रियों का अनुपम जीवित त्याग के उदाहरण विश्र में कहीं भी नहीं मिल सकता ।
       वर्तमान युग में महिलाएं किन्हीं बुराइयों को दूर करते हुए किन्हीं आंशो में समाज -सुधार की आवाजें उठाते हुए वर्तमान युग का प्रारंभ  परम होता है। बाल विवाह रोकने के लिए प्रार्थना किए गए, शारदा एक्ट’ के द्वारा गैर-कानूनी घोषित हो गए। आर्थिक स्वतंत्रता के लिए आवाजें उठाई गई ।पैत्रकसंपत्तियों में स्त्रियों का अधिकार प्रश्न आजकल महत्वपूर्ण हो गया।
     स्त्री पुरुष समाज के दो अविभाजय अंग है ।दोनों की समान रूप में उन्नति और जागृति के बिना सामाज की उन्नति नहीं स्वतंत्रता के भिन्नता है कल की उपासना और असली एशियाई सुंदर प्रदर्शन भिन्न वस्तु है आज भारत में स्त्रियों की जागृति की भावना बढ़ती जा रही है।
 भारत में ऐसा राज्य है जहां स्त्रियों का पूरा अधिकार है, शादी करके दूल्हा लाती है अधिकार प्राप्त होते हुए भी पुरुषों का नाम स्थान ऊपर रखती है ।विगत 27 सालों से मैं मेघालय राज्य में प्रवास कर रही हूं १९९९ से लेकर २०२५ में यही हूं मैं अनुभव किया भारत में महिलाएं सुरक्षित राज्य है तो मेघालय है औरत का सम्मान आदर व्यवहार देश का है तो मेघालय। बारिश प्रधान है प्राकृतिक सुनद्रय से घेरा हुआ है ज।नजाति 28 लाख आबादी है मिला-जुला धर्म राज्य है क्रिश्चियनिटी 75% है ।झरना प्राकृतिक पेड़ पौधे मनमोहन करने वाली है ।पर्यटक सालाना लुप्त लेने आते हैं ।व्यावहारिक जोड़े हनीमून के लिए भी आते हैं ।हाल ही में ऐसा एक जोड़ा आया मेघालय घूमने लेकिन हनीमून के लिए नहीं वह तो सुपारी हत्या के लिए आए। एन डी एफ ,एस डी एफ ,लोकल पुलिस सबको हिला दिया 11मई 2025 शादी होती है 23 मई को शिलांग आते हैं । फिर हनीमून के लिए होटल रूम जैसे लेते हैं लिए घूमने फिरने की बहुत सी जगह है यहां और अभी मौसम पूरा बारिश का है मानसून के साथ यहां बारिश बहुत ज्यादा होती है और खास करके मेई से लेकर जुलाई तक मौसम ज्यादा ही बारिश रहती है नव दंपति में राजा और सोनम ।राजा  कभी सोचा भी नहीं होगा, कि मौत मेघालय में लिखी होगी। गुवाहाटी आके कामाख्या दर्शन के बाद शिलांग आते शिलांग से 2 घंटे दूरी पर सबसे ज्यादा बारिश होने वाली जगह चेरापूंजी अभी उसे सोहारा कहते हैं वहां घूमने के बहाने जाकर दोनों ही गुम हो गए लगा कि स्थानीय लोग अपहरण कर लिया ।पुलिस में शामिल हुई। सोनम अपनी सास को कहती है कि मैं एकादशी का व्रत की हु क्यों उसी दिन से संपर्क टूट गया।
   पुलिस टूट गया घर वाले एसडीएफ एमडीएफ लोकल पुलिस तलाश रही थी ड्रोन की सहायता दी गई फिर एक दिन राजा की लाश मिलती है और सोनम नहीं मिल रही लाश को लेकर सनसनी चालू हो गई ।कोई बोल रहा है मार दिया ,चाकू मिला रेनकोट मिला और सोनम नहीं मिली   8 जून को गाजीपुर में काशी जय का जसका चाय की दुकान में मिलती है उन्होंने पुलिस को बताया पुलिस ने हिरासत में लिया फिर जांच चालूं,जरूरी हो ,जारी हुई की सोनम ने ही हत्या की है ।अब किसने क्योंकि वह हमें क्या पता। लेकिन मां ने अपने बेटे को खो दिया। परिवार बनता है दो रिश्तो से लेकिन यहां कुछ और ही सामने आया शादी एक पवित्र बंधन है अपनी मर्जी से करें या घर वाले की मर्जी से करें निभाना और निभा पाना स्त्रियों के हाथ में है। समय-समय पर स्त्रियों ने आवाज उठाई है लेकिन यह नव दंपति की कहानी ने भारत में एक सनसनी पैदा कर दी शादी के नाम पर अनहोनी हनीमून के नाम पर पैसा खर्चा फिर हत्या। माना कि कलयुग है जीवन बहुत छोटी है 84 लाख योनियों के बाद मनुष्य जन्म मिलता है ।इसे हम न गंवाए शादी नहीं करनी है तो ना करें किसी का बेटा गया शादी में पैसा गया किसी राज्य की बदनामी हुई औरत तू ही नारी बन न बिगड़ना तेरे हाथ में।

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