महत्वपूर्ण बैठक में CUTE परीक्षा रद्द करने की मांग
सिलचर, : ट्रंक रोड स्थित सीटीवीओए परिसर में नागरिक अधिकार संरक्षण समन्वय मंच, असम (सीआरपीसीसी) एवं कछार जिला एसोसिएशन के आह्वान पर एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता कछार जिला अध्यक्ष प्रोफेसर निरंजन दत्ता ने की, जिसमें सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि असम विश्वविद्यालय के कुलपति, देश और राज्य के शिक्षा मंत्री को ज्ञापन सौंपा जाएगा। साथ ही, बराक घाटी के सांसदों को इसकी प्रति दी जाएगी और 2 अप्रैल को CUTE परीक्षा रद्द करने की मांग को प्रमुखता से उठाया जाएगा।
बैठक की शुरुआत में प्रोफेसर अजय रॉय ने CUTE परीक्षा के खिलाफ आवाज उठाने का आग्रह किया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह परीक्षा गरीब परिवारों के छात्रों के लिए उच्च शिक्षा के दरवाजे बंद करने की साजिश है। उनका कहना था कि असम विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले कॉलेजों में पूर्व की प्रक्रिया से ही छात्रों को प्रवेश दिया जाना चाहिए, अन्यथा बड़ी संख्या में छात्र वंचित रह जाएंगे।
सीआरपीसीसी, असम केंद्रीय समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर तपोधीर भट्टाचार्य ने कहा कि बराक घाटी के छात्रों एवं आम नागरिकों के साथ लगातार अन्याय हो रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि देश के कानून में बदलाव कर नागरिकों को उनके मूल अधिकारों से वंचित करने का प्रयास किया जा रहा है। संगठन के महासचिव किशोर भट्टाचार्य ने बताया कि स्थानीय युवाओं को रोजगार से भी वंचित किया जा रहा है। पहले, बराक घाटी के युवाओं को तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की रिक्तियों में पूर्ण रूप से नौकरी मिलती थी, लेकिन अब उनकी भागीदारी लगभग शून्य हो गई है।
पूर्व प्राचार्य दीपंकर चंद ने भ्रष्टाचार और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण पर चिंता जताई, जबकि पूर्व शिक्षक सुब्रत चंद्र नाथ ने करीमगंज जिले के नाम परिवर्तन के पीछे छिपी विभाजनकारी नीति की आलोचना की। सामाजिक संस्था ‘यासी’ के अध्यक्ष संजीव रॉय ने कहा कि पिछले बजट में राज्य सरकार ने बराक घाटी के लिए मात्र 100 करोड़ रुपये आवंटित किए, जबकि राज्य के अन्य क्षेत्रों को हजारों करोड़ मिले।
डॉ. एम. शांति कुमार सिंह ने CUTE और NTA परीक्षाओं में भाषाई विविधता की अनदेखी की आलोचना की। उन्होंने कहा कि असम में बंगाली और मणिपुरी को मान्यता प्राप्त भाषाओं की सूची में होने के बावजूद, CUTE परीक्षा केवल अंग्रेजी और असमिया में आयोजित की गई। बंग साहित्य एवं संस्कृति परिषद के पूर्व शिक्षक गौतम प्रसाद दत्ता ने भी इस परीक्षा को अनुचित बताते हुए इसे रद्द करने और छात्रों की फीस वापस करने की मांग की।
संगठन के सदस्य हिलोल भट्टाचार्य ने कहा कि शिक्षा के केंद्रीकरण की यह नीति संविधान द्वारा प्रदत्त विश्वविद्यालयों एवं राज्य सरकारों के अधिकारों को कमजोर कर देगी और शिक्षा के व्यावसायीकरण को बढ़ावा देगी। फोरम फॉर सोशल हार्मोनी के अरिंदम देव ने राज्य सरकार पर पुलिस उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए यूएसटीएम के कुलपति और पत्रकार दिलवर हुसैन की गिरफ्तारी का उदाहरण दिया।
बैठक में संस्कृति समिति के संपादक विश्वजीत दास, श्रमिक नेता भवतोष चक्रवर्ती और अन्य प्रमुख हस्तियां भी मौजूद थीं। सभी ने एकमत से CUTE परीक्षा को रद्द करने और पारंपरिक प्रवेश प्रक्रिया को बहाल करने की मांग को समर्थन दिया।