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नाग पंचमी  क्यों मनाई जाती है-   डॉ.बी. के. मल्लिक

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नाग पंचमी सावन के महीने में आती है जो भगवान शिव को समर्पित एक पवित्र महीना है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, नागों को हमेशा एक विशेष स्थान दिया जाता है और उन्हें भगवान के रूप में पूजा जाता है। नाग पंचमी के इस शुभ दिन पर, भक्त भगवान के रूप में नागों, सर्पों या सांपों की पूजा करते हैं। लोग मिट्टी से सांप बनाते हैं और उन्हें अलग-अलग रूप देते हैं और उन्हें रंगते हैं, उनकी पूजा करते हैं और दूध और अन्य खाद्य पदार्थ चढ़ाते हैं। कई लोग विशेष रूप से दक्षिण भारत में नागों या सांपों से जुड़े मंदिरों में जाते हैं और उनकी पूजा करते हैं. उन मंदिरों में विशेष पूजा की जाती है और लोग इस त्योहार को बहुत भव्यता के साथ मनाते हैं। सपेरे भी सांपों को लेकर सड़कों पर निकलते हैं और उन्हें दूध और पैसे चढ़ाए जाते हैं।
भविष्यपुराण के अनुसार  पंचमी तिथि में नाग पूजा, इनकी उत्पत्ति और यह दिन खास  है। बताया गया है कि जब सागर मंथन हुआ था तब नागों को माता की आज्ञा न मानने के चलते श्राप मिला था। इन्हें कहा गया था कि राजा जनमेजय के यज्ञ में जलकर ये सभी भस्म हो जाएंगे। इससे सभी घबराए हुए नाग ब्राह्माजी की शरण में पहुंच गए। नागों ने ब्रह्माजी से मदद मांगी तो ब्रह्माजी ने बताया कि जब नागवंश में महात्मा जरत्कारू के पुत्र आस्तिक होंगे तब वह सभी नागों की रक्षा करेंगे। ब्रह्माजी ने पंचमी तिथि को नागों को उनकी रक्षा का उपया बताया था। वहीं, आस्तिक मुनी ने भी नागों को यज्ञ में जलने से सावन की पंचमी को ही बचाया था। मुनि ने नागों के ऊपर दूध डालकर नागों के शरीर को शीतलता प्रदान की थी। इसके बाद नागों ने आस्तिक मुनि से कहा था कि जो भी उनकी पूजा पंचमी तिथि पर करेगा उन्हें नागदंश का भय नहीं रहेगा। तब से ही सावन की पंचमी तिथि पर नाग पंचमी मनाई जाती है।
नागपूजा की प्रथा हमारे देश में प्राचीनकाल से चली आ रही है। इस दिन नागों की पूजा की जाती है और अगर किसी को नागों के दर्शन होते हैं तो उसे भी बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन घर में गोबर से नाग बनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस पूजा को करने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है और सर्पदंश का डर भी दूर होता है। बता दें कि भारतीय संस्कृति में नागों का बेहद ही अहम और बड़ा महत्व है। श्रावण माह के शुक्ल पक्ष में पचंमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है।
 *नाग पंचमी की पूजा*
नाग पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर पूजा किया जाता है। दीवार पर गेरू लगाकर पूजा का स्थान बनाया जाता है। साथ ही घर के प्रवेश द्वार पर नाग का चित्र भी बनाया जाता है। सुगंधित पुष्प, कमल व चंदन से नागदेव की पूजा की जानी चाहिए। खीर बनाई जाती है। इस खीर को ब्राह्मणों को परोसा जाता है साथ ही सांप को भी दिया जाता है। इसी खीर को प्रसाद के तौर पर खुद भी ग्रहण किया जाता है। सपेरों को दूध और पैसे भी दिए जाते हैं।
 दूध से इनका अभिषेक किया जाता है। कई जगहों पर चूल्हे पर तवा भी नहीं चढ़ाया जाता है क्योंकि कुछ लोग मानते हैं कि नाग का फन तवे जैसा होता है और चूल्हे पर तवे को रखना मतलब नाग के फन को जलाना होता है। साथ ही इस दिन मिट्टी की खुदाई भी नहीं की जाती है।
डॉ बी के मल्लिक
वरिष्ठ लेखक
9810075792

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