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निजी संपत्ति पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: 46 साल पुराने फैसले को पलटा

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नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने निजी संपत्तियों और सार्वजनिक भलाई के लिए इसके अधिग्रहण और इस्तेमाल को लेकर राज्य की शक्ति के संबंध में अहम फैसला सुनाया है. सीजेआई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने बहुमत से फैसला देते हुए कहा कि सभी निजी संपत्ति को राज्य सरकार अधिग्रहित नही कर सकती है, केवल कुछ संपत्ति को ही अधिग्रहित कर सकती है. इस फैसले के साथ ही 9 जजों की पीठ ने 1978 के सुप्रीम कोर्ट के ही ऐतिहासिक फैसले को पलट दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने यह जजमेंट संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) के दायरे से संबंधित एक मामले में सुनाया है. यह अनुच्छेद निजी संपत्तियों और ‘सार्वजनिक भलाई’ के लिए संपत्ति के अधिग्रहण और पुनर्वितरण पर राज्य की शक्ति से संबंधित है.

सीजेआई ने कहा कि– हमारा मानना ​​है कि केशवानंद भारती में जिस हद तक अनुच्छेद 31(सी) को बरकरार रखा गया है, वह लागू रहेगा और यह सर्वसम्मत है. सीजेआई ने कहा कि 42वें संशोधन की धारा 4 का उद्देश्य एक ही समय में अनुच्छेद 39(बी) को निरस्त करना और प्रतिस्थापित करना था. हम यह निष्कर्ष निकालते हैं कि असंशोधित अनुच्छेद 31सी लागू रहेगा. हम स्पष्ट करते हैं कि ना केवल उत्पादन के साधन, बल्कि सामग्री भी अनुच्छेद 39(बी) के दायरे में आते हैं.

सीजेआई ने कहा, “हमारा मानना ​​है कि किसी व्यक्ति के मालिकाना हक वाले प्रत्येक संसाधन को केवल इसलिए समुदाय का भौतिक संसाधन नहीं माना जा सकता क्योंकि यह भौतिक आवश्यकताओं की योग्यता को पूरा करता है.

सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि न्यायमूर्ति कृष्णा अय्यर का 1978 का फैसला, जिसमें निजी व्यक्तियों की सभी संपत्तियों को सामुदायिक संपत्ति कहा जा सकता है, लेकिन उन्नत समाजवादी आर्थिक विचारधारा में यह फैसला अस्थिर है.

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