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डॉली शाह को हेमचंद्र गोस्वामी सम्मान से नवाजा गया
गुवाहाटी, 12 अक्टूबर : स्थानीय प्रेस क्लब गुवाहाटी में नूतन साहित्य कुंज साहित्यिक संस्था का प्रथम अखिल भारतीय अधिवेशन गरिमामय माहौल में सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर असम सहित देश के विभिन्न राज्यों से अनेक प्रतिष्ठित साहित्यकारों और गणमान्य व्यक्तित्वों ने सहभागिता की।
कार्यक्रम का शुभारंभ संस्था के चार दिवंगत सदस्यों एवं लोकप्रिय गायक स्वर्गीय जुबिन गर्ग की स्मृति में दो मिनट के मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पण से हुआ। तत्पश्चात दीप प्रज्वलन और शंखध्वनि के साथ कार्यक्रम का औपचारिक उद्घाटन किया गया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ. देवेंद्र चंद्र दास ‘सुदामा’, विशिष्ट अतिथि सुश्री नीरू सेठी, कार्यक्रम अध्यक्ष एवं संस्था के छंद गुरु अमरनाथ अग्रवाल ‘अमर्त्य’, संस्था अध्यक्ष डॉ. अवधेश कुमार ‘अवध’ तथा उपाध्यक्ष डॉ. ममता बनर्जी ‘मंजरी’ सहित कई साहित्यकार मंचासीन रहे।
पहले सत्र में कई साहित्यकारों की पुस्तकों का विमोचन किया गया। इनमें डॉ. अवधेश कुमार अवध की ‘पंचमुखी बालाजी भगवान’, डॉली शाह की ‘अपनी कलम के कहार’, अवनीत कौर दीपाली की ‘मैं दीप नहीं दीपाली हूँ’, ज्योति अग्रवाला की ‘दोहार्णव’ तथा अमरनाथ अग्रवाल ‘अमर्त्य’ के संपादन में ‘आदित्य संस्कृति विशेषांक’ शामिल थीं। कार्यक्रम के दौरान पुस्तकों की प्रदर्शनी भी आयोजित की गई। संचालन मालविका राय मेधि ‘मेधा’ ने किया।
दूसरे सत्र में काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ, जिसकी शुरुआत सरस्वती वंदना से हुई। इस अवसर पर डॉ. गीता सहारिया, हेमलता गोलछा, डॉली शाह, डॉ. स्मृति दास, डॉ. मनीला कुमारी ‘मानसी’, जैस्मिन हुसैन, सुरिंदर सिंह, ज्योति अग्रवाला, पिंकी बजाज पारुल, डॉ. किरण बिरला सोमानी, विमला शर्मा ‘बोधा’, सौमित्रम, कुमुद शर्मा, डॉ. ममता बनर्जी ‘मंजरी’, डॉ. अवधेश कुमार ‘अवध’, अमरनाथ ‘अमर्त्य’, मालविका राय मेधि ‘मेधा’, राम पारीक, विमल कयाल और अवनीत कौर दीपाली ने काव्य पाठ किया।
कवि सम्मेलन का संचालन कुमुद शर्मा ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन अवनीत कौर दीपाली और राम पारीक ने संयुक्त रूप से किया। छह घंटे तक चले इस साहित्यिक अधिवेशन का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।
कार्यक्रम में भाग लेकर डॉली शाह ने अपनी उपस्थिति को गौरव का विषय बताया। इस अवसर पर उन्हें “हेमचंद्र गोस्वामी सम्मान” से सम्मानित किया गया।
— संवाददाता, प्रेरणा भारती दैनिक
(जानकारी: डॉली शाह, सुलतानीछोड़ा, हाइलाकांदी)





















