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मागुरा घाट की नौका पूजा दसवें वर्ष में प्रवेश। लेकिन इस वर्ष, नौका पूजा केवल मागुरा घाट तक सीमित नहीं रही, बल्कि जुमटिला में भी एक और नौका पूजा अनुष्ठित हो रहा है।। हालांकि, इस नौका पूजा को लेकर छह साल पहले हुई पुलिस गोलीबारी और जनता के आक्रोश में निबिया पुलिस चौकी जलाकर खाक कर दिए जाने की घटना आज भी क्षेत्र के लोगों को सोचने पर मजबूर करती है। भविष्य में ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को रोकने के लिए उस घटना का विश्लेषण आवश्यक है।
तत्कालीन राताबाड़ी, जो अब रामकृष्णनगर विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है, के दक्षिणी सिरे पर स्थित निबिया क्षेत्र शांति का द्वीप माना जाता था। अतीत में यहां कभी भी कोई दंगा-फसाद या कानून व्यवस्था बिगाड़ने वाली बड़ी घटना नहीं हुई थी। इस क्षेत्र में कभी पुलिस लाठीचार्ज या गोलीबारी की कोई घटना दर्ज नहीं थी। चाय बागानों से घिरे इस क्षेत्र में हिंदी भाषी, बंगाली हिंदू और अल्पसंख्यक समुदाय के लोग वर्षों से आपसी सौहार्द्र के साथ रहते आए हैं। जब देश के विभिन्न हिस्सों में सांप्रदायिकता का जहर फैल रहा था, तब भी निबिया के शांतिप्रिय लोगों पर इसका कोई असर नहीं पड़ा था। हालांकि, विभिन्न मांगों को लेकर या अन्याय के विरोध में यहां कई जनांदोलन हुए हैं, लेकिन वे सभी शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से संपन्न हुए थे।

लेकिन फिर ऐसा क्या हुआ कि यह शांतिपूर्ण क्षेत्र अचानक जल उठा? क्यों यहां के लोग इस कदर उग्र हो गए कि पुलिस चौकी को जला डालने जैसा कृत्य कर बैठे? यह घटना बराक घाटी के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज हो गई, जिसकी निंदा हर जगह हुई। लेकिन ऐसी स्थिति पैदा ही क्यों हुई? इसके पीछे छिपे कारणों की तलाश करना बेहद जरूरी है ताकि भविष्य में निबिया या किसी और स्थान पर इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति न हो।
जब इस घटना के बारे में जागरूक लोगों के साथ चर्चा की गई, तो जो तथ्य सामने आए, वे चौंकाने वाले थे। सवाल यह उठता है कि तीन साल पहले अपने दुर्व्यवहार के कारण जनता के विरोध के चलते जिस पुलिस अधिकारी को निबिया चौकी से हटाया गया था, उसे दोबारा वहीं तैनात क्यों किया गया? पुलिस के उच्च अधिकारियों ने उनकी पिछली गलतियों की जांच क्यों नहीं की? या फिर किसी राजनीतिक दबाव के कारण उन्हें दोबारा निबिया चौकी का प्रभारी बनाया गया था?
यह सवाल हर जागरूक नागरिकों के मन में उठ रहे हैं।
विवादित पुलिस अधिकारी और जनता का ग़ुस्सा
दरअसल घटना के छह साल पहले यानी2014 में एएसआई निखिल नाथ निबिया चौकी के प्रभारी थे। उस दौरान, उन पर नशे की हालत में निर्दोष लोगों पर अत्याचार करने के कई आरोप लगे थे। यहां तक कि निबिया बाजार के एक प्रतिष्ठित व्यापारी और उनके बेटे को उन्होंने खुलें बाजार में बेवजह पीटने की कोशिश भी की थी। जब बाजार के लोग और व्यापारी इसका विरोध करने लगे, तो वह भाग खड़े हुए और फिर हथियारबंद पुलिस बल के साथ लौटकर बाजार में खुलेआम गाली-गलौज करने लगे। हालांकि, उस समय पंचायत के कुछ प्रतिनिधियों की मध्यस्थता से मामला शांत हो गया था।
कुछ समय बाद, गम्भीराघाट में परिमल नाथ नामक एक निर्दोष मजदूर को निखिल नाथ ने बुरी तरह पीट दिया था। उसकी गलती सिर्फ इतनी थी कि उसने पुलिस अधिकारी को एक दुकान में शराब पीते हुए देख लिया था। इस पिटाई से परिमल की हालत गंभीर हो गई थी, जिससे गम्भीरा कॉलोनी के सैकड़ों लोगों ने निबिया चौकी का घेराव कर विरोध किया था। नतीजतन, तत्कालीन पुलिस अधीक्षक के आदेश पर निखिल नाथ और एक अन्य कांस्टेबल को क्लोज कर दिया गया था।
लेकिन 2019 में, उसी एएसआई निखिल नाथ को दोबारा निबिया चौकी में प्रभारी बना दिया गया। लोगों का कहना यह है कि छह साल बाद दुसरी बार निबिया पुलिस चौकी के प्रभारी बनते ही वे पहले से भी अधिक अहंकारी हो गए थे। स्थानीय असामाजिक तत्वों से उनकी गहरी दोस्ती हो गई थी, और चौकी में आए दिन शराब की महफिल जमने लगी थी। स्थानीय लोग पुलिस चौकी में शिकायत दर्ज कराने तक से डरने लगे थे। उस समय के पुलिस अधीक्षक गौरव उपाध्याय को लोगों ने इसकी जानकारी दी थी, लेकिन कार्रवाई करने से पहले ही पुलिस अधीक्षक उपाध्याय का तबादला हो गया। इसके बाद 2019 में नए पुलिस अधीक्षक मानवेन्द्र देवराय के आने पर स्थानीय लोग उनके पास शिकायत दर्ज कराने की योजना बना रहे थे। लेकिन इससे पहले ही वह भयावह घटना घट गई।
नौका पूजा का इतिहास
जिस नौका पूजा को लेकर यह घटना घटी, उस नौका पूजा के साथ इलाके की आस्था से जुड़ी हुई है। 2016 में पहली बार यह पूजा शुरू हुई थी। इसके पीछे भी एक कहानी है। कथन के अनुसार उस साल, मधुसूदन लोध नामक एक स्थानीय युवक को सपने में देवी मनसा ने इस पूजा के आयोजन का आदेश दी थी । इससे उसने लोगों से पूजा आयोजित करने की अपील की, लेकिन चूंकि इसमें सौ से अधिक मूर्तियों का निर्माण और भारी बजट की आवश्यकता थी, इसलिए लोग झिझक रहे थे। कई लोग उसे मानसिक रूप से अस्वस्थ मानने लगे। लेकिन मधुसूदन अपनी जिद पर अड़े रहे और अंततः लोगों ने उनका साथ दिया। फलस्वरूप निबिया इलाके में पहली बार नौका पूजा का आयोजन हुआ, और फिर यह परंपरा बन गई। हर साल बसंत पंचमी के दिन पूजा का शुभारंभ होता है जिसका समापन दशमी को होता है।
2019 में भी माघ पंचमी के दिन पूजा का शुभारंभ हुआ था। लेकिन अन्तिम दिन यानी दसवीं तिथि को, जब पूजा स्थल पर करीब दस हजार लोग मौजूद थे, तभी पुलिस अधिकारी निखिल नाथ अपने सशस्त्र बलों के साथ वहां पहुंचे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, वे नशे में थे और दुकानदारों से जबरन 500-500 रुपये की वसूली करने लगे। आरोप है कि उन्होंने महिला कीर्तन मंडली के साथ बदसलूकी की और एक मूर्ति तोड़ दी। इससे लोगों का गुस्सा भड़क गया।
पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिससे भीड़ बेकाबू हो उठी और पुलिस पर हमला कर दिया। इस दौरान एक मजदूर युवक पुलिस की गोली से घायल भी हो गया। इसके बाद, पुलिस अधिकारी निखिल नाथ अपनी टीम के साथ वहां भाग खड़े हुए। लेकिन इस खबर के फैलते ही हजारों लोग पुलिस चौकी की ओर बढ़ने लगे।
जनता का आक्रोश इतना बढ़ गया कि कुछ ही पलों में पुलिस चौकी की चार इमारतें, वाहन, बंदूकें, मोटरसाइकिल और अन्य सामान आग की भेंट चढ़ गई। एक कांस्टेबल भी भीड़ के गुस्से का शिकार हुआ।
पाभविष्य के लिए सबक
यह घटना निबिया के शांतिपूर्ण इतिहास पर एक बदनुमा दाग थी। हालांकि, पुलिस अधिकारी निखिल नाथ के दुर्व्यवहार के खिलाफ लोगों के पास और भी कानूनी विकल्प थे, लेकिन उन्होंने कानून को अपने हाथ में लेकर जो किया, वह सभ्य समाज के लिए अस्वीकार्य है।
इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए न केवल जनता को संयम बरतना होगा, बल्कि पुलिस प्रशासन को भी सतर्क रहना होगा। यदि आम लोग किसी पुलिस अधिकारी के खिलाफ शिकायत करते हैं, तो इसे गंभीरता से जांचना चाहिए। पुलिस और जनता के बीच अच्छे संबंध ही एक स्वस्थ समाज की नींव रख सकते हैं।
इस वर्ष दो स्थानों पर नौका पूजा
इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बावजूद, नौका पूजा की परंपरा जारी है। हर साल की तरह, इस बार भी मागुरा घाट पर पूजा हो रही है। लेकिन इसके अलावा, तीन किलोमीटर दूर जुमटिला में भी एक और नौका पूजा आयोजित की जा रही है। इस आयोजन के पीछे वही मधुसूदन लोध हैं, जिन्होंने सपने में देवी मनसा का आदेश पाकर वहां पूजा शुरू की है।
अब दो स्थानों पर नौका पूजा हो रही है, जो श्रद्धालुओं के लिए सौभाग्य की बात है। बसंत पंचमी के दिन शुरू हुए इन आयोजनों में हर दिन भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। आयोजकों को उम्मीद है कि नवमी तिथि (शुक्रवार) को सबसे अधिक श्रद्धालु जुटेंगे। पर 2019 के उस काली रात के बाद आयोजकों के चौकसी के चलते फिर कभी नौका पूजा में किसी प्रकार की झड़प वाली कोई और घटना घटित नहीं हुई। उम्मीद है इसी प्रकार शांतिपूर्ण तरीके से नौका पूजा की परंपरा सालों साल चलता रहेगा और आस्था में विभोर श्रद्धालुओं के जमावड़े होते रहेंगे।।





















