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बीते दिवस में असम के नौगांव जिला कविता सम्मेलन द्वारा देश की विभिन्न भाषाओं में एक कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। जिसमें हिंदी, अंग्रेजी, असमिया, बांग्ला, उर्दू,बोडो,आदि भाषाओं के कवियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम का प्रारंभ फाल्गुनी आंचलिक कवि सम्मेलन के परन कुमार दास ने दीप प्रज्वलित करके किया। उसके पश्चात मुख्य वक्ता विद्वान पुरुषोत्तम उपाध्याय ने भागवत कथा (व्यास) के विशेष विवेचन बड़े ही सुन्दर ढंग से सुनाए।
तत्पश्चात् असमिया कवित्री प्रणामिका सरमा ने प्रकृति पर हो रहे अत्याचार को अपनी कविता में आहवान किया कि” हे पृथ्वी! तुम मुख से बेजुबान…हो,” भावपूर्ण कविता सुनाई। इससे पूर्व कोरोना महामारी पर एक फिल्म भी दिखाई। निवेदिता डिम्पल ने भी अपनी असमीया कविता का सुन्दर पाठ किया। इसी तरह बोडो कवित्री मिलोजा बासुमतारी ने भी मनोभाव रखे। कार्यक्रम के मध्य में हेमन्त चामलिंग ने शास्त्रीय गीत”हम है मौन पुजारी…”भाव-विभोर होकर गाया। कवि पुतुल भुईयां ने कविता से अपने विचार रखे। अन्त में वृद्ध उर्दू के शायर निसार अहमद शायरनवी ने अपनी ग़ज़ल और शेरों से मनमोह लिया।
प्रबूद्ध श्रोताओं में संजीब सागर चौधरी,द्विजेन नाथ हजारिका, राजीव दत्ता, मदन उपाध्याय, साईद तौफीक अहमद(दुलियाजान), शशि क्योत, डाॅ.प्रान्तिका शर्मा आदि ने अपने बहुमूल्य विचार भी रखे। कुल मिलाकर नौगांव जिला कवि सम्मेलन अपने आयोजन सफल रहा। कार्यक्रम के आखिर में संचालक पवन शर्मा ने आमंत्रित कवियों, उपस्थित विद्वानों और श्रोताओं का आभार प्रकट किया।
इसके पश्चात कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण कवि सम्मेलन प्रारंभ हुआ। जिसमें सर्वप्रथम दिल्ली से आमन्त्रित कवि, प्रज्ञा मेल के सम्पादक अरूण कुमार बर्मन से संचालक पवन शर्मा ने आग्रह किया। अरूण बर्मन ने कार्यक्रम के लिए विशेषतौर से लिखी कविता”शांति ही क्रांति लायेगी” सुनाई। इसके अलावा आसाम पर लिखी उनकी कविता “किसी स्वर्ग का विषय है यह” पर विशेष सराहना मिली। इसके पश्चात बांग्ला के कवि शंकर आचार्यजी (कोलकाता) की बारी थी, मगर वह भारी बारिश के चलते कनेक्ट नहीं हो पाए।