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पंचायत चुनाव: बराक में कांग्रेस-भाजपा के विकल्प के रूप में तीसरे मोर्चे की जीत चाहता है सुवর্ণखंड राष्ट्रीय समिति

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बराक घाटी में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के प्रचार के अंतिम चरण में सुवर्णखंड राष्ट्रीय समिति (Subarnakhanda Rastriya Samiti) ने कई सीटों पर जीत का दावा करते हुए कांग्रेस और भाजपा को हराने के अपने लक्ष्य को दोहराया है। बुधवार को शिलचर में संगठन के केंद्रीय अध्यक्ष, पूर्व प्राचार्य और वरिष्ठ अधिवक्ता नजरुल इस्लाम लस्कर ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उनकी समिति समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों को व्यापक जनसमर्थन मिल रहा है।

लस्कर ने कहा, “कांग्रेस और भाजपा दोनों दल वर्षों से सत्ता में रहकर जनता की आकांक्षाओं को बार-बार कुचलते आए हैं। इनकी नीतियां केवल व्यक्तिगत स्वार्थों तक सीमित रही हैं। अब समय आ गया है कि जनता इन दोनों दलों को पूरी तरह नकार दे और वैकल्पिक तीसरे मोर्चे को मजबूत करे।”

उन्होंने बताया कि पिछली विधानसभा और लोकसभा चुनावों में सुवर्णखंड राष्ट्रीय समिति ने सक्रिय भागीदारी के माध्यम से अपने उद्देश्यों और विचारधारा को जनता के सामने रखने में सफलता पाई है। बराक में अलग राज्य की मांग को लेकर संगठन लगातार मुखर रहा है, और इस बार पंचायत चुनाव में भी यह मुद्दा प्रमुखता से उठाया गया है।

स्वराज और पारदर्शिता को प्राथमिकता
लस्कर ने बताया कि पंचायत स्तर पर ‘ग्राम स्वराज’ को सशक्त बनाने के लिए सुवर्णखंड राष्ट्रीय समिति ने स्वच्छ छवि, जिम्मेदार और जनसेवी उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। उन्होंने मतदाताओं से अपील की कि वे ऐसी योग्य और ईमानदार छवि वाले प्रत्याशियों को अपना कीमती मत दें।

उन्होंने यह भी कहा कि जिन क्षेत्रों में समिति ने उम्मीदवार नहीं उतारे हैं, वहां कांग्रेस-भाजपा विरोधी ताकतों के समर्थक सशक्त उम्मीदवारों को समर्थन देकर तीसरे मोर्चे को मजबूत करना चाहिए।

भ्रष्ट प्रतिनिधियों को नकारें
लस्कर ने जनता से अपील की कि वे उन उम्मीदवारों या उनके परिजनों को पूरी तरह से नकारें, जिन पर पिछली पंचायती जिम्मेदारियों के दौरान भ्रष्टाचार या स्वजनपोषण के आरोप लगे हैं। उन्होंने साफ कहा, “ऐसे भ्रष्ट नेतृत्व को इस बार जड़ से उखाड़ फेंकना होगा।”

गांवों में सत्ता के विकेंद्रीकरण की जरूरत
संगठन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनंतमोहन राय ने कहा कि पंचायत व्यवस्था का मूल उद्देश्य था सत्ता का विकेंद्रीकरण और ग्रामीण विकास, लेकिन आज भी गांवों तक योजनाओं का लाभ नहीं पहुंच पा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारी योजनाओं में व्यापक भ्रष्टाचार, पक्षपात और मनमानी के कारण असली जरूरतमंद लोग लाभ से वंचित रह जाते हैं, जबकि संपन्न लोग लाभार्थी सूची में शामिल हो जाते हैं।

राय ने कहा, “स्वतंत्रता के इतने वर्षों बाद भी बराक उपत्यका विकास के मामले में उपेक्षित रही है। यहां के युवाओं के सामने रोजगार का संकट है, और कांग्रेस व भाजपा दोनों की सरकारें इस क्षेत्र के लिए कभी ईमानदारी से काम नहीं कर सकीं।”

चुनाव में भागीदारी की अपील
संगठन के अन्य पदाधिकारियों ने मतदाताओं से आग्रह किया कि वे इस बार सोच-समझकर वोट करें और अपने गांव-समाज की बेहतरी के लिए ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ उम्मीदवारों को चुनें। उन्होंने सभी से अपील की कि वे इस महत्वपूर्ण पंचायत चुनाव में बढ़-चढ़कर भाग लें।

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