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पंचायत भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने पर जानलेवा हमला, पुलिस पर लापरवाही और दबाव डालने का आरोप, न्याय की गुहार लेकर मानवाधिकार आयोग पहुंचा मधुरबंद का युवक

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शिलचर, 17 मई: मधुरबंद गांव पंचायत में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले युवक रागिब महबूब सदीयाल को जान से मारने की कोशिश की गई। गंभीर रूप से घायल रागिब के हाथ की हड्डी टूट गई और शिलचर मेडिकल कॉलेज में उनका जटिल ऑपरेशन किया गया। हमले के करीब एक महीने बाद भी आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं और पुलिस अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर सकी है। उल्टे, पुलिस पर एफआईआर वापस लेने का दबाव डालने का आरोप है।

शनिवार को पत्रकारों से बातचीत में रागिब सदीयाल ने बताया कि 13 अप्रैल को ‘ओल्ड लक्ष्मीपुर रोड’ स्थित एक दुकान के पास जब वे खड़े थे, तभी दो लोगों ने हथियारों से लैस होकर उन पर हमला कर दिया। लगातार प्रहार से वे लहूलुहान हो गए और उनका हाथ टूट गया। इस हमले के लिए उन्होंने बप्पन सदीयाल और साजू सदीयाल के खिलाफ शिलचर सदर थाने में एफआईआर दर्ज कराई, जिसके बाद तत्काल जांच की जिम्मेदारी सब-इंस्पेक्टर चंद्रोत्पल गोगोई को दी गई।

हालांकि प्रारंभिक सक्रियता के बाद पुलिस पूरी तरह निष्क्रिय हो गई। रागिब ने दावा किया कि यह हमला कोई पहली घटना नहीं है — पहले भी उन्हें शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया है और लगातार जान से मारने की धमकियाँ मिल रही हैं। पुलिस सब कुछ जानते हुए भी कोई कार्रवाई नहीं कर रही, बल्कि उन्हें ‘क्रॉस केस’ में फँसाने और मामला वापस लेने के लिए दबाव डाल रही है।

भ्रष्टाचार उजागर करने के बाद हमलों की शुरुआत

रागिब सदीयाल ने बताया कि यह सब 8 जुलाई 2022 से शुरू हुआ, जब उन्होंने समाजसेवी के रूप में मधुरबंद ग्राम पंचायत में विभिन्न योजनाओं में भारी अनियमितताओं और धन की हेराफेरी को लेकर शिलचर सदर थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। 18 अगस्त 2022 को तत्कालीन सब-इंस्पेक्टर कमल बोरो ने प्राथमिक जांच रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें ग्राम पंचायत अध्यक्ष साहिर अहमद लस्कर और सचिव जफरुल हुसैन बड़भुइयां पर गंभीर आरोप लगे थे।

उल्लेखनीय है कि मनरेगा योजना के तहत “जिला मिया सदीयाल कब्रिस्तान” में ₹3.80 लाख के कार्य में वित्तीय अनियमितता की पुष्टि भी हुई थी, लेकिन पुलिस ने अब तक कोई चार्जशीट दाखिल नहीं की, जिससे मामला दबा दिया गया।

इसके बाद पंद्रहवें वित्त आयोग के तहत आए पंचायत फंड में भ्रष्टाचार को लेकर 17 फरवरी 2023 को रागिब ने कछार के तत्कालीन उपायुक्त रोहन कुमार झा को साक्ष्यों के साथ शिकायत दी थी। 20 फरवरी को जांच की जिम्मेदारी कार्यकारी मजिस्ट्रेट त्रिनयन दास को दी गई थी, लेकिन कुछ समय की सक्रियता के बाद मामला फिर ठंडे बस्ते में चला गया।

रागिब ने इसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को शिकायत भेजी, जिसके आधार पर 18 जुलाई 2024 को शिलचर के तत्कालीन बीडीओ प्रवीण कुमार महातो को उचित कार्रवाई के निर्देश दिए गए। नतीजतन, पंचायत सचिव सुबीर पाल की पहल पर “गियासुद्दीन मजूमदार से बाबला तक की सड़क” का निर्माण कार्य शुरू हुआ। इस कार्य के लिए कथित तौर पर पंचायत अध्यक्ष द्वारा गबन किए गए ₹5 लाख रुपये लौटाने पड़े।

इसी के बाद से रागिब पर बार-बार हमले शुरू हुए और वे लगातार मानसिक व शारीरिक प्रताड़ना के शिकार हो रहे हैं।

मानवाधिकार आयोग तक पहुँचा मामला

इन सबके बीच रागिब सदीयाल ने असम राज्य मानवाधिकार आयोग में भी शिकायत दर्ज कराई है। आयोग ने 23 मई और 23 अगस्त 2024 को पुलिस से दो बार रिपोर्ट मांगी। लेकिन रागिब का आरोप है कि पहली रिपोर्ट में पुलिस ने मूल घटना की अनदेखी कर पारिवारिक विवाद को मुद्दा बना दिया, जबकि दूसरी रिपोर्ट पहली से मेल नहीं खाती और बेहद अपरिपक्व ढंग से तैयार की गई है।

अब आयोग ने 17 जून को गुवाहाटी में इस मामले की सुनवाई की तारीख तय की है।

रागिब ने पुलिस के उच्चाधिकारियों से अपील की है कि वे निष्पक्ष भूमिका निभाएं और देर से ही सही, उन्हें न्याय दिलाने की दिशा में कार्रवाई करें। साथ ही, उन्होंने सुरक्षा मुहैया कराने की मांग भी की है, क्योंकि उन्हें लगातार जान से मारने की धमकियाँ मिल रही हैं।

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