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पड़ोसी देश म्यांमार में संकट, भारत के लिए खतरे की घंटी

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म्यांमार में सैन्य शासन के खिलाफ जारी थ्री ब्रदरहुड अलायंस का ऑपरेशन 1027 गंभीर रूप लेता जा रहा है। खुद सैन्य शासन ने स्वीकार किया है कि बड़ी संख्या में सशस्त्र बागी सैनिक भारी हमला कर रहे हैं। खबरें बताती हैं कि सैकड़ों की संख्या में ड्रोन सैन्य चौकियों पर बम बरसा रहे हैं। दरअसल, म्यांमार में इस संकट की नींव दो साल पहले तब पड़ी जब फरवरी 2021 में सेना ने आंग सान सू की की अगुआई वाली निर्वाचित सरकार के हाथों से जबरन सत्ता छीन ली थी। पूरे देश में उसका व्यापक विरोध हुआ। लोकतंत्र बहाल करने की मांग को लेकर लोग सड़कों पर आ गए। लेकिन सैन्य शासकों ने आम लोगों के इस विरोध को ताकत से दबाने की कोशिश की, जिसका नतीजा यह हुआ कि आंदोलनकारियों का एक हिस्सा हथियार उठाने का फैसला कर उन सशस्त्र समूहों से जा मिला जो पहले से ही आत्मनिर्णय की मांग कर रहे थे। उसके बाद से ही दोनों पक्षों में झड़पें चलती रहीं, जिनमें 4000 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं।इसमें एक नया मोड़ तब आया जब 27 अक्टूबर से म्यांमार नैशनल डेमोक्रेटिक अलायंस आर्मी, तांग नैशनल लिबरेशन आर्मी और अराकाम आर्मी – जिन्हें 3 ब्रदरहुड अलायंस कहा जा रहा है- ने मिलकर ऑपरेशन 1027 शुरू किया जिसका मकसद सैन्य शासन को उखाड़ फेंकना है। यह ऑपरेशन आगे क्या रूप लेता है और इसके क्या परिणाम आते हैं यह सवाल तो अपनी जगह है ही, लेकिन फिलहाल इसका प्रत्यक्ष परिणाम म्यांमार से भारत की सीमा में प्रवेश करने वाले शरणार्थियों की बढ़ती संख्या के रूप में सामने आ रहा है। पिछले हफ्ते ही 5000 म्यांमारियों का एक नया जत्था मिजोरम आया जिसमें कुछ सैनिक भी शामिल हैं। म्यांमार से भारत की 1,643 किलोमीटर लंबी सीमा लगती है।खास बात यह कि भारत के चार राज्यों– मिजोरम, मणिपुर, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश- से लगती यह सीमा फ्री मूवमेंट व्यवस्था के तहत आती है जिसके मुताबिक लोग सीमा के दोनों तरफ 16 किलोमीटर तक आ-जा सकते हैं। वैसे भी सीमा के दोनों ओर बसी जनजातियों में आपसी रिश्तेदारियों के चलते इन प्रावधानों को कड़ा करना या शरणार्थियों के आने पर रोक लगाना मुश्किल है। मगर इसके साथ ही इन नॉर्थ-ईस्ट राज्यों के संवेदनशील हालात का भी ध्यान रखना होगा। 2021 के सैन्य तख्तापलट के बाद से शरणार्थियों का जो तांता लगा है, उससे सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले राज्य हैं मिजोरम और मणिपुर। नशे का अवैध कारोबार इस पूरे प्रकरण का एक अहम पहलू है। जानकारों के मुताबिक कुख्यात गोल्डेन ट्राएंगल – म्यांमार, लाओस और थाइलैंड बॉर्डर का इलाका- इसका प्रमुख स्रोत है। जाहिर है, न सिर्फ म्यांमार में बन रही अनिश्चितता की स्थिति बल्कि शरणार्थियों की बढ़ती संख्या भी भारत सरकार के लिए चिंता की बात है। उसे तेजी से बदलते हालात पर नजर बनाए रखनी होगी।

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