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पत्र पाठकों का

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प्रेरणा भारती के संपादक सीमा कुमार जी,
जब भारत का विभाजन हुआ था कांग्रेस सरकार द्वारा तब तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान वर्तमान बंग्लादेश से जिहादी मुसलमानों से भागकर करोड़ो हिंदू बंगाली असम सह पश्चिमबंगाल, बिहार, झारखंड तथा दूसरे प्रदेशो में शरण लिया था। आज भी बंग्लादेश से हिंदू बंगाली मुसलमानो से भागकर आ रहा हैं विभाजित भारत में। असम में यह सब हिंदू बंगाली शरणार्थी या अवैध घुसपैठिए सबसे अधिक शरण लिया था एवं अभी भी ले रहे हैं बराकघाटी में। इस प्रकार लगातार घुसपैठ के कारण बराकघाटी के मूल निवासी अर्थात यहाँ के भूमिपुत्र अल्पसंख्यक हो चुका हैं। यह सब हिंदू शरणार्थी कांग्रेस एवं वामपंथियों को लगातार अपना मत देकर, समर्थन देकर पश्चिमबंगाल सह असम में वामपंथी एवं कांग्रेस को लगातार सत्ता दिया था। पश्चिमबंगाल में आज तक भाजपा अपनी सरकार नही बना पायी। असम में जैसे ही किसी प्रकार भाजपा सत्ता में आयी यह सब दलबदलु कांग्रेसी एवं वामपंथी भाजपा संगठन में अपना स्थान पाने लग गए। बराकघाटी में जहाँ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सक्रियता बहुत वर्षो से हैं, यहाँ भी संघ की राजनीतिक इकाई भाजपा में इन दलबदलुओ का वर्चस्व हो गया हैं। असम प्रदेश भाजपा अब दलबदलुओ का एक दल बन गया हैं। इस राज्य में भाजपा संगठन से लेकर सरकार तक हिंदीभाषी सह चाय जनजातियों को महत्व नही दिया जा रहा है भाजपा सत्ता में आते ही। यदि संगठित होकर हिंदीभाषी एवं चाय जनजाति के मतदाता भाजपा के विरुद्ध मतदान करे इस लोकसभा चुनाव में तो निश्चित रूप से भाजपा को बहुत क्षति होगा।
रत्नेश अग्रहरि , शिलचर।

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