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परशुराम गौशाला‌ को स्वावलंबी बनाने का होगा प्रयास- उमेश चंद्र पोरवाल

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अरुणाचल प्रदेश, परशुराम कुण्ड: विश्व हिन्दू परिषद- गोरक्षा (आयाम )भारतीय गोवंश रक्षण संवर्धन परिषद के केन्द्रीय मंत्री उमेश चन्द्र पोरवाल जी दो दिवसीय प्रवास पर परशुराम कुण्ड पहुंचे।
सबसे पहले परम तपस्वी पूज्य श्री हरि शरण दास ( परशुराम बाबा) से मिले महाराज जी ने आशीर्वाद दिया, गौमाता गोवंश की आज जो स्थिति है गंभीर चिंता व्यक्त की पूज्य महाराज जी ने कहा धरती का सबसे बड़ा मोक्ष का स्थान दो पर्वतों के बीच का कुण्ड है जहाँ परशुराम जी को मोक्ष प्राप्त हुआ था,गौमाता को भी मोक्ष की प्राप्ति हुई जो सभी मनोकामनाएं की पूर्ति का साधन है, आज वहीं संकट मे है। आगे उनहोंने कहा हमारे यहाँ जंगल में हजारों गाय है जो बच्चा देने को होती है तो यहाँ आ जाती हैं, यहाँ भक्तों ने गौशाला बनायी है, जहाँ लगभग छोटी बड़ी तीन सौ गाय एवं बच्चे हैं।
इनको सिर्फ चारे में जंगल घास वनस्पतियों पर आश्रित रहतीं है कुछ भक्त लोग तिनसुकिया आदि से चोकर चापड़, गुड़ा चूनी भेजते हैं।
लेकिन इतने में गौमाताओं को पूरा  नहीं पड़ता है।
 इस पर विश्व हिन्दू परिषद गोरक्षा केन्द्रीय मंत्री उमेश चन्द्र पोरवाल ने आगे मदद करने का आश्वासन दिया। उन्होंने अवगत कराया कि गाय एक चलता फिरता चिकित्सालय है – एक देवालय है – एक जीवंत धरती माता का अमृत खाद एवं फसल रक्षक का भंडार है। गाय की पूजा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है । इसलिए वेद पुराण,  आयुर्वेद में  गाय की बड़ी महिमा बतलाई गई है।
इसके गोबर, गोमूत्र का सही से उपयोग किया जाये तो गोशाला स्वयं स्वावलंबी बन जायेगी अभी यहाँ से दो गो सेवक और ब्रह्मचारी सुनील राव महाराज जी ने गो उत्पाद निर्माण का प्रशिक्षण लिया, श्री गीता आश्रम गौशाला से। जहाँ विहिप गोरक्षा के द्वारा  अनेक गो उत्पादों का निर्माण कर गौशालाओं को स्वावलंबी बनाने का प्रशिक्षण दिलवाया गया।
परशुराम कुण्ड गौशाला का एक आर्दश मोडल विकसित हो इसके लिए विश्व हिन्दू परिषद गोरक्षा के विभाग गोरक्षा प्रमुख विनोद ओझा जी कुछ दिनों यहाँ रहकर गो उत्पाद निर्माण करायेगें एवं स्वयं सहायता समूह का निर्माण करेंगे।
अरुणाचल प्रदेश परशुराम कुंड में 1960 से अखण्ड धूनी अन्न क्षेत्र परम तपस्वी पूज्य बाबा हरि शरण दास जी ( परशुराम बाबा) के आशीर्वाद से सदैव संचालित है, कोई भक्त भूखा नहीं जाये। सबकी चिंता रखते हैं।भगवान परशुराम जी और  गाय की कथा पर बहुत महत्वपूर्ण चर्चा की आनन्दमय। चर्चा का निचोड़ है धरती पर जहां- जहां गाय है वहां-वहाँ सनातन धर्म है संस्कृति है। इस अवसर पर कन्हैया गिरि ,शीतल यादव, पवन गिरि व ब्रह्मचारी बाबा उपस्थित रहे।

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