प्रे.स. शिलचर, 22 जनवरी: 1961 के भाषा आंदोलन के अग्रणी नेता परितोष पाल चौधरी की पुण्यतिथि पर बुधवार को परितोष पाल चौधरी स्मृति परिषद द्वारा सिलचर में एक स्मृति सभा आयोजित की गई। इस अवसर पर अनेक प्रख्यात व्यक्तित्वों ने उनके योगदान को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी।
सभा में प्रमुख रूप से प्रख्यात पत्रकार एवं परिषद के कार्यवाहक अध्यक्ष हरन डे, सुप्रसिद्ध कवि और लेखिका कस्तूरी होम चौधरी, कवयित्री मृदुला भट्टाचार्य, कवि शुक्ला भट्टाचार्य, घोष लाल दास, पत्रकार गौतम तालुकदार और जॉय रॉय ने अपने वक्तव्यों में परितोष पाल चौधरी के विचारों और योगदान पर प्रकाश डाला।
परितोष पाल के सपने को साकार करने का आह्वान
स्मृति सभा की शुरुआत परिषद के महासचिव बिप्लब पाल चौधरी ने उद्देश्यों को स्पष्ट करते हुए की। उन्होंने बताया कि परितोष पाल चौधरी का सपना बराक घाटी को एक अलग राज्य में तब्दील करना था। उन्होंने कहा, “जब तक यह सपना साकार नहीं होता, बराक घाटी के आर्थिक विकास के लिए एक परिषद बनाई जानी चाहिए।” साथ ही उन्होंने सिलचर में परितोष पाल चौधरी की प्रतिमा स्थापना को शीघ्र पूरा करने की अपील की।
सभा के दौरान नेताजी सुभाष चंद्र बोस और परितोष पाल चौधरी की तस्वीरों पर पुष्पांजलि अर्पित की गई।
पुस्तक का विमोचन और सम्मान
इस अवसर पर हरन डे ने कस्तूरी होम चौधरी की पुस्तक “असम और पश्चिम बंगाल का अभिनव साहित्य” का आधिकारिक विमोचन किया। सिलचर पुस्तक मेला समिति ने डॉ. होम चौधरी को उनके साहित्यिक योगदान के लिए सम्मानित करते हुए प्रमाण पत्र प्रदान किया।
शोक संवेदना व्यक्त की गई
कार्यक्रम के अंत में परिषद के अध्यक्ष इमाद उद्दीन बुलबुल के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया गया। उनकी स्मृति में एक मिनट का मौन रखा गया और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई।
यह सभा परितोष पाल चौधरी के विचारों को याद करने और उनके अधूरे सपनों को पूरा करने की दिशा में एक प्रेरणा साबित हुई।





















