अराधना के पिता, दिवंगत डॉ. विद्युत भट्टाचार्य, असम राज्य के स्वास्थ्य संचालक के पद पर कार्यरत थे और एक प्रतिष्ठित चिकित्सक थे। उनके निधन के बाद, पारिवारिक संपत्ति को लेकर विवाद गहराता गया। अराधना का आरोप है कि उनके दिवंगत बड़े भाई पप्पा भट्टाचार्य की पत्नी झूमा भट्टाचार्य ने कुछ असामाजिक तत्वों और अलग धर्म के कुछ चरमपंथियों की मदद से उनके जीवन पर हमला करवाया।
अराधना बताती हैं कि 2022 की एक रात उन्हें बेरहमी से पीटा गया और धमकी दी गई कि “सभी तो मर चुके हैं, अब तेरी बारी है।” इसके बाद उन्हें जबरन उनके पुश्तैनी घर से निकाल दिया गया और उनके हिस्से का किराया तक हड़प लिया गया। जान बचाने के लिए अराधना को एक छोटे से किराये के घर में शरण लेनी पड़ी।
उन्होंने इस गंभीर घटना की शिकायत रांगीरखाड़ी थाना में दर्ज करवाई, लेकिन पुलिस प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। यहां तक कि तत्कालीन पुलिस अधीक्षक से संपर्क करने के बावजूद उन्हें कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला।
2024 के मार्च माह में, उन्होंने असम के मुख्यमंत्री श्री हिमंत बिस्व शर्मा को एक आवेदन सौंपा, जिसमें निवेदन किया गया था कि उन्हें उनके पिता द्वारा बनाए गए घर में सुरक्षित रूप से वापस पहुंचाया जाए। मुख्यमंत्री ने यह आवेदन पुलिस अधीक्षक को कार्रवाई हेतु सौंपा, लेकिन आज तक कोई सहायता या जवाब नहीं मिला।
अब इस पूरे प्रकरण में अराधना भट्टाचार्य के समर्थन में उतरी है बंगाली नव निर्माण सेना। संगठन के अध्यक्ष प्रीतम देव ने 7 मई को आयोजित एक पत्रकार सम्मेलन में कहा, “अगर मुख्यमंत्री अब भी चुप रहते हैं और दोषियों पर कार्रवाई नहीं होती, तो हम सड़क पर उतर कर जन आंदोलन छेड़ेंगे।”
अराधना जैसी असहाय महिला को न्याय दिलाने के लिए अब समाज का जागना आवश्यक है। यह मामला सिर्फ एक महिला की सुरक्षा का नहीं, बल्कि कानून और व्यवस्था की संवेदनशीलता की भी परीक्षा है।





















