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संपादक महोदया,
दुल्लभछोड़ा के कुछ पत्रकार मित्र जो नियमित रूप से दैनिक हिन्दी अखबारों में लिखते हैं उनसे व्यक्तिगत रूप से अनुरोध है कि कृपया अपने से हिन्दी मे संवाद लिखने का प्रयास करना चाहिए। लेकिन पहले बांग्ला में लिखकर उसे गूगल ट्रांसलेटर के सहारे हिन्दी में अनुवाद करने से पूरा विषय अर्थहीन हो जाता है। गूगल ट्रांसलेटर से अनुवाद करने से हिन्दी भाषा की शुद्धता और व्याकरण का अस्तित्व पर संकट आ पहुंचा है।
बतौर हिन्दी साहित्य का एक छोटा सा लेखक अशुद्ध हिन्दी में कुछ पढ़ना मेरे लिए असहनीय है।
भारतीयों केलिए जहां भाषा माँ के समान है और इसका सीधा जुड़ाव अस्मिता और स्वाभिमान से है वहां किसी भाषा को बारंबार गलत तरीके से लिखना उस भाषा के अपमान करने के जैसा है।
अतः फिर एकबार पत्रकार बंधुओ से आग्रह है की खुद से लिखने की प्रयास कीजिये। और तमाम अखबारों के सम्मानित संपादकों से भी व्यक्तिगत रूप से निवेदन है कृपया अपने अखबारों की शुद्धता बरकरार रखने के लिए छापने से पहले एकबार खुद पूरा पढ़ें और अगर उसमें संशोधन की आवश्यकता महसूस होती हो तो उसे संशोधित करके मुद्रण केलिए दें।
राजदीप राय
लेखक और साहित्यकार