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नलबारी, ०१ जुलाई २०२५ — कुमारभास्करवर्म संस्कृत एवं पुरातन अध्ययन विश्वविद्यालय, नलबारी द्वारा केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के सहयोग से आयोजित “पाण्डुलिपिविज्ञानं प्रतिलेखनञ्च” विषयक एकविंशतिदिनीय राष्ट्रीय कार्यशाला का नवम दिवस शारदा लिपि के विशेष प्रशिक्षण सत्र के साथ समर्पित रूप में सम्पन्न हुआ।
इस दिन का शुभारंभ विश्वविद्यालय के शोध छात्र श्री धरणी शर्मा द्वारा श्रद्धापूर्ण वैदिक मंत्रोच्चारण से हुआ। कार्यकम का सफल संचालन सर्वदर्शन विभागाध्यक्ष डॉ. रणजीत कुमार तिवारी ने किया, तथा धर्मशास्त्र विभाग की आचार्या डॉ. मैत्रेयी गोस्वामी ने भी सहयोग प्रदान किया।
दिन की मुख्य वक्ता थीं डॉ. विद्या सागी (प्रतिलिपिकर्त्री, वैदिक संशोधन मंडल, आदर्श संस्कृत शोध संस्थान, पुणे)। उन्होंने चार सत्रों में शारदा लिपि का गहन प्रशिक्षण प्रदान किया। प्रारंभ में शारदा लिपि की रूपरेखा तथा उसका ऐतिहासिक विकास अत्यंत स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया गया। तत्पश्चात उन्होंने वर्णमाला की सुस्पष्ट व्याख्या करते हुए स्वर, व्यंजन तथा संयुक्ताक्षरों को विस्तारपूर्वक समझाया।
प्रशिक्षण के पश्चात सभी प्रतिभागियों ने शारदा लिपि के लेखन का अभ्यास किया। डॉ. सागी के कुशल मार्गदर्शन में प्रतिभागी शारदा लिपि में लिखने में काफी सहजता अनुभव करने लगे। सत्र के मध्यांतर में ही कई प्रतिभागी स्वतंत्र रूप से शारदा लिपि में वाक्य निर्माण करने में सक्षम हो गए।
इस प्रकार कार्यशाला के नवम दिन ने शारदा लिपि के विशेष प्रशिक्षण के माध्यम से पाण्डुलिपिविज्ञान के क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण प्रगति का संकेत दिया।





















