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पात्थल टिला शिवस्थान पर शिवरात्रि के अवसर पर चार दिवसीय मेला संपन्न

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चंद्र शेखर ग्वाला बड़खोला  १३ मार्च :— बड़खोला विधानसभा क्षेत्र का मासिमपुर गांव में, सिलचर – डोलू सड़क पर पात्थल टिला नामक पहाड़ी पर एक अति प्रभावशाली संन्यासी बाबा का स्थान है, जहां हर वर्ष शिवरात्रि महोत्सव के अवसर पर चार दिवसीय पुजा एवं मेला लगता है। स्थानीय लोगों के अनुसार पिछले (१९७३ सन) ५१ वर्ष से गांव वासियों इस स्थान पर प्रतिवर्ष शिवरात्रि के समय संन्यासी बाबा, शिव भगवान एवं आदिशक्ति मां दुर्गा जी पुजन करते आ रहे हैं। सर्वप्रथम मासिमपुर गांव के  स्व.सुबल बाउरी, स्व. बीरबल ग्वाला,लखीप्रसाद बाउरी, स्व. नारायण भर,स्व. राजकिशोर भर मासुघाट गांव के विश्वजीत सिंह, भुपेश दास, आदि ने इस स्थान पर पुजा प्रारंभ किया था। उन्ही में से लखीप्रसाद बाउरी से बातचीत में यह तथ्य सामने आया कि उन दिनों यह स्थान घने जंगलों से घिरा हुआ था पहाड़ पर चढ़ने के लिए रास्ता भी दुर्गम था। पहले के दिनों में वे लोग दिनभर पुजा,  भजन कीर्तन करके संध्या होते ही वहां से बाघों के भय से घर वापस आ जाते थे। उनके अनुसार उस समय भी आस-पास के कइ गांव के श्रद्धालु बढ़ चढ़ कर, बड़े उत्साह से पहाड़ पर आते थे आज भी आते हैं, यहां प्रतिवर्ष कइ हजार श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। पुजा एवं महाप्रसाद की कैसे होती है पुछने पर उन्होंने बताया कि शिवरात्रि के एक सप्ताह पहले से वह लोग आसपास के गांवों से चंदा इकठ्ठा कर इन सब का आयोजन किया जाता है। सिलचर शहर से कुछ ही कि.मि. दुर प्रकृति से घिरा यह पहाड़ छोटे होते हुए भी अधिक मनोरम है, पहाड़ के उत्तर पूर्व किनारे से सिलचर – डोलु सड़क जाती है और पहाड़ के दक्षिण दिशा में एक नदी बहती है जो बउला हावर से निकल कर झाटिंगा के साथ बराक नदी में प्रवाहित होती रहती है जिसे बद्री नदी के नाम से जाना जाता है। प्रथम पुजारी स्व. सुबल बाउरी के पुत्र दुलाल बाउरी ने कहा कि अबतक यहां एक विशाल पीपल के वृक्ष के नीचे ही पुजा किया जाता है, पहले तो यहां लगभग आधा कि मि.में फैला एक विशाल पीपल का वृक्ष था परंतु कुछ वर्ष पहले प्राकृतिक कारणों से वह सुख गया और उसी का शोड़ से उत्पन्न नया वृक्ष भी अब काफी बड़ा हो चुका है,आज स्थानीय युवाओं को लेकर एक सभा के माध्यम से, इस स्थान पर एक मंदिर बनवाने का निर्णय लिया गया है, उन्होंने इस विषय पर जिले सभी स्तर के लोगों से यथासंभव सहयोग करने का अपील किया। उन्होंने इस विषय पर हिंदू धर्म से जुड़े संगठनों को आगे आकर हाथ बंटाने का आग्रह किया।उनके अनुसार इस स्थान पर आकर सच्चे श्रद्धा से संन्यासी बाबा से मांगी हुई मनोकामना पूर्ण होती है।

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