अखण्ड भारत के स्वप्न को पुनश्च साकार करने हेतु प्राणप्रण से समर्पित हमारे यशस्वी प्रधानमन्त्री जी के प्रयास धीरे-धीरे सफलता के नये-नये आयाम गढते दिखते हैं ! इस संदर्भ मे अनायास ही ये पंक्तिया स्मृति पटल पर उभरती हैं कि-“दे दी हमें आजादी बिना खड्ग बिना ढाल,वडनगर के संत तूने कर दिया कमाल” बार-बार परमाणू बम की चुटपुइटिया छोडने की गीदड भभकी देने वाला पाकिस्तान आज -“पीओके” की चिन्ता में दिन-रात घुला जा रहा है।
उसे समर्थन देने वाले देश-“अमेरिका,रूस,जर्मनी,ऑस्ट्
भारतीय रक्षा मंत्रालय के अनुसार 5,134 वर्ग मील यानी करीब 13 हजार 296 वर्ग किलोमीटर का ये क्षेत्र जिसमें दस जिलों में
मुजफ्फराबाद,मीरपुर,हटयान,नीलु
इस पीओकेकी सीमाएं पाकिस्तान अतिक्रमित पंजाब एवं उत्तर पश्चिमी सीमांत प्रांत से पश्चिम में,उत्तर पश्चिम में अफ़गानिस्तान के-“वाखान” गलियारे से, चीन के ज़िन्जियांग तक फैली हुयी हैं जिसका दूसरा सिरा- चीनीयों द्वारा अतिक्रमित “उयघूर” क्षेत्र से उत्तर और भारतीय कश्मीर से पूर्व में लगती हैं।
अर्थात यहाँ ये भी स्पष्ट होजाता है कि-“चीन उयघुर मुस्लिमो से क्यूँ घबराता है।” क्यों कि वो जानता है कि पीओके के भारत में विलय होते ही पीओके के सीमावर्ती क्षेत्र ज़िन्जियांग में प्रताड़ित हो रही वहाँ की 80% उयिधुर जनता तत्काल ही भारत-गणराज्य में अपने पुनर्विलय की दशकों पुरानी मांग दृढतापूर्वक उठायेगी और उसका खुला समर्थन अमेरिका और सभी इस्लामिक राष्ट्र भी करेंगे।
मुझे अभी भी स्मरण है कि मेरे बचपन में भारत के नक्शे में इसी प्रकार-“तिब्बत” था ! हम भारत के लोग ये जानते थे कि -“तिब्बत” भारत के द्वारा संरक्षित छोटा सा पृथक देश है ! किन्तु चीन ने उसे जबरन हडप लिया और तद्कालीन हमारी नपुंसक केन्द्र सरकार कुछ भी नहीं कर पायी।किन्तु आज -“अजीत डोभाल” के नाम का भय दिखाकर पीकिंग की औरतें अपने बच्चों को सुलाती हैं ।महाराजा हरिसिंह के द्वारा की हुयी कुछ देर के कारण पीओके पर उन जाहिलों का कब्जा हुवा जिसपर तद्कालीन हमारे सत्ता के भूखे प्रधानमंत्री ने घुटने टेक दिये, और कुछ दिनों बाद भिखारी पाकिस्तान ने पूर्व कश्मीर के कुछ भाग-“ट्रांस-काराकोरम ट्रैक्ट” को चीन को दे दिया।इसके अतिरिक्त गिलगित बाल्टिस्तान में 28 हजार 174 वर्ग मील अर्थात लगभग 72 हजार 970 वर्ग किलोमीटर का और अक्साई चीन अतिक्रमित क्षेत्र भी हमारा है ! और हम इसे भी लेकर ही रहेंगे ।
19 अप्रैल, 2023 को चौधरी अनवारुल हक को निर्विरोध पीओके के प्रधानमंत्री के रूप में चुने जाने के पश्चात उन्होंने कभी भी भारत गणराज्य के प्रति विष वमन करने की अपेक्षा इस्लामाबाद पर ही अनेकों प्रश्नचिन्ह लगा दिये ! उनके पूर्व प्रधानमंत्री सरदार तनवीर इलियास को वहाँ की जनता ने स्वयं ही भारत एवं महिला विरोधी होने के कारण जनक्रांति द्वारा पदच्युत होने पर मजबूर कर दिया था। किन्तु यहाँ यह उल्लेखनीय है कि-अनवारुल हक के पिता 14 अक्टूबर, 1947 को तथाकथित पीओके सरकार के गठन में कबायली आतंकवादियों के नेता थे जिन्होंने 22 अक्टूबर, 1947 को कश्मीर में घुसपैठ की थी, अर्थात इन्हे प्रधानमंत्री बनाने के पीछे पाकिस्तान की वही बौखलाहट दिखती है जिसे हर भारतीय (कांग्रेस,पीडीपी और तृणमूल के अतिरिक्त) समझ सकता है।
पाकिस्तान और चीन अधिकृत भारतीय क्षेत्र को जहाँ वे देश -“विवादित क्षेत्र” कहते हैं वहीं हमारी सरकार उसे अतिक्रमित क्षेत्र कहती है ! ये निर्विवाद सत्य है कि चीन का ज़िन्जियांग अर्थात उयिधुर आदिवासियों का क्षेत्र प्रागैतिहासिक काल से भारत का था ! यहाँ से होकर अफगानिस्तान को जाते गलियारे को-“कंठहार”(कंदहातर) अर्थात भारत के गले का हार कहा जाता था ! बिलकुल उसी प्रकार जैसे-“कटिहार” अखण्ड भारत का कटि प्रान्त था जो कांग्रेस की गलत नीतियों के कारण पहले पूर्व पाकिस्तान और अब बंगलादेश बनने के कारण सीमावर्ती क्षेत्रों के सिकुड़ने के कारण अब मानचित्र की दृष्टि से कटि क्षेत्र नहीं कहा जा सकता।
अर्थात आज का भारत विश्व की प्रथम महाशक्ति बनने की दिशा में बढने को तत्पर धीरे-धीरे प्रागैतिहासिक काल के अखण्ड भारत के पुनर्गठन के साथ विश्व-गुरू होने के अपने पद को प्राप्त करेगा। “तुमने धोखे से लिया है पाकिस्तान ! हम तुमको इतना लाचार और कमजोर कर चुके हैं कि तुम घुटनों के बल घिसटते हुवे भारत गणराज्य में अपने पुनर्विलय की भीख मांगोगे ! आज जिस प्रकार पीओके की जनता ! पाकिस्तान में विलय का दण्ड भुगतने को अभिशप्त है ! समूचे पाकिस्तान के साथ वो भी एक-एक रोटी के लिये तडपती हुयी अंततः भारत की ओर कातर दृष्टि से देख रही है ! और हमारी केन्द्र सरकार तथा हमारी सेना ने उनको आश्वस्त किया है कि शीघ्र ही उनके हमारे देश में पुनर्वास की समुचित व्यवस्था करते हुवे पाकिस्तान की आतंकवादी सरकार से उनकी सुरक्षा की जायेगी-“आनंद शास्त्री”