फॉलो करें

पीढ़ियों के बीच संबंधों को प्रोत्साहित करने हेतु जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन

82 Views
असम विश्वविद्यालय, शिलचर के सामाजिक कार्य विभाग एवं एनएसएस प्रकोष्ठ द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित
प्रे.स. शिलचर, 4 मार्च: असम विश्वविद्यालय, शिलचर के सामाजिक कार्य विभाग और एनएसएस प्रकोष्ठ ने सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार के राष्ट्रीय सामाजिक रक्षा संस्थान (NISD) के सहयोग से “पीढ़ियों के बीच संबंधों को प्रोत्साहित करने हेतु जागरूकता कार्यक्रम” का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में असम विश्वविद्यालय, शिलचर के छात्रों और शोधार्थियों ने भाग लिया।
इस अवसर पर प्रतिष्ठित वक्ताओं में प्रो. अमृत लाल घोष (विभागाध्यक्ष, व्यवसाय प्रशासन, असम विश्वविद्यालय, शिलचर) और डॉ. पार्थ अधिकारी (प्रधानाचार्य, प्रणबानंदा इंटरनेशनल स्कूल, शिलचर) शामिल थे। उद्घाटन समारोह में प्रो. तरुण बिकाश सुकाई (विभागाध्यक्ष, सामाजिक कार्य विभाग), प्रो. एम. गंगाभूषण (सामाजिक कार्य विभाग एवं कार्यक्रम समन्वयक, एनएसएस प्रकोष्ठ), डॉ. चेतन खोब्रागड़े और डॉ. शुभदीप रॉयचौधरी (कार्यक्रम अधिकारी, एनएसएस इकाई, असम विश्वविद्यालय) उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में असम विश्वविद्यालय के विभिन्न कॉलेजों और विभागों के छात्र, शोधार्थी और संकाय सदस्य शामिल हुए, जिससे बहुआयामी दृष्टिकोण और रचनात्मक संवाद को बढ़ावा मिला। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई।
पीढ़ीगत विभाजन को कम करने में युवाओं की भूमिका
प्रो. एम. गंगाभूषण ने अपने स्वागत भाषण में कार्यक्रम के महत्व को रेखांकित करते हुए बताया कि तेजी से बढ़ती तकनीकी प्रगति और शहरीकरण के कारण पीढ़ियों के बीच दूरियां बढ़ रही हैं। उन्होंने डिजिटल जीवनशैली के कारण पारस्परिक संवाद में कमी और बुजुर्गों के सामाजिक अलगाव पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि एनएसएस स्वयंसेवक समाज में बदलाव लाने वाले कारक बन सकते हैं, जो न केवल अपने परिवारों में बल्कि समुदायों में भी पीढ़ीगत विभाजन को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
प्रो. तरुण बिकाश सुकाई ने कहा कि बुजुर्ग समाज की अनमोल धरोहर हैं और उनके ज्ञान एवं अनुभव का सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने युवाओं को अपने माता-पिता और बुजुर्गों के प्रति प्रेम व सम्मान बनाए रखने की सीख दी। साथ ही, उन्होंने एनएसएस के आदर्श वाक्य “Not Me, But You” की भावना को अपनाने और समाज की भलाई के लिए कार्य करने पर जोर दिया।
ज्ञान, आत्म-विश्लेषण और समाज के प्रति जागरूकता पर जोर
कार्यक्रम के पहले सत्र में प्रो. अमृत लाल घोष ने स्व और आत्म-चिंतन के महत्व पर विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि स्वयं को समझना ही बाहरी दुनिया में शांति स्थापित करने की कुंजी है। उन्होंने यम और नियम के सिद्धांतों के माध्यम से सत्य की ओर बढ़ने की आवश्यकता पर जोर दिया, जिससे मन, वाणी और शरीर की पवित्रता बनी रहती है। उन्होंने युवाओं को निःस्वार्थता अपनाने की प्रेरणा दी, जिससे विभिन्न आयु समूहों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध स्थापित हो सकें और पीढ़ीगत मतभेद कम हो सके।
दूसरे सत्र में डॉ. पार्थ अधिकारी ने शिक्षा और समाज के बीच गहरे संबंध की चर्चा की। उन्होंने बताया कि औपचारिक, अनौपचारिक और गैर-औपचारिक शिक्षा के माध्यम से परिवारों और सामाजिक संबंधों में आ रहे सांस्कृतिक बदलावों को समझा जा सकता है। उन्होंने “श्रद्धावान लभते ज्ञानम्” की अवधारणा पर जोर दिया, जिसमें बुजुर्ग अपनी परंपरागत ज्ञान और जीवन मूल्यों को नई पीढ़ी के साथ साझा कर सकते हैं। इस तरह की साझा शिक्षण प्रक्रिया पीढ़ीगत संबंधों को और मजबूत करने में सहायक हो सकती है।
छात्रों की भागीदारी और कार्यक्रम का समापन
इस कार्यक्रम में गुरुचरण कॉलेज, काछार कॉलेज, मनमोहन घोष अनिल दास मेमोरियल कॉलेज, पश्चिम सिलचर कॉलेज सहित विभिन्न महाविद्यालयों के विद्यार्थियों और कृषि अभियांत्रिकी, प्रदर्शन कला, पर्यावरण इंजीनियरिंग और शिक्षा विभाग के छात्रों ने भाग लिया।
कार्यक्रम के समापन सत्र में सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र एवं स्वामी विवेकानंद से संबंधित पुस्तकें प्रदान की गईं। इस अवसर पर प्रो. शुभ्रब्रत दत्ता और श्री अजीत कुमार जेना (सामाजिक कार्य विभाग) उपस्थित रहे, जिन्होंने छात्रों को प्रेरित किया।
कार्यक्रम का संचालन शोधार्थी अंतरा घोषाल (सामाजिक कार्य विभाग) ने किया।
मुख्य संदेश 
इस आयोजन से प्रतिभागियों को पीढ़ियों के बीच संवाद की बदलती प्रकृति को समझने का अवसर मिला। इसका मुख्य संदेश यह रहा कि बुजुर्गों के प्रति सहानुभूति, समझ और धैर्य जैसी नैतिक मूल्यों को अपनाकर समाज में पारिवारिक और सामाजिक संबंधों को और अधिक सशक्त एवं समावेशी बनाया जा सकता है।

Share this post:

Leave a Comment

खबरें और भी हैं...

लाइव क्रिकट स्कोर

कोरोना अपडेट

Weather Data Source: Wetter Indien 7 tage

राशिफल