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खैरुल आलम मजूमदार, बरजात्रापुर 15 दिसंबर: असमिया लोगों के लिए 100 प्रतिशत सरकारी नौकरियां आरक्षित करने के मुख्यमंत्री हिमंतविश्व शर्मा के बयान की उत्तर पूर्व भारत के प्रमुख इस्लामी विचारक और बराक घाटी के विरोधी आवाजों में से एक पीर मौलाना अहमद सईद लश्कर ने कड़ी आलोचना की है। अहमद सईद ने कहा, ”सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, मुख्यमंत्री कार्यालय में बैठकर बराक के लोगों के साथ एक-एक करके भेदभाव किया जा रहा है.” परिसीमन के नाम पर बराक घाटी से दो विधानसभा सीटें छीन ली गईं। इस बार बराक के लोगों के साथ रोजगार में भेदभाव किया जा रहा है। मुख्यमंत्री के मुताबिक, अगर 100 फीसदी सरकारी नौकरियां असमिया लोगों के लिए आरक्षित कर दी जाएंगी तो राज्य के गैर-असमिया बंगाली, मणिपुरी, दिमासा और पहाड़ी समुदायों के शिक्षित युवा कहां जाएंगे? उन्हें सरकारी नौकरी के अवसर कहां मिलेंगे? क्या बराक घाटी असम का हिस्सा नहीं है? क्या वह बराक की जनता द्वारा चुने गये मुख्यमंत्री नहीं हैं? मुख्यमंत्री की टिप्पणी से बराकवासियों के दिलों को ठेस पहुंची है. इस तरह अगर बराक के लोगों के साथ बार-बार भेदभाव किया जाएगा तो बराक के लोग अलग बराक की मांग करने पर मजबूर हो जाएंगे. नागरिक एक लोकतांत्रिक देश की सरकार बनाते हैं। अहमद सईद ने कहा, एक मुख्यमंत्री के लिए संविधान के नाम पर शपथ लेकर किसी क्षेत्र को निशाना बनाना और विकास के खिलाफ भेदभाव करना कभी स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने चेतावनी दी कि हम इस भेदभाव के खिलाफ एक लोकतांत्रिक आंदोलन खड़ा करेंगे और जरूरत पड़ी तो प्रधानमंत्री के दरबार में मुद्दई बनने से भी पीछे नहीं हटेंगे.