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सिलचर 8 जुलाई। बराक डेमोक्रटिव फ्रन्ट के तरफ से बताया गया है कि भ्रष्टाचार और नशीली दवाओं की रोकथाम में पुलिस विभाग को और अधिक सक्रिय बनाने के लिए मुख्यमंत्री द्वारा ली गयी पहल सराहनीय है । लेकिन सीमा पार से मादक पदार्थों की तस्करी रोकने की पहल की जानी चाहिए । राज्य के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व शर्मा ने हाल ही में प्रभारी पुलिस अधिकारियों के साथ एक लंबी बैठक कर पुलिस विभाग में बदलाव के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए। जिसके बाद राज्य पुलिस साहसपूर्ण कार्य कर दिखाया है, बराक डेमोक्रेटिक फ्रंट ने मुख्यमंत्री की इस पहल की सराहना की।
एक संवाददाता सम्मेलन में फ्रंट के मुख्य संयोजक प्रदीप दत्तराय ने कहा कि असम के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि मुख्यमंत्री की ओसी के साथ इस तरह की बैठक हुई है और परिणामस्वरूप राज्य के लोगों को एक विशेष संदेश दिया गया है। मुख्यमंत्री ने ओसी को भ्रष्टाचार के खिलाफ “जीरो टॉलरेंस” की नीति अपनाने का जो निर्देश दिया है इससे पुलिस अधिकारियों का मनोबल बहुत बढ़ जाएगा और समाज में भ्रष्टाचार बहुत कम हो जाएगा। बीडीएफ के मुख्य संयोजक ने कहा कि इससे पहले 1974 में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री हितेश्वर सैकिया ने पुलिस विभाग की छवि चमकाने के लिए कुछ कदम उठाए थे और देर रात पलटन बाजार थाने में गये थे और ओसी को सोये हुए पाये जाने पर बर्खास्त कर दिया था । लेकिन उसके बाद से सरकार की ओर से ऐसी कोई पहल नहीं देखी गई।
प्रदीप बाबू ने कहा कि पुलिस विभाग में ईमानदारी और दक्षता के बिना अपराध, महिलाओं के खिलाफ हिंसा या भ्रष्टाचार को दबाना कभी भी संभव नहीं है। उन्होंने नशीली दवाओं के व्यापार पर अंकुश लगाने में मुख्यमंत्री के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि राज्य में बड़ी संख्या में लोग, चाहे उनकी उम्र कुछ भी हो, इस दवा के शिकार हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में बढ़ती बेरोजगारी की समस्या और कोविड के कारण उत्पन्न अभूतपूर्व आर्थिक स्थिति ने कई लोगों को इन दवाओं को चुनने के लिए प्रेरित किया है। प्रदीप बाबू ने कहा कि हाल ही में राज्य के विभिन्न हिस्सों से ड्रग्स, भांग या याबा की गोलियां जब्त किए जाने की खबरें मिल रही हैं। यह पहल सराहनीय है लेकिन इसका अधिकांश हिस्सा म्यांमार के रास्ते असम में प्रवेश कर रहा है। इसलिए यदि मूल जगह से तस्करी नहीं रुकी तो स्थानीय स्तर पर गिरफ्तारी कर इस चक्र को नहीं रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि बीडीएफ ने पहले मांग की थी कि जरूरत पड़ने पर केंद्र सरकार की मदद से सीमा पार से मादक पदार्थों की तस्करी को रोकना होगा । उन्होंने मुख्यमंत्री से इस संबंध में प्रयास करने की अपील की।
बीडीएफ के मुख्य संयोजक ने कोयले और विभिन्न सामग्रियों के अवैध प्रवेश को रोकने के लिए चेक गेटों को मजबूत करने के लिए मुख्यमंत्री द्वारा उठाए जा रहे कदमों की भी सराहना की। हालांकि, बराक के प्रवेश द्वार पर दीगरखाल चेक गेट पर एक डीटीओ या इंस्पेक्टर की स्थायी पोस्टिंग के लिए आवेदन किया। उन्होंने कहा कि हालांकि मुख्यमंत्री परिवहन, पुलिस प्रशासन और राजस्व विभागों में त्रिस्तरीय चेक गेट लगाने और 18 डीटीओ को गुवाहाटी से भेजने की पहल कर रहे हैं, लेकिन ये विभागीय कर्मचारी आपस में बातचीत कर तस्करों से आपसी समझौता कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासन के दौरान पहले भी इसी तरह की पहल की गई थी, लेकिन इससे भ्रष्टाचार नहीं रुका। कांग्रेस के समय में दस हजार रुपये प्रति लॉरी की दर से प्रवेश अधिकार दी जाती थी, और अब यह प्रति लॉरी एक लाख रुपये देना पड़ता है । यही अंतर है। इन द्वारों पर स्थायी रूप से
एकमात्र उच्च पदस्थ व्यक्ति नियुक्त होने से इस समस्या का समाधान हो सकता है वह है, क्योंकि उसे ही अनियमितताओं का जवाब देना है। अंत में उन्होंने मुख्यमंत्री की पहल की सराहना की और वादा किया कि बीडीएफ इस संबंध में पूरा सहयोग देगा। बीडीएफ मीडिया सेल की ओर से एक प्रेस विज्ञप्ति में संयोजक हृषिकेश दे और जॉयदीप भट्टाचार्य ने यह जानकारी दी है।