हैलाकांडी, 12 जनवरी 2025-
पिछले वर्ष लगातार चार बार बाढ़ की मार झेल चुके पूर्वी हैलाकांडी के लोगों ने राज्य सरकार और प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि बाढ़ राहत योजनाओं और सरकारी परियोजनाओं का लाभ वास्तविक जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच रहा है।
पूर्वी हैलाकांडी के समारीकुना, सुदर्शनपुर, बन्दूकमारा, बरहैलाकांडी और निमाईचंदपुर जैसे क्षेत्रों के लोगों ने आरोप लगाया कि नवनियुक्त मंत्री कृष्णेंदु पाल द्वारा बाढ़ पीड़ितों के बीच वितरित किए गए चेक केवल चुनिंदा लोगों तक पहुंचे, जबकि असली पीड़ितों को इनसे वंचित रखा गया।
“हमें हमेशा पीछे छोड़ा गया”
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि उनका इलाका सबसे पहले बाढ़ से प्रभावित हुआ था, लेकिन सरकारी सहायता परियोजनाओं से उन्हें हमेशा वंचित रखा गया। लोगों ने दावा किया कि राहत के नाम पर केवल फोटो खींची गईं और दस्तावेज तैयार किए गए, लेकिन कोई ठोस मदद नहीं मिली।
2018 में आई भीषण बाढ़ का जिक्र करते हुए एक किसान ने कहा, “उस समय भी हमें किसी प्रकार की सहायता नहीं मिली। इस बार चार बार बाढ़ का सामना करना पड़ा, फिर भी सरकार ने हमें नजरअंदाज कर दिया। हम अरुणदया और अन्य सरकारी योजनाओं से भी वंचित हैं। हमारे साथ ऐसा क्यों हो रहा है?”
“दस्तावेज कहां गए?”
ग्रामीणों का आरोप है कि पटवारियों ने क्षेत्र में जांच की, प्रभावित घरों और खेतों की तस्वीरें खींची और दस्तावेज तैयार कर डीसी कार्यालय भेजे। लेकिन अब तक कोई राहत नहीं मिली। एक स्थानीय व्यक्ति ने कहा, “हम सवाल करते हैं कि क्या डीसी साहब के पास भेजे गए दस्तावेज फाड़ दिए गए? क्या यही कारण है कि हम इस परियोजना से वंचित हैं?”
गांव वालों की अपील: “हमें न्याय चाहिए”
इस स्थिति से निराश ग्रामीणों ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा से अपील की है कि वे इस मामले में हस्तक्षेप करें और यह सुनिश्चित करें कि पूर्वी हैलाकांडी के लोगों को उनका हक मिले।
बांसडोर समारीकुना जीपी के मंडल अध्यक्ष बोरहान उद्दिन बरभुइया ने समर्थकों के साथ आवाज उठाई। उन्होंने कहा, “हमने अपनी मांगें कई बार प्रशासन के सामने रखी हैं, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला। हमारे खेत बर्बाद हो गए, घर टूट गए, और बाढ़ ने हमारी पूरी जिंदगी प्रभावित की। अब हमें केवल हमारी बकाया सहायता चाहिए।”
इस अवसर पर अल्ता हुसैन, लश्कर अब्दुल मन्नाफ, लश्कर अब्दुल शुक्कुर, और नजीर उद्दिन बरभुइया जैसे कई स्थानीय नेता मौजूद रहे।
सरकार से मांग: उचित जांच और राहत वितरण
स्थानीय लोगों का कहना है कि क्षेत्र में निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और वास्तविक पीड़ितों को तुरंत राहत प्रदान की जानी चाहिए। वे यह भी चाहते हैं कि भविष्य में राहत योजनाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए।
“हम असहाय हैं। बाढ़ के बाद हमारी स्थिति दयनीय हो गई है। अगर सरकार हमें हमारी बकाया राहत नहीं दे सकती, तो हमारे पास क्या विकल्प है?”— यह सवाल हर प्रभावित परिवार की जुबान पर है।
सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी
पूर्वी हैलाकांडी के निवासियों की यह मांग है कि राहत परियोजनाओं को राजनीति से ऊपर रखा जाए और वास्तविक जरूरतमंदों तक मदद पहुंचाई जाए। अब देखना होगा कि मुख्यमंत्री और प्रशासन इस मामले पर क्या कदम उठाते हैं।





















