गुवाहाटी, 09 दिसंबर : पूर्वोत्तर सीमा रेलवे (पूसीरे) के अधीन विभिन्न स्टेशनों पर वन स्टेशन वन प्रोडक्ट (ओएसओपी) आउटलेट्स सफलतापूर्वक चल रहे हैं। पूर्वोत्तर सीमा रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सब्यसाची डे ने आज बताया कि ओएसओपी आउटलेट्स रेलवे स्टेशनों को स्थानीय और स्वदेशी उत्पादों का प्रचार और बिक्री केंद्र बना रहे हैं। स्वदेशी संस्कृति और परंपराओं को प्रदर्शित करने के अलावा, ओएसओपी स्थानीय विक्रेताओं और उनके परिवारों के जीवन में भारी बदलाव ला रहे हैं। ओएसओपी योजना ने उन विक्रेताओं के परिवारों के लिए आर्थिक सुरक्षा भी प्रदान की है, जो ओएसओपी आउटलेट चला रहे हैं।
ट्रेन यात्री अब रेलवे स्टेशनों पर अपनी यात्रा के दौरान विभिन्न राज्यों में स्थापित वन स्टेशन वन प्रोडक्ट आउटलेट पर स्थानीय हस्तशिल्प, हथकरघा, कॉटन उत्पादों और अन्य हस्तनिर्मित कलाकृतियों की समृद्ध विरासत का जायजा ले सकते हैं। इस प्रकार, स्थानीय कारीगरों को अपने स्थानीय उत्पादों के प्रदर्शन और विपणन के लिए सशक्त बनाना और वोकल फार लोकल मिशन को बढ़ावा देना है।
पूसी रेलवे के क्षेत्राधिकार के अधीन 01 दिसंबर तक 133 रेलवे स्टेशनों पर स्थापित 180 ओएसओपी आउटलेट चल रहे हैं। असम में 128, पश्चिम बंगाल में 31, बिहार में 13 ओएसओपी आउटलेट चालू हैं। कुछ प्रमुख स्टेशनों में असम के गुवाहाटी, डिब्रूगढ़, न्यू तिनसुकिया, बरपेटा रोड, रंगापाड़ा नॉर्थ, कोकराझार, पश्चिम बंगाल के न्यू अलीपुरद्वार, न्यू जलपाईगुड़ी, दार्जिलिंग, कोचबिहार, बिहार के बारसोई, कटिहार शामिल हैं। ओएसओपी योजना के अधीन पूर्वोत्तर सीमा रेल के सभी आउटलेट्स के माध्यम से 739 लाभार्थियों को लाभ पहुंचा है।
सभी स्टालों द्वारा स्थानीय स्तर पर निर्मित विशिष्ट और अमूल्य उत्पादों की किस्मों का प्रदर्शन और विपणन किया जा रहा है। विभिन्न प्रकार के असमिया पीठा, पारंपरिक असमिया गामोछा, पारंपरिक बोड़ो व पारंपरिक राजवंशी पोशाक, जापी, स्थानीय वस्त्र, जूट उत्पाद (टोपी, गमोछा, गुड़िया), हथकरघा, दार्जिलिंग चाय, स्थानीय निर्मित डिजाइनर चूड़ियां, हार, कान की बालियां, हेयर क्लिप, बांस एवं केन के उत्पाद आदि के साथ-साथ अन्य स्थानीय खाद्य उत्पाद यात्रियों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।
इस पायलट योजना की शुरुआत के बाद से देश भर के 21 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में 1134 ओएसओपी आउटलेट्स के साथ 1037 स्टेशनों को शामिल किया गया है। अब तक पूरे भारत में संचयी प्रत्यक्ष लाभार्थियों की संख्या 39,847 हैं।