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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पेपर मिल के नाम पर बराक की जनता से ठगी की है।यह बात मुख्यमंत्री हिमंत बिश्व शर्मा ने साबित कर दी है। पेपर मिल कर्मियों को मात्र 28माह का वेतन मिला है। 57 माह का वेतन नहीं दिया गया। साथ ही 100 लोगों को सरकारी नौकरी दी जानी थी। उस मुद्दे को भी कोहरे में रखा गया है। राज्यसभा सांसद सुष्मिता देब ने गुरुवार को सिलचर स्थित अपने आवास पर संवाददाता सम्मेलन में यह आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी द्वारा पंचग्राम में पेपर मिलों को पुनर्जीवित करने का किया गया वादा झूठा साबित हुआ और मुख्यमंत्री हिमंत बिश्व शर्मा ने इसे साबित कर दिया है। वह पांच साल पहले बकाये का निपटारा कर सकते थे क्योंकि सरकार भाजपा की थी। दीमा हसाओ में बांस की आपूर्ति एचपीसी के नाम पर है। इस तरह राज्य सरकार प्रबंधन करेगी। बराक या असमवासी कभी नहीं चाहते कि दो पेपर मिल बंद हों। वास्तव में मुख्यमंत्री व्यक्तिगत स्वामित्व को लाभ देना चाहते हैं। 2 जून को उन्होंने मुख्यमंत्री हिमंत बिश्व शर्मा को पेपर मिल को पुनर्जीवित करने के लिए एक पत्र लिखा था। लेकिन मुख्यमंत्री पेपर मिलों को बंद करके दूसरे उद्योग की तलाश कर रहे हैं। दरअसल, मुख्यमंत्री हिमंत बिश्व शर्मा के पीछे एक प्रभावशाली राजनीतिक नेता है, उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हिमंत बिश्व शर्मा यह सब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश पर कर रहे हैं।