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शस्त्र और शास्त्र के पूजन पर्व दशहरा के अवसर पर सामाजिक मिलन समारोह का भव्य आयोजन किया गया। अधिकांश क्षत्रिय-क्षत्राणियों की वेशभूषा उनके आचार विचार का बखान कर रही थी, वहीं इनमें न्याय, राजनीति, उद्योग, करणी सेना, पुलिस व शिक्षा जगत की छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी हस्तियों की उपस्थिति सामाजिक संगठन को गरिमामयी बना रही थी। समारोह का प्रारंभ सामूहिक राम-स्तुति से हुआ। डिम्पल अग्रवाल ने हाड़ी रानी का एकल नाट्य प्रस्तुत किया। हृदय विदारक इस प्रस्तुति से उन्होंने क्षत्रिय समाज के त्याग और बलिदान के अद्भुत गौरव का असरदार अभिनय किया। जय भवानी- हाड़ी रानी के जयघोषों ने वातावरण को बुलन्दी पर पहुंचा दिया। इसके बाद कार्यक्रम के अध्यक्ष उद्योग पति सुरेश सिंह भदौरिया मुख्य अतिथि मोहनसिंह सेंगर व राजपूत समाज की कई विभूतियों को अतिथि रूप में मंचासीन कर पुष्पमालाओं व उत्तरीय पट पहना कर उनका स्वागत किया गया।
इस अवसर पर प्रगतिशील क्षत्रिय महासभा इन्दौर के अध्यक्ष ओंकारसिंह भदौरिया का प्रभावी स्वागत संबोधन हुआ। किसी भी समाज में इस तरह के अहंकार रहित सम्बोधन बहुत कम सुनने को मिलते हैं। अधिसंख्य समाजजनों की इच्छा थी कि इस स्वागत भाषण को जन-जन तक पहुंचाया जाए। अतः बिना काट-छाँट के यथावत आप तक यह प्रस्तुत है। उन्होंने कहा –
“क्षत्रिय समाज के मेरे सभी भाइयो–बहनो! प्रगतिशील क्षत्रिय महासभा के इस दशहरा मिलन समारोह में मैं आप सभी का हृदय से स्वागत करता हूँ। हमारे मंचासीन अतिथिगणों में समाज के मुख्य संरक्षक आदरणीय सुरेशसिंह भदौरिया जी संरक्षक मोहनसिंह सेंगर जी क्षत्रिय महासभा के स्तंभ के रूप में कार्य करने वाले विजय सिंह परिहारजी, राजबहादुर सिंह कुशवाह, श्री उदयवीर सिंह राठौर और श्री रामनरेश सिंह भदौरिया जी का हृदय से अभिनंदन करता हूँ, जिनके अथक प्रयासों से यह संगठन आज इस मुकाम पर पहुँचा है।
मैं अपनी कार्यकारिणी के जाँबाज़ कार्यवाहक अध्यक्ष रामावतार सिंह उर्फ़ लल्ले, नागेन्द्र सिंह भदौरिया, उपाध्यक्ष छतर सिंह भाटी, राजूसिंह चौहान, सचिव हेमंतसिंह जादौन, सहसचिव सुमितसिंह राजावत, कोषाध्यक्ष रमेशसिंह परिहार, सह कोषाध्यक्ष मनोहरसिंह चौहान, संगठनमंत्री बृजराजसिंह कुशवाह, श्री आर.बी. सिंह भदौरिया, प्रचार मंत्री सत्येंद्रसिंह तोमर एवं कार्यकारिणी के सभी संचालक गणों का स्वागत करता हूँ, जो निरंतर इस महासभा को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। उषा पंवार, निरंजन सिंह चौहान, सुमित सिंह कुशवाह, जेपी कुशवाह सहित समाज के हर गोत्र व हर नागरिक का सम्मान करते हुए अंत में मैं अभिनंदन करना चाहता हूँ सभी के लाड़ले वीर योद्धा, महासभा के पूर्व अध्यक्ष और मेरे छोटे भाई श्री राजू भदौरिया जी का, जिन्होंने युवावस्था से ही अपना जीवन राजपूत समाज को समर्पित कर पूरे शहर में राजपूतों को एकत्रित किया और समाज का नाम रोशन किया है।
भाइयो–बहनो! पिछले तेईस वर्षों से प्रगतिशील क्षत्रिय महासभा ने इंदौर के सभी राजपूतों को जोड़ने और जागरूक करने का कार्य किया है। आज यह दशहरा मिलन समारोह केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि क्षत्रिय एकता का प्रतीक बन चुका है। इस वर्ष इस महासभा को आगे बढ़ाने की ज़िम्मेदारी अध्यक्ष के रूप में मुझे प्राप्त हुई है और मैं इसे अपना सौभाग्य मानता हूँ। कुछ दिन पहले मैं सोच रहा था कि हमारे संगठन का नाम “प्रगतिशील क्षत्रिय महासभा” क्यों रखा गया? प्रगतिशील का अर्थ है – समय के अनुसार स्वयं को ढालना और आगे बढ़ना। हमारे पूर्वजों ने युद्धभूमि में अमर शौर्य दिखाया है। पृथ्वीराज चौहान और महाराणा प्रताप जैसे नाम आज भी वीरता के प्रतीक हैं किन्तु वीरता प्रदर्शन की जगह आज की लड़ाई तलवार और भाले की नहीं रह गई है, आवश्यकतानुसार अब यह संघर्ष शिक्षा, संगठन, आत्मनिर्भरता और सामाजिक प्रगति के लिए होना चाहिए।
इसीलिए हमें अपने आदर्श पुरुषों के संघर्षीय दायरे को विस्तृत करना होगा। महान परमार सम्राट राजा भोज, जिन्होंने रसायन विज्ञान से लेकर खगोल शास्त्र तक 15 से अधिक ग्रंथ लिखे। धार में भोजशाला जैसा विश्वविख्यात शिक्षा केंद्र बनाया। भारत की संसद भवन की डिज़ाइन मुरैना के 64 योगिनी मंदिर से प्रेरित है, जिसका निर्माण कछवाहा शासकों ने कराया। यह केवल मंदिर नहीं, बल्कि विद्या का केंद्र भी हुआ करता था।चंदेल शासकों द्वारा बनवाये गए खजुराहो के मंदिर आज भी विश्वविख्यात मूर्तिकला का अद्वितीय उदाहरण हैं। सवाई जयसिंह जैसे शासक, जिन्होंने खगोल विज्ञान में अद्वितीय योगदान देकर जंतर–मंतर जैसी वेधशालाओं का निर्माण किया। राजा भोज, हर्षवर्धन और शूद्रक ने साहित्य का सम्बर्धन किया। ये उदाहरण बताते हैं कि हमारा क्षत्रिय समाज केवल युद्धभूमि तक सीमित नहीं रहा, बल्कि ज्ञान, स्थापत्य, विज्ञान साहित्य और संस्कृति हर क्षेत्र में उसने देश को समृद्ध किया है।
भाइयो–बहनो! प्रगतिशील होने की दिशा में हमने भी कुछ ठोस कदम उठाए हैं। हाल ही में एक सेंट्रल कमेटी का गठन किया गया है, जिसमें सभी राजपूत संगठनों ने एकमत होकर प्रगतिशील महासभा के संरक्षक श्री सुरेश भदौरिया जी को अध्यक्ष चुना है। इस कदम से समस्त राजपूत बन्धु एक छत्र के नीचे आ गए हैं और सभी संगठनों ने अपनी एकता का परिचय दिया है। मैं सभी संगठनों का हार्दिक आभार प्रकट करता हूँ।
ऐसा ही एक और प्रगतिशील कदम है ‘प्रगतिशील क्षत्रिय महासभा’ की महिला इकाई का गठन। इसकी अध्यक्षा माननीय डॉ. दीप्ति हाड़ा चुनी गई हैं। समाज में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी हमारे संगठन को नई दिशा और नई ऊर्जा देगी। यह इकाई शिक्षा, साहित्य,संस्कृति और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान करेगी। हमारा संगठन केवल नारेबाज़ी तक सीमित नहीं है, बल्कि जमीनी स्तर पर काम भी कर रहा है।
भाइयो–बहनो! आने वाले समय में हमें 3 मुख्य दिशाओं में काम करना होगा –1. एकता 2. शिक्षा 3. रोज़गार आदि।
एकता की दिशा में, हम जल्द ही महासभा के युवा मोर्चा का गठन करेंगे। हम नहीं चाहते कि यह महासभा केवल एक senior citizen body बनकर रह जाए। इसलिए समाज की युवा शक्ति आगे आए और बढ़-चढ़कर समाज कार्य में योगदान दे। मैं इस कार्य के लिए विशेष रूप से – एकलव्य गौर, मयंक भदौरिया, पार्थ और मेरे छोटे भाई जितेंद्र पंवार सहित अन्य युवाओं को इस मंच से आमंत्रित करता हूँ। रोज़गार की दिशा में, मेरी अपील है कि हमारे समाज के जो भी भाई व्यवसाय या उद्योग चलाते हैं, वे रोजगार देने में राजपूत युवाओं को प्राथमिकता दें।
शिक्षा की दिशा में, हमें अन्य समाजों से भी अच्छी से अच्छी बातें सीखनी और सिखानी होंगी। जो मेधावी बच्चों को चुनकर उन्हें UPSC, मेडिकल और IIT जैसी कठिन परीक्षाओं के लिए तैयार करती हैं। बच्चों को होस्टल, क्लासेस और लाइब्रेरी जैसी सुविधाएँ दी जाती हैं। मैं चाहता हूँ कि हम बार-बार ऐसा प्रयास करते रहें जिससे आर्थिक रूप से कमजोर मेधावी राजपूत छात्रों के लिए सहायता सदैब उपलब्ध कराई जाती रहे। ताकि हमारे बच्चे भी डॉक्टर, इंजीनियर, अफ़सर और वैज्ञानिक बनकर देश–प्रदेश और समाज का नाम रोशन कर सकें।
भाइयो–बहनो? हमारे पूर्वजों ने तलवार से स्वाभिमान की रक्षा की थी। अब हमें शिक्षा, संगठन और प्रगति से अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य सुरक्षित करना होगा। यही हमारा संकल्प और यही इस महासभा का उद्देश्य है। धन्यवाद। इस सम्बोधन के बाद मंचासीन सभी अतिथियों ने संगठन के हित में अपने-अपने प्रभावी उद्बोधन दिए। कई घोषणाएं की गईं। बीच-बीच में विभिन्न क्षेत्रों में समाज को गौरवान्वित करने वाली प्रतिभाओं का शाॅल श्रीफल और स्मृति चिन्ह देकर सम्मान चलता रहा। साहित्यिक उपलब्धियों के लिए राष्ट्रीय कवि गिरेन्द्रसिंह भदौरिया “प्राण” का विशेष सम्मान किया गया। राजबहादुर सिंह कुशवाह ने सभी का आभार माना। अन्त में सहभोज के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
रिपोर्टर
गिरेन्द्रसिंह भदौरिया “प्राण” इन्दौर
9424044284
6265196070
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