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रेशमी दत्ता के आजीवन सदस्य बनने की उल्लेखनीय यात्रा
एक उल्लेखनीय उपलब्धि ने प्रणबनानंद इंटरनेशनल स्कूल और पूरे समुदाय पर एक उज्ज्वल प्रकाश डाला है। स्कूल की सम्मानित योग शिक्षिका सुश्री रेशमी दत्ता ने प्रतिष्ठित भारतीय योग संघ के आजीवन सदस्य (IYA/2023/YP4890) बनकर एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर (प्रभाव) हासिल किया है। इस उल्लेखनीय उपलब्धि के लिए उनकी यात्रा उनके समर्पण, प्रतिबद्धता और योग के अभ्यास के लिए अटूट जुनून का एक (दस्तावेज) वसीयतनामा है। योग की दुनिया में सुश्री रेशमी दत्ता की यात्रा इस प्राचीन कला की परिवर्तनकारी शक्ति के लिए एक गहरी प्रशंसा के साथ एक युवा उत्साही के रूप में शुरू हुई। कालीबारी रोड, तारापुर, सिलचर के प्रतिष्ठित शहर व सम्मानित संभ्रांत परिवार में इनका लालन-पालन( जन्म )हुआ ।वह स्वर्गीय श्री रंजन कुमार दत्ता और श्रीमती दीपाली दत्ता की सबसे (लाडली)छोटी बेटी हैं। उनकी परवरिश (पालन- पोषण)ने उनके अनुशासन, दृढ़ता और समुदाय की एक मजबूत भावना के मूल्यों में प्रवेश किया, जो योग विशेषज्ञ बनने की उनकी यात्रा में आवश्यक रहे हैं। उनके जीवन के सबसे महत्वपूर्ण क्षणों में से यह एक विशेष कार्य हुआ जब उन्होंने योग के लिए अपने जुनून को गंभीरता से लेने का फैसला किया।
उन्होंने विवेकानंद रॉक मेमोरियल (स्मारक वह यादगार)और विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी द्वारा पेश किए गए विभिन्न योग पाठ्यक्रमों में नामांकन करके सीखने और आत्म (ज्ञान)-खोज का मार्ग शुरू किया। योग और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता के लिए जानी जाने वाली इन संस्थाओं ने उन्हें योग के अभ्यास में एक ठोस आधार प्रदान किया। सुश्री दत्ता का समर्पण और योग के विभिन्न पहलुओं में महारत व योग्यताएं हासिल करने में कड़ी मेहनत उनके शिक्षकों और साथियों के लिए स्पष्ट नजीर व दृष्टांत थी, उनके पूरे प्रशिक्षण में उनका सम्मान और प्रशंसा अर्जित की। भारतीय योग संघ का आजीवन सदस्य बनने की उनकी उपलब्धि न केवल एक व्यक्तिगत जीत है, बल्कि प्रणबनंद इंटरनेशनल स्कूल में उनके परिवार, दोस्तों और सहयोगियों के लिए गर्व और प्रेरणा का क्षण है। उसका परिवार, जो समर्थन का स्तंभ रहा है, उसकी सफलता में आनन्दित होता है, यह जानते हुए कि उसके समर्पण का फल मिला है। स्कूल में उनके सहयोगी, जहां वह सभी युवाओं को योग का ज्ञान प्रदान करती हैं, उनकी उपलब्धियों पर समान रूप से गर्व करते हैं। उनकी यात्रा ने न केवल उनके जीवन को समृद्ध किया है, बल्कि उन छात्रों के भी जीवन को समृद्ध किया है जिन्हें उनसे सीखने का सौभाग्य मिला है। उनकी उपलब्धि की मान्यता में, भारत सेवाश्रम संघ उत्तर पूर्व क्षेत्र के मुख्य सचिव स्वामी साधनानंद जी महाराज ने सुश्री रेशमी दत्ता को अपना आशीर्वाद दिया। उनके प्रोत्साहन और समर्थन के शब्दों ने उनकी उपलब्धि को महत्व की एक अतिरिक्त परत (सतह)जोड़ दी है।
प्रणबनंद इंटरनेशनल स्कूल के सम्मानित प्राचार्य डॉ. पार्थ प्रदीप अधिकारी ने सुश्री दत्ता के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ व्यक्त की। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे उन्होंने स्कूल में छात्रों और सहयोगियों दोनों के लिए एक प्रेरणा के रूप में काम किया है। सुश्री रेशमी दत्ता का योग के प्रति जुनून और उनकी उल्लेखनीय उपलब्धि उन्हें पूरी बराक घाटी में भारतीय योग संघ के सबसे कम उम्र और सबसे प्रतिष्ठित सदस्यों में से एक बनाती है। सुश्री रेशमी दत्ता की एक युवा उत्साही से भारतीय योग संघ के आजीवन सदस्य तक की यात्रा दृढ़ संकल्प, समर्पण और जो कुछ भी करती है उसके प्रति प्रेम की शक्ति का प्रमाण है। उनकी उपलब्धि न केवल उनके परिवार और स्कूल के लिए सम्मान लाती है, बल्कि सभी महत्वाकांक्षी योगाभ्यासीऔर योगाभ्यासिनी के लिए प्रेरणा की एक किरण के रूप में भी कार्य करती है, जो हमें हमारे जीवन में योग की सभी परिवर्तनकारी क्षमता की याद दिलाती है। उनकी कहानी इस तथ्य का एक वसीयतनामा (दस्तावेज) है कि जुनून, दृढ़ता और अटूट प्रतिबद्धता के साथ, हम अपने चुने हुए रास्तों में महानता वह लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं।





















