प्रेरणा भारती, निहार कांति राय, उधारबंद, 18 जून:
समावेशी शिक्षा को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक सराहनीय पहल करते हुए प्रणबानंद इंटरनेशनल स्कूल ने 18 जून 2025 को अपने शिक्षकों के लिए एक विशेष प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया। इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य था – छात्रों में दृष्टिसंबंधी समस्याओं की प्रारंभिक पहचान एवं समाधान की प्रक्रिया को सशक्त बनाना। यह कार्यशाला ‘विद्या दृष्टि कार्यक्रम’ के अंतर्गत आयोजित हुई, जिसे ZEISS के सहयोग से आलोक विजन फाउंडेशन द्वारा, तथा जिला दिव्यांगजन पुनर्वास कार्यक्रम (DDRP) और असम सरकार के समाज कल्याण विभाग के संयुक्त तत्वावधान में क्रियान्वित किया गया।
इस प्रशिक्षण का मूल लक्ष्य था शिक्षकों को व्यावहारिक जानकारी देना ताकि वे कक्षा में मौजूद छात्रों के दृष्टिसंबंधी प्रारंभिक लक्षणों को पहचान सकें और आवश्यक सहयोग या मार्गदर्शन दे सकें, जिससे कोई भी नेत्र संबंधित समस्या शिक्षा में बाधा न बने।
कार्यशाला का संचालन सक्षम एनजीओ के तीन विशेषज्ञ रिसोर्स पर्सन ने किया।
- डॉ. मिथुन राय, सक्षम के सचिव ने दृष्टिबाधित छात्रों की प्रारंभिक पहचान की आवश्यकता और समावेशी शिक्षा की उपयोगिता पर विस्तृत चर्चा की।
- उनके साथ बेंगलुरु से आए डॉ. नागराज, एक अनुभवी ऑप्टोमेट्रिस्ट, ने इस क्षेत्र की तकनीकी जानकारी साझा की।
- डॉ. अयन दास ने विभिन्न विजन स्क्रीनिंग विधियाँ और ‘विजन करेक्शन किट’ के प्रभावी प्रयोग पर व्यावहारिक प्रदर्शन प्रस्तुत किया।
प्रशिक्षण में शिक्षकों को यह सिखाया गया कि वे कैसे छात्रों में सामान्य दृष्टिसंबंधी लक्षणों को पहचानें, उनके प्रभाव को समझें और कक्षा में उपयुक्त शिक्षण रणनीतियाँ अपनाएं। इस अवसर पर प्रशिक्षकों की ओर से विद्यालय को एक दृष्टि परीक्षण किट भी उपहार स्वरूप प्रदान की गई, जिससे शिक्षक भविष्य में स्वयं प्राथमिक परीक्षण कर सकें।
विद्यालय के प्राचार्य डॉ. पार्थ प्रदीप अधिकारी ने कहा,
“हम आलोक विजन फाउंडेशन और सक्षम एनजीओ के आभारी हैं, जिन्होंने समावेशी शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए यह उत्कृष्ट प्रयास किया। यह प्रशिक्षण हमें उस दिशा में ले जाएगा, जहाँ हर छात्र — चाहे वह शारीरिक या संवेदी रूप से किसी भी चुनौती से जूझ रहा हो — गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सके।”
कार्यक्रम के अंत में सम्मान समारोह आयोजित किया गया, जिसमें अतिथियों को सम्मानित किया गया। यह प्रशिक्षण कार्यशाला न केवल शिक्षकों के ज्ञानवर्धन का माध्यम बनी, बल्कि उन्हें एक सजग, सहानुभूतिपूर्ण और समावेशी विद्यालय वातावरण निर्माण की ओर प्रेरित भी किया। उपस्थित शिक्षकों ने इसे अपने शिक्षण में सकारात्मक बदलाव लाने का एक महत्वपूर्ण अवसर माना।





















