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प्रधानमंत्री मोदी के 5 ट्रिलियन डॉलर के सपने को पूरा करने का रास्ता उत्तरप्रदेश से ही जाता है — अशोक भाटिया

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भाजपा की मुख्यमंत्री परिषद की बैठक दो दिन पहले  ही समाप्त हुई है। बैठक में कई राज्यों की योजनाओं पर चर्चा हुई। वहीं प्रधानमंत्री  मोदी ने भारत को पांच ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के प्रयासों पर चर्चा की। इसमें भाजपा शासित राज्यों के 13 मुख्यमंत्रियों और 15 उपमुख्यमंत्रियों ने हिस्सा लिया था । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि अगर केंद्र और राज्य सरकारें जन कल्याण के लिए समन्वित प्रयासों के साथ काम करें तो सरकार विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल होगी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि विरासत का संरक्षण और विकास की विरासत का निर्माण विकसित भारत की अवधारणा के लिए महत्वपूर्ण है। सभी को इस ओर ध्यान देते रहना चाहिए। प्रधानमंत्री  ने देश की अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने के लिए किए जा रहे विभिन्न प्रयासों, विकास कार्यक्रमों में जनभागीदारी बढ़ाने औरसरकारी योजनाओं की पहुंच बढ़ाने के लिए विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करने पर चर्चा की।

इस अवसर पर उत्तर प्रदेश को 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखते हुए, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य के लिए ‘यूपी फॉर यूपी, यूपी फॉर इंडिया, यूपी फॉर ग्लोबल’ की कल्पना के बारे में बताया   मुख्यमंत्री ने कहा है कि अब उत्तर प्रदेश का समय है । उत्तर प्रदेश अपनी सभी क्षमताओं का उपयोग करते हुए देश के बहुआयामी विकास के सबसे महत्वपूर्ण आधार के रूप में स्थापित होगा  । यूपी की क्षमता के अनुरूप क्षेत्रवार अल्पकालिक और दीर्घकालिक रणनीति तय करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने के लिए 2027 तक  की समयसीमा तय की है ।उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा कि “वर्ष 2027 तक उत्तर प्रदेश 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था वाला राज्य बन जायेगा ।

योगी ने कहा कि प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप उत्तर प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना हमारा मिशन है । इसके लिए अधिकारियों को मुख्य क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेंगे साथ ही   इसके लिए  हमारे मुख्य क्षेत्र विनिर्माण, आईटी और आईटीईएस, धार्मिक पर्यटन और कृषि हैं  । इसके हमें  ऊर्जा, स्वास्थ्य, शहरी विकास, शिक्षा, खाद्य प्रसंस्करण और एमएसएमई जैसे क्षेत्रों पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा  है।

गौरतलब है कि आज आप उत्तर प्रदेश के किसी भी शहर में आज दिन या रात को जाएं तो आपको एक दशक पहले की तुलना में अभूतपूर्व अंतर दिखाई देगा । नोएडा से लेकर आगरा और कानपुर से लेकर बनारस तक, आपको हर जगह चमचमाते बाजार, मॉल और व्यवसायिक प्रतिष्ठान दिखाई देंगे । यूपी में किसी से भी बात करें, निश्चित रूप से वह अब यही कहता है कि यूपी आगे बढ़ रहा है और कानून-व्यवस्था बिल्कुल ठीक है  । नए उत्तर प्रदेश में आपका स्वागत है, जो बड़ी संख्या में पर्यटकों और निवेशकों को आकर्षित कर रहा है   ।यहां आर्थिक गतिविधियां तीव्र गति से संचालित की जा रही है।

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बिल्कुल सही कहते हैं कि उनका राज्य बीमारु श्रेणी से बाहर निकलकर अब सक्षम राज्य बनने की ओर अग्रसर है ।  उनकी यह टिप्पणी नीति आयोग द्वारा जारी उस रिपोर्ट के बाद आयी, जिसमें कहा गया कि भारत में 2015-16 से 2019-21 के बीच 13प्रधानमंत्री 5करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी की रेखा से ऊपर उठकर बाहर निकलेप्रधानमंत्री  गरीबों की संख्या में सबसे अधिक गिरावट वाले राज्यों में यूपी शीर्ष पर है ।

यूपी में गरीबी में सर्वाधिक कमी वाले जिले महराजगंज (29. 64%), गोंडा (29. 55%), बलरामपुर (27. 9%), कौशांबी (25. 75%), लखीमपुर खीरी (25. 33%), श्रावस्ती (24. 42%), जौनपुर (26. 65%), बस्ती (23. 36%), गाजीपुर (22. 83%), कुशीनगर (22. 28%) और चित्रकूट (21. 40%) है  ।जो लोग यूपी को जानते हैं वे आपको बताएंगे कि इन जिलों की हालत पहले बहुत खराब थीप्रधानमंत्री  इसलिए यदि राम और कृष्ण की जन्मस्थली यूपी से दिल को छू लेने वाली ऐसी सुखद खबर आ रही है तो यह न केवल राज्य बल्कि पूरे देश के लिए एक शुभ संकेत है ।

बीमारू राज्य  शब्द का प्रयोग अक्सर बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश को संदर्भित करने के लिए किया जाता  रहा है  । आमतौर पर इसका अर्थ यह होता है कि ये राज्य आर्थिक विकास, स्वास्थ्य, शिक्षा, कुपोषण, सड़क, बिजली, पानी समेत अन्य सभी सूचकांकों में पिछड़े हुए हैं ।  भारत को यदि 5  ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना है तो इसके लिए बडी आबादी वाले उत्तर प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय को बढाना भी अति आवश्यक हैप्रधानमंत्री  यह भी सत्य है कि नए परिसीमन के चलते उत्तर प्रदेश पूर्व के मुकाबले राजनीतिक रूप से आज अधिक महत्वपूर्ण हो गया है ।

भारत के आर्थिक लक्ष्यों की प्राप्ति में बड़ी भूमिका के निर्वाहन में यूपी, समाज के विभिन्न स्तरों के साथ राजनीतिक नेतृत्व के जरिए योगदान दे सकता है।  यदि उत्तर प्रदेश नेतृत्व करे तो इसमें कोई शक नहीं कि भारत एक प्रमुख राजनीतिक शक्ति बन सकता है ।  यूपी को आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अनुसंधान एवं विकास, आईपी और एआई के साथ इलेक्ट्रॉनिक्स डिजाइन, रक्षा उत्पादों के निर्माण और फार्मास्यूटिकल्स सरीखे उद्योगों पर ध्यान केंद्रित करना होगा ।

नीति आयोग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार ने दावा किया कि 2015-2016 से 2019-2021 तक सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) में उत्तर प्रदेश में गरीबों की संख्या में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई । राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक से पता चला है कि इस अवधि के दौरान 13.  5 करोड़ लोगों में से अकेले यूपी में 3. 43 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले । यह एक चौंका देने वाली संख्या है ।

36 राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और 707 प्रशासनिक जिलों पर केंद्रित रिपोर्ट उत्तर प्रदेश में सबसे तेज गति से गरीबों की संख्या में कमी का इशारा करती है । गरीबी कम होने के मामले में बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा और राजस्थान जैसे राज्य यूपी के बाद ही आते हैं ।  सरकार ने दावा किया है कि रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि राज्य भर के गांवों में गरीबों की संख्या तेजी से घटी है । इतना ही नहीं स्वास्थ्य, शिक्षा, जीवन की गुणवत्ता सरीखे मानकों पर भी बेहतरीन परिणाम दिखे हैं।

नीति आयोग की रिपोर्ट पर आगरा के उद्यमी और रोटरी क्लब के प्रमुख मनीष मित्तल कहते हैं कि पूरे उत्तर प्रदेश में उत्साहजनक माहौल है । राज्य सभी क्षेत्रों में तेजी से प्रगति कर रहा है  ।मेरा विश्वास करें, हमारा व्यवसाय अच्छा चल रहा है और हम आर्थिक विकास में एक लंबी छलांग लगाने के लिए तैयार हैं  । काम के इच्छुक लोगों के लिए काम की कोई कमी नहीं है ।  नीति आयोग की रिपोर्ट कहती है, पोषण से वंचित गरीबों की संख्या 2015-16 में 30. 40% से घटकर 2019-21 में 18प्रधानमंत्री 45% रह गई हैप्रधानमंत्री  इसमें कहा गया है कि बच्चों और किशोरों की मृत्यु दर में भी सुधार हुआ है, जो 2015-16 में 3. 81% से गिरकर 2019-21 में 2. 20% हो गई है ।

राज्य में मातृ स्वास्थ्य में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ है । मातृ मृत्यु दर 2015-16 में 25.  20% से घटकर 2019-21में 15. 97% हो गई है । इसके अलावा, खाना पकाने के ईंधन तक पहुंच नहीं रखने वाले गरीबों का प्रतिशत 2015-16 में 34. 24% के मुकाबले 2019-21 में 17. 95% था ।  इसके अलावा पीने के पानी से वंचित लोगों की संख्या 2015-16 में 2 । 09%के मुकाबले 2019-21 में 0.  93% हो गई । इसमें कोई दो राय नहीं कि कभी विकास के पैमाने पर पिछडे यूपी में आज योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में चौतरफा विकास हो रहा है।

खैर, आज दुनिया भी यह मानने लगी है कि उत्तर प्रदेश अब गरीब और बीमारू राज्य नहीं है, बल्कि एक ऐसा राज्य है जहां पिछले छह वर्षों में 5प्रधानमंत्री 5 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर उठे हैं  । यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है । यह दुख की बात है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस, सपा और बसपा की सरकारें गरीबी तो दूर कर नहीं पाई, लेकिन खोखला नारा जरूर देकर गईं  । सपा के नारे जातिवाद और अराजकता के चंगुल में फंसकर भ्रष्टाचार के प्रतीक बन गए जबकि बसपा शासन में यूपी विकास की दौड़ में अन्य राज्यों से काफी पीछे रह गया ।

उत्तर प्रदेश में पिछले सात  वर्षों में जो विकास और जनकल्याण के कार्य दिखे हैं, वे पहले भी हो सकते थे ।  लेकिन , पिछली सरकारों में इच्छाशक्ति का अभाव स्पष्ट दिख रहा थाप्रधानमंत्री  उन्होंने किसानों और व्यापारियों का भरपूर शोषण किया, युवाओं के साथ अन्याय भी किया और महिलाओं की सुरक्षा को गंभीर खतरे में डाला।

जैसा कि हमने ऊपर बताया कि  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2027   तक  1 ट्रिलियन इकोनॉमी का लक्ष्य बनाया है ।  यह राज्य समेत यहां के निवासियों की क्षमताओं को बेहतर संभावनाओं में बदलने का एक सुअवसर है  ।भारत समेत दुनियाभर में गरीबी कम करने, जीवन स्तर में सुधार के लिए सबसे शक्तिशाली और टिकाऊ यदि कोई रास्ता है तो वो आर्थिक विकास ही है, और मिशन 1 ट्रिलियन में यूपी को बदलने की क्षमता है और प्रधानमंत्री मोदी भारत  की आर्थिक स्थिति को 5 ट्रिलियन तक पहुंचाने का लक्ष्य जिसका रास्ता उत्तरप्रदेश से ही होकर जाने वाला है।

 अशोक भाटिया,

वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार ,लेखक, समीक्षक  एवं टिप्पणीकार

लेखक  5  दशक से लेखन कार्य से जुड़े हुए हैं

पत्रकारिता में वसई गौरव अवार्ड से  सम्मानित,

वसई पूर्व  – 401208 ( मुंबई )E MAIL – vasairoad.yatrisangh@gmail.com   व्हाट्स एप्प 9221232130

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