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प्रिय संपादक जी,

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मैं प्रेरणा भारती से जुड़ी एक महिला हूं, जो हिंदी भाषा के बारे में कुछ लिखना चाहती हूं l हिंदी हिंदुस्तान की” राष्ट्रभाषा” है, और हम सब भाई-बहन हैं जो कि इस देश में रहते हैं l इस देश के हर राज्यों में कई भाषाएं बोली जाती है जो हिंदी के माध्यम से ही जानी जाती हैl फिर असम में ऐसे यह क्यों हो रहा है कि बच्चों की पढ़ाई में हिंदी शुरू से नहीं मिडिल क्लास से की जाएगी l यह हिंदी भाषी लोग सुनकर कैसे चुप रह सकते हैं l
 हिंदी हमारी मातृभाषा है, मातृभाषा किसे कहते हैं? जिसमें मां बोलती है l हम सब भारत माता के संतान हैं, और हिंदी हमारी मां के मुंह से बोली गई भाषा है l हम इसका दर्जा नीचे कैसे गिरने देंगे l एक बच्चा जब जन्म लेता है तो अपनी मां के बोली से ही बोलना, चलना, लिखना, पढ़ना सब कुछ सीखता है और उसी से वह आगे भी बढ़ता है फिर वह उससे दूर कैसे रह सकता हैl
 हिंदी को हम राष्ट्रभाषा भी कहते हैं राष्ट्र का मतलब हुआ देश यानी देश की भाषा l जब हमारे देश को आजादी मिली तो इसके सारे कामकाज हिंदी में ही हुआ करते थेl कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका सब में हिंदी के माध्यम से ही लिखा और बोला जाता थाl कोई अन्य भाषाएं वहां काम नहीं आती थी l प्रशासन का सारा कार्य भार हिंदी के माध्यम से ही हुआ करता था, तब से हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया गया l अंग्रेज भी कुछ नहीं कर पाए किसी ने सच ही कहा है l ” अंग्रेजी पढ़ि के जदपि, सब गुन होत प्रवीन पै निज भाषा-ज्ञान बिन, रहत हीन के हीन”
 हमें खुद ही सोचना चाहिए कि सब देश की अपनी भाषा है जैसे अमेरिका में अमेरिकन, इंग्लैंड में अंग्रेजी रसिया में रसियन तो हिंदुस्तान में क्या होना चाहिए?. . .
 हिंदी का संबंध हमारे साथ बहुत ही पहले से है यह सभी भाषाओं के साथ जुड़कर अनेकता में एकता को दर्शाती है , हर भाषा को ध्यान से देखा जाए तो उसमें कहीं ना कहीं हिंदी का अंश जरूर ही रहता है l
या संस्कृत शब्द का अनुवाद है पहले रामायण महाभारत वेद पुराण वगैरा संस्कृत में हुआ करते थे जिसको आम जनता पढ़ नहीं सकती थीl तब तुलसीदास जी जैसे विद्वानों ने इनको हिंदी में लिखा और आम लोग इसे पढ़ने लिखने लगे l धीरे-धीरे यह इतनी आसान लगने लगी कि यह स्कूल और कॉलेज में भी छा गईl
आज असम में इसका दर्जा क्यों गिरने लगा है? पहले लोग कहते थे कि बस हिंदी अंग्रेज़ी और गणित आना चाहिए तो संसार में कभी भी कहीं भी गुजारा हो जाएगा l आतः हमारे भाइयों एवं बहनों हमें आपसे यही निवेदन है की आप लोग इस पर गौर कीजिए और इसे बचाने का प्रयत्न कीजिए l
 —————————————————— ललिता दुबे

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