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चंद्र शेखर ग्वाला लखीपुर, १८ मई : स्थानीय लोगों और शिक्षकों ने फिर से उठाया फुलेरतल पब्लिक हाई स्कूल के प्रांतीयकरण की मांग । फुलेरतल पब्लिक हाई स्कूल बड़े फुलेरतल क्षेत्र में एकमात्र बंगाली माध्यम हाई स्कूल है। स्कूल की स्थापना 1996 में हुई थी। 8 फ़रवरी 1996 को 70 छात्रों के साथ शिक्षण शुरू हुआ। धीरे-धीरे विद्यार्थियों की संख्या बढ़कर 700 से अधिक हो गई। 2001 में 9 विद्यार्थी पहली बार माध्यमिक परीक्षा में शामिल हुए, इसमें से 5 विद्यार्थियों परीक्षा में उत्तीर्ण हुए । उत्तीर्ण ओसत 55.55 प्रतिशत रहा। तब से हर वर्ष यह दर बढ़ती गई और एक समय यह 97.56 प्रतिशत तक पहुंच गई। माध्यमिक परीक्षा का रिजल्ट अच्छा रहने के बाद भी आज तक विद्यालय का सरकारीकरण नहीं हो सका है। 8 फरवरी 1996 को स्कूल निरीक्षक नुपुर शर्मा के हाथों स्कूल ने अपनी शिक्षण यात्रा शुरू की। बाद में 2015 ईं 27 अप्रैल को स्कूल को शासन से मंजूरी मिल गई । स्कूल के शिक्षकों को पारिश्रमिक के रूप में चार किश्तों में करीब सात लाख रुपये भी दिए गए। विद्यालय, खेलकूद के लिए भूमि और सभी आवश्यक दस्तावेज़ पर्याप्त होने पर भी स्कूल का सरकारीकरण नहीं हो रहा, सरकारी शिक्षा विकास विभाग भले ही शिक्षा के विकास की नगाड़े बजाते रहता है परंतु फुलेरतल पब्लिक हाई स्कूल की भविष्य आज तक अंधकारमय नजर आ रहा है। लम्बे 29 वर्षों तक निःशुल्क शिक्षा दान कर रहे हैं, इसलिएजल्द ही फुलेरतल पब्लिक हाई स्कूल जो सरकार के लिए स्थानीय विधायक कौशिक राय, शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री हिमंत विश्वशर्मा को यह मांग शिक्षकों एवं स्थानीय लोगों ने उठाई है। इसके अतिरिक्त, स्कूल के बुनियादी ढांचे के लिए पिछले वर्षों मे पूर्व केंद्रीय मंत्री कबींद्र पुरकायस्थ ने सरकारी निधि से 50,000 रुपये, पूर्व मंत्री दिनेश प्रसाद ग्वाला दो लाख, सुष्मिता देब दो लाख, पूर्व जिला परिषद सदस्य प्रदीप कुमार दे ने पांच लाख, लखीपुर नगरपालिका अध्यक्ष पूर्व अध्यक्ष कल्याण चंद्र दे ने पांच लाख और पूर्व विधायक राजदीप ग्वाला दो लाख तथा अन्य सरकारी निधि सहित अब तक स्कूल को 50 लाख रुपये का अनुदान मिल चुका है, परंतु स्कूल का आज तक सरकारीकरण नहीं हो सका है। स्कूल प्रबंधन समिति के सदस्यों सहित स्थानीय लोग फुलेरतल पब्लिक हाई स्कूल के समग्र विकास में विधायक कौशिक रॉय का हस्तक्षेप चाहते थे।