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विशेष प्रतिनिधि, शिलचर, 18 जून: बराक घाटी की बहुभाषी साहित्यिक चेतना को समर्पित एक ऐतिहासिक पहल के अंतर्गत बालार्क प्रकाशन द्वारा प्रकाशित “बराक घाटी की बांग्ला कविताएं” के हिंदी अनुवाद पुस्तक का विमोचन समारोह आज चाय श्रमिक यूनियन के शिलचर कार्यालय में उत्साहपूर्वक संपन्न हुआ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. संतोष रंजन चक्रवर्ती ने की। समारोह में अपरेश भौमिक की मूल बांग्ला पुस्तक के हिंदी संस्करण का भी विमोचन किया गया, जिसे साहित्यकार अशोक वर्मा ने अनुवादित किया है।

अपने स्वागत वक्तव्य में डॉ. चक्रवर्ती ने बालार्क प्रकाशन की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा, “यह प्रकाशन बराक घाटी की साहित्यिक आत्मा का परिचायक है, जिसे अशोक वर्मा जैसे समर्पित साहित्य साधक ने निरंतर जीवंत बनाए रखा है।” उन्होंने वर्मा जी के सर्वसमावेशी संपर्क और साहित्यिक दृष्टिकोण की सराहना की।
मुख्य अतिथि उदय शंकर गोस्वामी ने आत्मस्वीकृति के साथ कहा कि “मेरे पास साहित्य के लिए समय नहीं है और रुचि भी सीमित है, परंतु मैं मानता हूं कि बराक हिंदी साहित्य समिति का नेतृत्व अशोक वर्मा जैसे विद्वान को करना चाहिए था।” उन्होंने वर्मा जी की साहित्य साधना की मुक्तकंठ से प्रशंसा की।
वरिष्ठ पत्रकार दिलीप कुमार ने कहा, “बराक घाटी में हिंदी साहित्य के क्षेत्र में अशोक वर्मा का कोई सानी नहीं। वे एक तपस्वी की तरह साहित्य में रमे हुए हैं, और देवी प्रेरणा से प्रेरित होकर कार्य कर रहे हैं।”
पत्रकार एवं साहित्यकार मदन सिंघल ने वर्मा जी को “एक ऐसा साधक बताया जो बेंगलुरु में रहकर शिलचर के लिए तड़पते रहते हैं।” उन्होंने वर्मा जी की विज्ञान पृष्ठभूमि के बावजूद हिंदी-बांग्ला पर उनकी मजबूत पकड़ की सराहना की।
मीता दास पुरकायस्थ, नतुन दिगंत प्रकाशन की संस्थापक और पत्रकार, ने कहा, “वर्मा जी दोनों भाषाओं — हिंदी और बांग्ला — को समान महत्व देते हैं। हिंदी साहित्य के प्रचार-प्रसार में उनका योगदान अनुकरणीय है।”
कार्यक्रम का संचालन करते हुए वरिष्ठ समाजसेवी बाबुल नारायण कानू ने वर्मा जी की साहित्यिक तपस्या को दत्तात्रेय मिश्रा के ‘भीष्म पितामह’ की उपाधि के सापेक्ष ‘गांडीवधारी अर्जुन’ की संज्ञा दी। उन्होंने बताया कि वर्मा जी अब तक 150 से अधिक पुस्तकों का प्रकाशन कर चुके हैं और विमोचित काव्य संकलन में बराक घाटी के 156 बांग्लाभाषी कवियों की रचनाएं संकलित हैं, जिनका हिंदी अनुवाद उन्होंने स्वयं किया है।
समारोह में वरिष्ठ लेखिका आदिमा मजूमदार ने अशोक वर्मा को उनके साहित्यिक योगदान के लिए विशेष सम्मान देने का प्रस्ताव रखा, जिसे सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया।
धन्यवाद ज्ञापन चाय श्रमिक यूनियन के सह महासचिव रवि नोनिया ने किया। इस अवसर पर सुरेश बड़ाइक, दुर्गेश कुर्मी, नीमू स्वर्णकार, राजू वर्मा सहित अनेक साहित्यप्रेमी उपस्थित रहे।





















