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बराक घाटी के कई संगठनों ने असम समझौते के धारा 6 में क्षेत्र को शामिल करने की मांग की

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शिव कुमार, शिलचर, 23 अक्टूबर: असम के काछार जिले में स्थित बराक घाटी के विभिन्न संगठनों ने राज्य सरकार से अपील की है कि असम समझौते के क्लॉज 6 को लागू करते समय इस क्षेत्र के स्वदेशी लोगों के हितों को भी ध्यान में रखा जाए। यह मांग एक औपचारिक पत्र के माध्यम से असम के मुख्य सचिव डॉ. रवि कोटा को भेजी गई है, जिसमें उन्होंने जस्टिस बिप्लब कुमार शर्मा समिति की सिफारिशों में बराक घाटी को शामिल करने का आग्रह किया है। पत्र जिला उपायुक्त के माध्यम से भेजा गया है।
पत्र में बराक घाटी के संगठनों ने इस बात पर जोर दिया है कि समिति द्वारा असमिया लोगों की सुरक्षा और संवैधानिक संरक्षण के लिए की गई सिफारिशों में इस क्षेत्र को भी सम्मिलित करना आवश्यक है। जस्टिस बिप्लब कुमार शर्मा की अध्यक्षता में गठित इस समिति ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में सार्वजनिक सुनवाई की थी, जिसमें बराक घाटी में भी कई सत्र आयोजित किए गए थे। इन सत्रों में स्थानीय नागरिक संगठनों ने हिस्सा लिया था और अपनी सुझावों एवं मांगों को रखा था। संगठनों की प्रमुख मांगें: संगठनों का तर्क है कि अगर बराक घाटी को इन सिफारिशों में शामिल नहीं किया गया, तो असम समझौते के क्लॉज 6 को लागू करने की प्रक्रिया अधूरी और असमान होगी। बराक घाटी के स्वदेशी लोगों की सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक पहचान की रक्षा के लिए इन सिफारिशों का पूर्ण रूप से क्रियान्वयन होना आवश्यक है।
पत्र में यह भी स्पष्ट किया गया है कि वे असम सरकार द्वारा 1951 की कट-ऑफ तारीख को पूरी तरह से समर्थन देते हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस तारीख के आधार पर असमिया लोगों को संवैधानिक सुरक्षा और अधिकार दिए जाने चाहिए, लेकिन यह सुरक्षा बराक घाटी के स्वदेशी लोगों को भी मिलनी चाहिए।इस पत्र पर कई प्रमुख संगठनों के पदाधिकारियों के हस्ताक्षर हैं, जिनमें त्रिपुरा स्टूडेंट्स एसोसिएशन, बराक वैली त्रिपुरा पीपल्स एसोसिएशन, ऑल असम रोंगमेई नागा स्टूडेंट्स यूनियन, खासी स्टूडेंट्स यूनियन, और ऑल असम कछार मुस्लिम जनसघोष्ठी जैसे संगठनों के नाम प्रमुख रूप से शामिल हैं। इन संगठनों ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि समिति की सिफारिशों में बराक घाटी की अनदेखी करने से क्षेत्र के लोगों के अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। संगठनों ने असम सरकार से अपील की है कि वे इस मसले पर गंभीरता से विचार करें और बराक घाटी को भी जस्टिस बिप्लब कुमार शर्मा समिति की सिफारिशों में उचित स्थान दें। उन्होंने जोर देकर कहा कि सही निर्णय से राज्य में शांति, समृद्धि और सामंजस्य स्थापित होगा, और असम के विभिन्न समुदायों के बीच आपसी सौहार्द्र को बढ़ावा मिलेगा।
इस अपील में कहा गया है कि यदि बराक  घाटी को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया, तो असम समझौते के क्लॉज 6 को लागू करने का उद्देश्य अधूरा रह जाएगा। इसका असर न केवल वर्तमान पीढ़ी पर बल्कि भविष्य की पीढ़ियों पर भी पड़ेगा।अंत में, संगठनों ने उम्मीद जताई है कि असम सरकार इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करेगी और बराक घाटी के स्वदेशी लोगों की चिंताओं को दूर करेगी।

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