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बराक घाटी में अभूतपूर्व वर्षा से चाय बागान तबाह, उद्योग की स्थिरता पर संकट

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प्रेरणा प्रतिवेदन शिलचर, 4 जून: बराक घाटी में पिछले कुछ दिनों से हो रही रिकॉर्ड तोड़ मूसलधार बारिश ने कछार, श्रीभूमि और हाइलाकांदी जिलों के चाय बागानों पर कहर बरपाया है।

काछार जिले में 31 मई सुबह 8:30 बजे से 1 जून सुबह 8:30 बजे तक 24 घंटे के भीतर 416 मिमी वर्षा दर्ज की गई, जो जिले के इतिहास में अब तक की सबसे अधिक एक दिवसीय वर्षा है। यह 1893 में दर्ज 290.3 मिमी के पिछले रिकॉर्ड को पीछे छोड़ गया।

29 मई से शुरू हुई लगातार भारी बारिश ने बराक घाटी के लगभग 12,000 हेक्टेयर चाय बागान क्षेत्र को जलमग्न कर दिया है। अनेक स्थानों पर अब भी 3 से 4 फीट तक पानी जमा है। 3 से 4 दिनों तक पानी में डूबे रहने से चाय की झाड़ियों की जीवित रहने की संभावना पर गंभीर सवाल उठ गए हैं। स्थिति और भी गंभीर तब हो गई जब कई क्षेत्रों में बांध टूटने से जलप्रलय जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई।

कई चाय बागानों में बाढ़ का पानी सड़कों, पुलों और श्रमिक लाइनों तक पहुंच चुका है, जिससे चाय की खेती, रखरखाव और विशेष रूप से “सेकेंड फ्लश” की बहुमूल्य तुड़ाई का कार्य बुरी तरह प्रभावित हुआ है।

गौरतलब है कि मई 2025 में बाराक घाटी के चाय बागानों को सूखे जैसी स्थिति के कारण औसतन 22% पैदावार का नुकसान हुआ था। अब जून माह में भारी वर्षा, बागान क्षेत्रों में जलजमाव, भूस्खलन, सड़कों व पुलों के बहने से 30 से 40 प्रतिशत तक की अतिरिक्त फसल क्षति की आशंका जताई जा रही है।

स्थिति को और जटिल बना रही है घाटी में विद्युत आपूर्ति की बदहाल व्यवस्था और गुवाहाटी से बराक घाटी को जोड़ने वाले सड़क परिवहन की गंभीर स्थिति। इससे उद्योग के लिए आवश्यक कच्चे माल की आपूर्ति और तैयार चाय के परिवहन में बाधा उत्पन्न होने की संभावना है।

इसके साथ ही लगातार जलमग्न चाय झाड़ियों के कारण दीर्घकालिक असर की भी चिंता बढ़ गई है, जो चाय उद्योग की स्थिरता पर ही प्रश्नचिह्न खड़ा कर रहा है।

उपरोक्त जानकारी टी एसोसिएशन ऑफ इंडिया के चेयरमैन सुशील सिंह ने एक प्रेस विज्ञप्ति में प्रदान की।

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