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बराक में पहली बार २४ फरवरी से तीन दिवसीय शनबिल महोत्सव की शुरुआत

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एन इस सी और डोनर मंत्रालय के अनुदान से असम विश्वविद्यालय ने किया है आयोजन
मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित रहेंगे असम के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया
मनोज मोहन्ती – करीमगंज, 22 फरवरी: बराक के पर्यटन स्थलों में से एक है। प्रकृति प्रेमी कहते हैं – वहाँ का सूर्यास्त उड़िसा की पुरी तट जैसा होता है!  लेकिन प्रचार की कमी के कारण इसकी बखान बराक की सीमाओं तक ही सीमित है।  सौन्दर्य से परिपूर्ण उस पर्यटन स्थल तथा विशाल जलाशय का नाम शनबिल है।  पर्यटकों के लिए, “शनबिल” का मतलब मनमोहक दृश्यों के साथ प्रकृति की गोद मैं  बेहतरीन अवसर बिताने का एक मनोरम स्थल। यह एशियाई महाद्वीप में दूसरा और असम में सबसे बड़ा जल निकाय है। मानसून के दौरान यह पानी से लबालब और सर्दियों में सूख कर धान की खेती के लायक हो जाता है। इस जलाशय की गहराई कम होने के कारण, मानसून के दौरान  यह पानी से भरकर एक सुंदर प्राकृतिक परिदृश्य बन जाता है। शनबिल में आधे डूबे हुए हिजाल के पेड़, क्षितिज पर तैरते हरे जंगल, शरद ऋतु की दोपहर की लालिमा और सुनसान एकांत पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। उस मौसम में
प्रकृति प्रेमी बादल रहित आकाश में सूर्यास्त देखने के लिए वहां आते हैं।  शानबिल के बगल में प्रतापगढ़ की पहाड़ियाँ, सिपाही पहाड़ियाँ भी पर्यटकों के बीच लोकप्रिय हैं। इसके अलावा शानबिल स्थानीय मछुआरों के लिए आजीविका के स्रोतों में से एक है।  यहां विभिन्न प्रकार की मछलियां उपलब्ध हैं।  इसलिए हर मानसून स्थानीय मछुआरों के लिए आशा की किरण लेकर आता है। हालांकि बराक घाटी के लोगों के लिए शानबिल एक जाना-पहचाना प्राकृतिक सुंदरता से भरे पर्स्थयटन लों में से एक है जो अभी भी घाटी के बाहर अज्ञात है।
परिणामस्वरूप, सरकार ने शनबिल को देश के पर्यटन मानचित्र पर उसका उचित दर्जा दिलाने की पहल की है।  इसलिए, उत्तर पूर्व परिषद और केंद्रीय डोनर मंत्रालय के वित्तीय सहयोग और असम विश्वविद्यालय के प्रबंधन के तहत 24 से 26 फरवरी तक देवद्वार में तीन दिवसीय शनबिल महोत्सव की तैयारी जोरों पर चल रही है।वहीं इस त्योहार को लेकर शनबिल इलाके के लोगों में काफी उत्साह देखने को मिला है। न केवल शनबिल क्षेत्र के लोग बल्कि बराक के पर्यावरणीय पर्यटन और संस्कृति को पसंद करने वाले लोग भी इस शनबिल उत्सव का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।आयोजकों ने बताया 24 फरवरी को सुबह 11 बजे असम के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया मुख्य अतिथि के तौर पर महोत्सव में मौजूद रहेंगे। राज्य के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंतविश्व शर्मा, पर्यटन और अन्य विभागों के मंत्री जयंतमल्ला बरुया के साथ जल संसाधन मंत्री पीयूष हजरिका को भी आमंत्रित किया गया है।  उत्तर पूर्व परिषद के सचिव के मोसेस, डोनर मंत्रालय के संयुक्त सचिव अंशुमान दे, असम विश्वविद्यालय के कुलपति और महोत्सव समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर राजीव मोहन पंथ, असम विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार और महोत्सव समिति के आयोजन सचिव डॉ. पीके नाथ और विश्वविद्यालय जीव विज्ञान के प्रोफेसर और महोत्सव समिति के इवेंट प्रबंधन निदेशक मानवेंद्र दत्त चौधरी समेत कई प्रमुख लोग इस महोत्सव में शामिल होंगे।महोत्सव के पहले दिन मुख्य अतिथि सहित आमंत्रित अतिथियों स्वागत को मंच पर स्वागत के पश्चात  दीप प्रज्ज्वलन के माध्यम से महोत्सव का शुभारंभ होगा। फिर असम यूनिवर्सिटी परफॉर्मिंग आर्ट्स द्वारा बंदेमातरम और राष्ट्रगान प्रस्तुत किया जाएगा।  स्वागत भाषण देंगे असम विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार और महोत्सव समिति के आयोजन सचिव डॉ. पीके नाथ। विश्वविद्यालय के जीव विज्ञान के प्रोफेसर एवं महोत्सव समिति के इवेंट मैनेजमेंट निदेशक मानवेंद्र दत्त चौधरी शनबिल महोत्सव पर प्रकाश डालेंगे।  मुख्य अतिथि और आमंत्रित अतिथियों के भाषण के बाद असम विश्वविद्यालय के कुलपति राजीव मोहन पंथ महोत्सव समिति के अध्यक्ष के रूप में भाषण देंगे। धन्यवाद ज्ञापन करेंगे डॉ. अरुण ज्योति नाथ। सांस्कृतिक कार्यक्रम दोपहर 12 बजे के बाद शुरू होगा। मंच  संचालन करेंगी डॉ. जयश्री । चयनित पैनलिस्ट शनबिल और उसकी जीवन और संस्कृति पर चर्चा करेंगे।  इसके साथ ही शनबिल पर एक कला और फोटोग्राफी प्रतियोगिता का प्रदर्शन का अनावरण किया जाएगा।  दोपहर में, सामूहिक सांस्कृतिक मंच रामकृष्णनगर और फेरीवाला हैलाकांन्दि के कलाकारों के साथ-साथ आमंत्रित कलाकारों द्वारा  लोक गीत और लोक नृत्य प्रस्तुत किया जाएगा। शाम को पश्चिम बंगाल के प्रसिद्ध लोक कलाकार बाउल सहित विभिन्न लोक गीतों की प्रस्तुति देंगे। इसी तरह महोत्सव के दूसरे दिन 25 फरवरी को भी खचाखच कार्यक्रम है।
26 फरवरी को देवद्वार के बजाय असम विश्वविद्यालय के बिपिन चंद्र पाल प्रेक्षागृह में सांस्कृतिक कार्यक्रम के बाद महोत्सव मे विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार वितरण के साथ महोत्सव का समापन होगा।  आमंत्रित अतिथि पूर्णिमा की रोशनी से जगमगाते शनबिल के तट पर उत्सव स्थल के पास बने अस्थायी तंबू में रात बिताएंगे। नतीजतन, संगठन के प्रभारी असम विश्वविद्यालय के अधिकारी आयोजन को लेकर कोई कसर छोड़ना नहीं चाहते हैं। आयोजकों को उम्मीद है कि इस महोत्सव के माध्यम से शनबिल देश के पर्यटन मानचित्र पर एक अद्वितीय स्थान हासिल कर सकेगा। असम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजीव मोहन पंथ सहित उत्सव समिति के अधिकारियों ने बराक के पर्यावरणीय पर्यटन और संस्कृति से प्यार करने वाले लोगों को उत्सव में भाग लेने के लिए आमंत्रित किए हैं।

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