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बराक वैली में साइबर अपराध के बढ़ते खतरे: ग्रामीण और चाय बागान क्षेत्रों में बहुभाषीय जागरूकता की जरूरत

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शिव कुमार, शिलचर: असम में साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहा है, और इस खतरे से निपटने के लिए राज्य सरकार ने मोबाइल उपभोक्ताओं को कॉल के माध्यम से जागरूक करने की पहल शुरू की है। हालांकि, यह जागरूकता संदेश केवल असमिया भाषा में प्रसारित किया जा रहा है, जिससे बराक वैली और अन्य गैर-असमिया भाषी क्षेत्रों के लोग इस संदेश को समझने में असमर्थ हैं। हिंदी, बंगला और भोजपुरी भाषाओं के व्यापक उपयोग के बावजूद, इन भाषाओं में जानकारी की कमी साइबर अपराधियों के खिलाफ इस प्रयास को कमजोर बना रही है।बराक वैली के ग्रामीण इलाकों और चाय बागान क्षेत्रों में समस्या और भी जटिल हो जाती है। यहाँ के लोग, जिनमें से अधिकांश बंगला या हिंदी बोलते हैं, असमिया भाषा में जारी संदेश को समझने में असमर्थ हैं।शिक्षा और तकनीकी जानकारी की कमी इन क्षेत्रों में लोग आमतौर पर शिक्षा और डिजिटल ज्ञान के मामले में पिछड़े हैं। उन्हें यह नहीं पता होता कि साइबर अपराधी किस प्रकार काम करते हैं।
सीमित संसाधन, ग्रामीण और चाय बागान क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के पास मोबाइल कॉल या डिजिटल संदेश को समझने के लिए आवश्यक संसाधन और जानकारी की कमी है।इन क्षेत्रों में जागरूकता की कमी के कारण, साइबर अपराधी फिशिंग कॉल, फर्जी ऑफर्स, बैंकिंग धोखाधड़ी और अन्य डिजिटल तरीकों से भोले-भाले लोगों को निशाना बना रहे हैं।
 फिशिंग कॉल्स और एसएमएस, अपराधी फर्जी बैंक प्रतिनिधि बनकर कॉल करते हैं और संवेदनशील जानकारी जैसे बैंक खाता विवरण और ओटीपी प्राप्त करते हैं। लुभावने ऑफर्स: “आपने लॉटरी जीती है” या “फ्री गिफ्ट” जैसे संदेश भेजकर लोगों को धोखा दिया जाता है।सोशल मीडिया के माध्यम से ठगी, अनजान लिंक पर क्लिक करने से व्यक्ति का डेटा चोरी हो सकता है।बराक वैली और चाय बागान क्षेत्रों में साइबर अपराध के खिलाफ लड़ाई को प्रभावी बनाने के लिए सरकार को बहुभाषीय जागरूकता अभियानों पर जोर देना चाहिए।असमिया भाषा के साथ-साथ हिंदी, बंगला और भोजपुरी में संदेश प्रसारित किए जाने चाहिए ताकि हर वर्ग के लोग इसे समझ सकें।
मोबाइल कॉल और एसएमएस: जागरूकता संदेश को सभी प्रमुख भाषाओं में प्रसारित किया जाना चाहिए।रेडियो और टेलीविजन, ग्रामीण इलाकों और चाय बागानों में रेडियो और टीवी के माध्यम से सरल भाषा में जानकारी दी जा सकती है।स्थानीय संगठनों की भागीदारी, पंचायत, चाय बागान समितियाँ और स्थानीय गैर-सरकारी संगठन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर सकते हैं।साइबर सुरक्षा पर चाय बागानों, स्कूलों और गांवों में नियमित कार्यशालाएं की जानी चाहिए।ग्रामीण और चाय बागान क्षेत्रों में डिजिटल शिक्षा और साइबर सुरक्षा के बुनियादी पहलुओं को शामिल करना जरूरी है।एक बहुभाषीय साइबर हेल्पलाइन नंबर शुरू किया जाए, जहां लोग अपनी समस्याओं की रिपोर्ट कर सकें।शिकायत दर्ज कराने की प्रक्रिया सरल और तेज होनी चाहिए।बराक वैली के ग्रामीण और चाय बागान क्षेत्रों के लोग अब सरकार से जागरूकता अभियान को बहुभाषीय बनाने की मांग कर रहे हैं।यह सुनिश्चित करने की अपील की गई है कि हिंदी, बंगला और भोजपुरी भाषाओं में जानकारी उपलब्ध हो।सरकार से उम्मीद की जा रही है कि वह इन क्षेत्रों के लोगों की भाषा और सांस्कृतिक विविधता को ध्यान में रखकर अभियान चलाए। साइबर अपराध एक गंभीर समस्या है, जिसका प्रभाव विशेष रूप से असम के ग्रामीण और चाय बागान क्षेत्रों में देखा जा रहा है। जागरूकता अभियान का असमिया भाषा तक सीमित रहना इन क्षेत्रों के लोगों को साइबर अपराधियों का आसान शिकार बना सकता है।असम सरकार को बहुभाषीय और समावेशी दृष्टिकोण अपनाकर इस समस्या से निपटना चाहिए, ताकि हर व्यक्ति जागरूक होकर सतर्क रह सके और साइबर अपराधियों के जाल में फंसने से बच सके।

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